मुद्रा और साख Class 10th Economics Chapter 3. Solution
NCERT Solutions Class 10 Social Science History Chapter 3. मुद्रा और साख – जो उम्मीदवार 10th कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें मुद्रा और साख चेप्टर के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है .इसके बारे में 10th कक्षा के एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है . इसलिए यहां पर हमने एनसीईआरटी कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 3. (यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions For Class 10 Economics Chapter 3 .Money and Credit की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.3 मुद्रा और साख के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
पाठ्यपुस्तक प्रश्नोत्तर
उत्तर- जोखिम वाली परिस्थिति में ऋण कर्जदार के लिये और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। इसे समझने के लिये एक छोटे किसान का उदाहरण लेते हैं जिसके पास जमीन का एक छोटा टुकड़ा है। मान लीजिए कि वह किसान खाद और बीज खरीदने के लिए कुछ रुपये उधार लेता है। जो उपज होती है वह उसके परिवार के भरण पोषण के लिए भी काफी नहीं होती है। इसलिए वह इस स्थिति में कभी नहीं आ पाता है कि खेत से उपजे अनाज को बेचकर अपना कर्ज चुका सके। यदि बाढ़ या सूखे से उसकी फसल तबाह हो जाती है तो उसकी स्थिति और भी खराब हो जाती है। इस तरह से वह किसान कर्ज के कुचक्र में फंस कर रह जाता है।
उत्तर- वस्तु विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या होती है। मान लीजिए कि आपको अपने गेम कंसोल के बदले एक मोबाइल फोन चाहिए। आपको किसी ऐसे व्यक्ति को ढ़ूँढ़ना होगा जिसे अपने मोबाइल फोन के बदले एक गेम कंसोल चाहिए। ऐसा करना एक मुश्किल काम साबित होता है। लेकिन यदि आप अपने गेम कंसोल को कुछ रुपयों के बदले बेच लें तो आसानी से उन रुपयों से किसी अन्य व्यक्ति से मोबाइल फोन खरीद सकते हैं। इस उदाहरण से स्पष्ट होता है कि मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या से छुटकारा दिलाती है।
उत्तर- जिन लोगों के पास अतिरिक्त मुद्रा होती है वे अपना पैसा बैंक में जमा करते हैं। कई लोगों को ऋण की जरूरत पड़ती है। यदि औपचारिक चैनल से ऋण लेना हो तो ऐसे लोग बैंक के पास जाते हैं। बैंक के पास जो जमा धनराशि होती है उसमें से बैंक ऋण देता है। इस तरह से बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थता का काम करता है।
उत्तर-10 रुपये के नोट पर निम्न पंक्ति लिखी होती है, “मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।“ इस कथन के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर का दस्तखत होता है। यह कथन दर्शाता है कि रिजर्व बैंक ने उस करेंसी नोट पर एक मूल्य तय किया है जो देश के हर व्यक्ति और हर स्थान के लिये एक समान होता है।
उत्तर- भारत में लगभग 48% ऋण अनौपचारिक सेक्टर से आता है। अनौपचारिक सेक्टर में ऋण पर ब्याज की दर बहुत अधिक होती है। जो लोग औपचारिक सेक्टर से ऋण नहीं ले पाते हैं उन्हें अनौपचारिक सेक्टर की तरफ मुँह करना पड़ता है। अक्सर ऐसे लोग सूदखोरों के चंगुल में पड़ जाते हैं। उसके बाद उनके शोषण का एक अंतहीन सिलसिला शुरु होता है। लोगों को गरीबी और कर्ज के कुचक्र से निकालने के लिए उन तक ऋण के औपचारिक स्रोतों को पहुँचाना जरूरी हो जाता है। इससे ग्रामीण इलाकों में सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद मिलेगी।
उत्तर-कई लोग इतने गरीब होते हैं कि ऋण के लिए अपनी साख को सिद्ध नहीं कर पाते। उन्हें ऋण की इतनी कम राशि की जरूरत होती है कि ऋण देने में होने वाले खर्चे की भरपाई भी नहीं हो पाती है। अशिक्षा और अज्ञान के कारण उनकी समस्या और भी बढ़ जाती है। ऐसे लोगों की मदद करने के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूहों का गठन हुआ है। ऐसे समूह छोटी राशि का ऋण देते हैं ताकि किसी गरीब की आजीविका चलती रहे। स्वयं सहायता समूह से ऋण लेने के लिये उसका सदस्य बनना अनिवार्य होता है। इससे लोगों में समय पर कर्ज चुकाने की आदत भी डाली जा सकती है।
उत्तर-कोई भी बैंक जब किसी व्यक्ति को ऋण देता है तो उसकि ऋण अदायगी की क्षमता के आधार पर देता है। बैंक ऋण देते समय कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहता है। इसलिये बैंक कुछ चुनिंदा लोगों को ही ऋण देते हैं।
उत्तर- भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है। यह भारत के बैंकिंग सेक्टर के लिये नीति निर्धारण का काम करता है। बैंक किसी भी अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालते हैं इसलिये बैंकिंग सेक्टर के लिये सही नियम और कानून की जरूरत होती है। बैंकों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करके रिजर्व बैंक न केवल बैंकिंग और फिनांस को सही दिशा में ले जाता है बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को भी सुचारु ढंग से चलने में मदद करता है।
उत्तर- विकास में ऋण की अहम भूमिका होती है। ऋण के बिना किसान बड़े पैमाने पर खेती नहीं कर सकते हैं। ऋण के बिना घर और कार खरीदना अधिकांश लोगों के लिये असंभव हो जायेगा। ऋण के बिना किसी छोटी कंपनी को बड़ा बनाना मुश्किल काम होता है। बड़ी से बड़ी कम्पनी को भी अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए ऋण की आवश्यकता पड़ती है।
उत्तर- मानव को सबसे पहले विभिन्न कर्जदाताओं के ब्याज दर की तुलना करनी चाहिए। उसके बाद उसे गिरवी की मांग और ऋण अदायगी की शर्तों की तुलना करनी चाहिए। मानव को उसी कर्जदाता से ऋण लेना चाहिए जो सबसे कम ब्याज दर मांग रहा हो, कम कीमत वाली गिरवी पर तैयार हो और ऋण अदायगी की आसान शर्तें रख रहा हो।
(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?
उत्तर- क्योंकि छोटे किसानों के पास ऋणाधार की कमी होती है।
(ख) वे दूसरे स्रोत कौन-से हैं जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं?
उत्तर- साहूकार, महाजन, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, दोस्त आदि।
(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं?
उत्तर- छोटे किसान के पास इतनी कम जमीन होती है कि उसके खेत की उपज से उसके परिवार का पेट भी नहीं पल पाता है। इसलिए ऋण चुकता करने की स्थिति में वह कभी नहीं आ पाता। यदि बाढ़ या सूखे ने उसकी फसल को बरबाद कर दिया तो उसकी स्थिति और भी खराब हो जाती है। ऐसे में किसान और भी मुसीबत में पड़ जाता है।
(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है?
उत्तर-स्वयं सहायता समूहों का गठन करके छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।
(क) ……….. परिवारों की ऋण की अधिकांश ज़रूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
(ख) …” ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाता है।
(ग) ……….. केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
(घ) बैंक ……’ पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
(ङ) ………..” संपत्ति है जिसका मालिक कर्ज़दार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता।
उत्तर- (क) ग़रीब, (ख) ऊँची, (ग) भारतीय रिज़र्व बैंक, (घ) जमा, (ङ) ज़मीन का टुकड़ा।
(क) आत्मनिर्भर गुट में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लेते हैं।
- बैंक
- सदस्य
- गैर-सरकारी संस्था।
उत्तर- सदस्य
(ख) ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है
- बैंक
- सहकारी सीमति
- मालिक
उत्तर- मालिक