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NIOS Class 10th Business Studies Chapter 11. बाह्यस्रोतीकरण

NIOS Class 10th Business Studies Chapter 11. बाह्यस्रोतीकरण

NIOS Class 10 Business Studies Chapter 11 बाह्यस्रोतीकरण – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 10 व्यवसाय अध्ययन पाठ 11 बाह्यस्रोतीकरण के प्रश्न-उत्तर (Outsourcing Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 10th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 10 व्यवसाय अध्ययन अध्याय 11 (बाह्यस्रोतीकरण) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOS Class 10th Business Studies 11 एकल स्वामित्व, साझेदारी तथा हिन्दू अविभाजित परिवार के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 10 Business Studies Chapter 11 Solution – बाह्यस्रोतीकरण

प्रश्न 1. बाह्यस्रोतीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – बाह्यस्रोतीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें कंपनी कुछ प्रचालन कार्य शुल्क देकर किसी अन्य कंपनी को सौंप देती है । आजकल बाह्यस्रोतीकरण का अर्थ है – कार्यों को विदेशी फर्मों से करवाना जैसे चीन से टेलीफोन काल सेंटर, तकनीकी सहयोग तथा कम्प्यूटर कार्य क्रमण इसके उदाहरण हैं। इससे कंपनी की लागत में कमी आती है क्योंकि विभिन्न देशों में रहन-सहन की लागतें अलग होने के कारण मजदूरी लागतें कम आती हैं। व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्प्रेतीकरण को हम इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं, “कम महत्त्व वाली व्यावसायिक क्रियाओं या उनके क्रियाकलापों को संबंधित लोगों तथा तंत्र सहित लेना, जिससे वही सेवा स्तर को सुधारा जा सके तथा लागतें कम की जा सकें।

प्रश्न 2. व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण को परिभाषित कीजिए | इसके लाभ क्या हैं?
उत्तर – व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण-व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण के अन्तर्गत किसी ऐसे कार्य के निष्पादन की जिम्मेदारी अन्य पक्ष को सौंपना है, जो अन्यथा आंतरिक तंत्र या सेवा के माध्यम से किया जा सकता था। जैसे एक बीमा कंपनी अपने दावे को निपटाने के लिए उनका बाह्यस्रोतीकरण कर सकता है या एक बैंक अपने ऋण प्रक्रिया प्रणाली का बाह्यस्रोतीकरण कर सकता है।
व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण के गुण इस प्रकार हैं-

(i) लागतों में कमी – यह प्रक्रिया सुधार, पुनः अभियंत्रण तथा तकनीकी प्रयोग के माध्यम से होती है जिसके प्रशासनिक व अन्य लागतों में कमी आती है।
(ii) कंपनी के मुख्य व्यवसाय पर ध्यान – पश्च कार्यालय प्रचालनों का बाह्यस्रोतीकरण कर देने से प्रबंधक कंपनी के मुख्य व्यवसाय पर अपना ध्यान केन्द्रित कर पाता है।
(iii) बाह्य विशेषज्ञता का उपयोग इस प्रक्रिया में किसी अन्य कंपनी से विशेषज्ञ कार्य क्षेत्र सुनिश्चित किया जाता है जिससे आवश्यक मार्गदर्शन तथा कौशल का उपयोग हो पाता है।
(iv) ग्राहकों की लगातार बढ़ती माँग से निपट सकना – ग्राहक की बदलती माँग से निपटने के लिए कई व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्रोत प्रदाता प्रबंधकों को लोचदार तथा मापनीय सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।
(v) आगम वृद्धि की प्राप्ति – प्रक्रियाओं का बाह्यस्रोतीकरण कर देने से कंपनियाँ विक्रय वृद्धि, बाजार अंश वृद्धि, नए उत्पादों के विकास, बाजार के नए रुख आदि पर ध्यान दे सकती है।

प्रश्न 3. ज्ञान प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण से क्या अभिप्राय है? इसके लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – ज्ञान प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण – KPO से तात्पर्य उन प्रक्रियाओं से है जिनमें विशिष्ट ज्ञान क्षेत्र विशेषज्ञता की जरूरत है। इस प्रक्रिया में उन क्रियाओं का बाह्यस्रोतीकरण किया जाता है जिनमें अधिक कार्य कुशलता विशिष्ट ज्ञान व अनुभव की जरूरत होती है। जैसे – मूल्यांकन एवं निवेश अनुसंधान पेटेंट फाइलिंग, कानूनी एवं बीमा आदि। ज्ञान प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण के अर्न्तगत उच्च स्तर के कार्यों को किसी बाह्य संगठन या संगठन के अंदर ही एक भिन्न समूह को सौंपते हैं। ज्ञान प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण के लाभ-

(i) पुनः अभियंत्रण लाभों में वृद्धि – एक संगठन अपने कम महत्त्व वाले क्रियाकलापों का बाह्यस्रोतीकरण करके पुनः अभियंत्रण के लाभ प्राप्त कर सकता है। पुनः अभियंत्रण से तात्पर्य महत्त्वपूर्ण मापकों, जैसे- लागत सेवा, किस्म तथा गति में सुधार करने से है ।
(ii) उच्च श्रेणी की सामर्थ्य तक पहुँच – इसके द्वारा विशिष्टीकरण एवं विशेषज्ञता के संयोजन से ग्राहकों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त होते हैं तथा तकनीकी क्रय व प्रशिक्षण लागतों की बचत होती है।

(iii) रोकड़ प्रविष्टण – बाह्यस्रोतीकरण में संपत्तियों का हस्तांतरण ग्राहक से प्रदाता को किया जाता है। इन संपत्तियों को प्रायः पुस्तकीय मूल्य पर बेचा जाता है, सामान्यतः यह मूल्य बाजार मूल्य से अधिक होता है।
(iv) संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग – बाह्यस्रोतीकरण की सहायता से कोई संगठन अपने मानव संसाधनों को कम महत्त्व वाली क्रियाओं की अपेक्षा अधिक महत्त्व वाली क्रियाओं में लगा सकता है।
(ii) कठिन समस्याओं का समाधान – बाह्यस्रोतीकरण द्वारा मुख्य तकनीकी कुशलता की सहायता प्राप्त होती है।
(vi) मुख्य व्यवसाय पर ध्यान – कोई भी संगठन अपनी क्रय महत्व वाले प्रचालन क्रियाकलापों का बाह्यस्रोतीकरण करके अपना ध्यान मुख्य व्यवसाय पर केन्द्रित कर सकता है।

(vii) वित्तीय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग – कोई भी संगठन बाह्यस्रोतीकरण द्वारा कम महत्त्व वाले पूंजी निवेश को कम करके पूंजी का निवेश अधिक लाभकारी क्रियाओं में कर सकती हैं।
(viii) लागत में कमी – एक कंपनी बाह्यस्रोतीकरण द्वारा अनुसंधान विपणन विकास आदि की लागतें कम कर सकती है तथा अपनी प्रति स्पर्धात्मक शक्ति बढ़ा सकती है।

(iv) न्यूनतम जोखिम – बाजार का रुख बदलते समय नहीं लगता, नित्य परिवर्तनों के साथ कार्य करते रहना काफी जोखिमपूर्ण होता है किंतु बाह्यस्रोतीकरण कंपनी अपना जोखिम काफी कम कर
सकती है।

प्रश्न 4. व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण तथा ज्ञान प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण में अंतर कीजिए ।
उत्तर – ज्ञान प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण (KPO)-
(i) KPO में विशिष्ट ज्ञान व अनुभव की जरूरत है।
(ii) इसमें वकील, चिकित्सक, प्रबंधक तथा कुशल अभियंत्रक आदि के लिए उच्च ज्ञानवान कर्मचारियों की जरूरत होती है।
(iii) KPO में कर्मचारी की योग्यता अधिक होने के कारण उनका वेतन भी अधिक होता है।
(iv) KPO में दी जाने वाली सेवाएँ हैं, कानूनी सेवाएँ, व्यवसाय व बाजार अनुसंधान आदि पर गहन अध्ययन, आदि ।
(v) KPO में कर्मचारी अधिक कुशल व अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं।

व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण (BPO)
(i) BPO में विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती ।
(ii) इसमें श्रम करने वाले कम कुशल कर्मचारी आवश्यक हैं।
(iii) BPO में कर्मचारी का वेतन अपेक्षाकृत कम होता है।
(iv) BPO में दी जाने वाली सेवाएँ हैं, ग्राहक देखभाल, अभिव्यक्ति प्रक्रियाओं माध्यम से तकनीकी समर्थन, टेली- मार्केटिंग तथा विक्रमण।
(v) BPO के लिए व्यावसायिक समझ, व्यवहारिक उपयोग आदि की जरूरत होती है BPO का मुख्य जोर संप्रेषण कौशल पर होता है।

बाह्यस्रोतीकरण के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. सेवाओं के बाह्यस्रोतीकरण शब्द की परिभाषा दीजिये ।
उत्तर- बाह्यस्रोतीकरण एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके अन्तर्गत कम्पनी अपने कुछ गौण कार्यों को करने का ठेका अन्य एजेन्सियों को सौंप देती है।

प्रश्न 2. सेवाओं के बाह्यस्रोतीकरण के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर- (i) बाह्यस्रोतीकरण में संगठन अपने गौण कार्य को बाहर से करवा लेते हैं, जिससे वे अपना ध्यान अन्य मुख्य कार्यों पर केन्द्रित करके कार्यक्षमता में वृद्धि कर सकते हैं।
(ii) इससे संगठन को विशिष्ट एवं विशेषज्ञ सेवाएँ प्राप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 3. सेवाओं के बाह्यस्रोतीकरण का क्या अर्थ है? इसकी विशेषताओं को समझाइये।
उत्तर- बाह्यस्रोतीकरण का अर्थ-आधुनिक व्यवसाय जगत में बाह्यस्रोतीकरण एक नवीनतम प्रवृत्ति है, जो मितव्ययी दरों पर विभिन्न प्रकार के विशेषज्ञों की सेवाओं की व्यवस्था करती है अर्थात जो कार्य पहले संगठन के कर्मचारी करते थे, उन्हें करने के लिये बाह्यस्रोतों से सहायता लेना ही बाह्यस्रोतीकरण है। बाह्यस्रोतीकरण का मुख्य उद्देश्य है व्यवसाय स्वयं अपने मुख्य कायों में व्यस्त रहे तथा अपने गौण कार्य दूसरे विशेषज्ञों कार्यालयों के अधीन छोड़ दे। इस प्रकार विशेषज्ञ सेवा प्रदान करने वालों को ठेके पर काम दिया जाये ताकि उस कार्य के लिये विशिष्टता, लागत में कमी और कुशलता का लाभ उठाया जा सके।

बाह्यस्रोतीकरण की विशेषताएँ-
(i) सेवा आपूर्ति संस्थाएँ अपने-अपने क्षेत्रों में विशेषज्ञ होती हैं। वे एक ही कार्य को मितव्ययी तरीके से करती हैं।
(ii) बाह्यस्रोतीकरण के फलस्वरूप व्यावसायिक संस्थान अपनी प्रमुख गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान दे सकता है।
(iii) बाह्यस्रोतीकरण से व्यवसाय का विस्तार होता है, क्योंकि इसके कारण हुई बचत का उपयोग उत्पादन क्षमता एवं उत्पादों की किस्मों में वृद्धि करने तथा नये बाजारों की खोज में किया जा सकता है।

प्रश्न 4. सेवाओं के बाह्यस्रोतीकरण से आपका क्या अभिप्राय है? सेवाओं के बाह्यस्रोतीकरण के क्या लाभ हैं?
उत्तर- आधुनिक जगत में सेवाओं का बाह्यस्रोतीकरण एक नवीन प्रवृत्ति है। इसके अंतर्गत मित्व्ययी दरों पर विभिन्न प्रकार के ऐसे विशेषज्ञों की सेवाओं की व्यवस्था की जाती है, जो संगठन की पहुँच से बाहर हैं। बाह्यस्रोतीकरण एक ऐसी प्रबंधकीय रणनीति है, जिसमें संगठन अपने गौण कार्यों का बाह्यस्रोतीकरण कर देते हैं तथा अपने संगठन के प्रयास मुख्य कार्यों तक सीमित रखते हैं।

BPO (Business Processing Outsourcing) की मूल मान्यता इस बात पर आधारित है कि प्रत्येक व्यवसाय को अपनी क्षमताओं से अवगत होना चाहिए तथा उन्हीं पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। अन्य गौण कार्यों को छोड़कर उन्हें अपनी सभी क्षमताएँ अपने प्रमुख कार्य में लगानी चाहिए, चाहे वह उत्पादन या संयंत्र प्रबंध या विपणन, कोई भी हो। सेवाओं के बाह्यस्रोतीकरण के लाभ

(i) बाह्यस्रोतीकरण के कारण कोई भी व्यावसायिक संस्थान अपनी प्रमुख गतिविधियों पर ध्यान दे सकता है तथा अपनी द्वितीय सेवायें, जैसे-विज्ञापन तथा वित्तीय आदि का बाह्यस्रोतीकरण कर सकता है।

(ii) इस व्यवस्था के अन्तर्गत संगठन को विशेषज्ञ की सेवाएँ मिल जाती हैं, जिससे बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।

(iii) इस व्यवस्था के द्वारा कार्यक्षमता में वृद्धि होती है तथा संसाधनों का प्रयोग सही प्रकार से होता है, क्योंकि प्रबन्धन कुछ चुनी हुई क्रियाओं पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करता है।

(iv) यह व्यवसाय के विस्तार में भी परोक्ष रूप से सहायता करता है, क्योंकि इस व्यवस्था के फलस्वरूप संसाधनों की बचत का उपयोग उत्पादन क्षमता व उत्पादों की किस्मों में वृद्धि करने तथा नये बाजारों को ढूँढ़ने में किया जा सकता है।

(v) बाह्यस्रोतीकरण के कारण ज्ञान का प्रवाह विभिन्न संगठनों में होता है तथा वे मिल-जुलकर सीखने में एक-दूसरे की मदद करते हैं।

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