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NIOS Class 10th Business Studies Chapter 13. वितरण के माध्यम

NIOS Class 10th Business Studies Chapter 13. वितरण के माध्यम

NIOS Class 10th Business Studies Chapter 13 वितरण के माध्यम – NIOS कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10th व्यवसाय अध्ययन अध्याय 13 (वितरण के माध्यम) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOS Class 10 Business Studies Chapter 13. Channels of Distribution की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 10th Business Studies के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .

NIOS Class 10 Business Studies Chapter 13 Solution – वितरण के माध्यम

प्रश्न 1. वितरण माध्यमों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – वितरण माध्यम वह कड़ी है जो उत्पादक को उपभोक्ता के साथ जोड़ती है। अन्य शब्दों में, वितरण माधयम वह मार्ग है। जिससे वस्तुएँ उत्पादक से अन्तिम उपभोक्ताओं तक पहुँचती हैं। इस प्रकार से वितरण माध्यम में न केवल मध्यस्थ ही सम्मिलित हैं, बल्कि उत्पादनकर्त्ता एवं उपभोक्ता भी उसके अंग हैं। जिस मार्ग से वस्तुएँ उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुँचती हैं, उसे वितरण माध्यम कहते हैं।

प्रश्न 2. किन्हीं चार ऐसी सेवाओं के नाम बताइए जिनका वितरण प्रत्यक्ष माध्यमों से किया जाता है।
उत्तर – कुछ ऐसे संगठन भी हैं जो अपनी सेवाएँ सीधे उपभोक्ता को बेचते हैं, जैसे- बैंक, परामर्शदात्री कम्पनियाँ, टेलीफोन कम्पनियाँ, माल ढोने की सेवाएँ आदि ।

प्रश्न 3. उन विभिन्न माध्यमों को समझाइए जिनके द्वारा वस्तुएं उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुंचती है।
उत्तर – वितरण माधयम के प्रकार- साधारणतया वस्तुएँ उपभोक्ता के पास पहुँचने से पहले अनेक हाथों से गुजरती हैं। कभी-कभी उत्पादक वस्तुएँ तथा सेवाएँ सीधे उपभोक्तओं को बेचते हैं। उनके बीच में कोई मध्यस्थ नहीं होता। इस माध्यम को प्रत्यक्ष माध्यम कहते हैं। इस प्रकार वितरण के दो माध्यम होते हैं- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष वितरण माध्यम हैं, जैसे-
(i) उत्पादक- एजेंट → थोक विक्रेता → फुटकर विक्रेता उपभोक्ता
(ii) उत्पादक → थोक विक्रेता → फुटकर विक्रेता→ उपभोक्ता
(iii) उत्पादक → एजेंट → उपभोक्ता
(iv) उत्पादक → थोक विक्रेता → उपभोक्ता
(v) उत्पादक → फुटकर विक्रेता → उपभोक्ता

वितरण के कुछ प्रचलित माध्यमों की व्याख्या नीचे की गई
1. प्रत्यक्ष माध्यम – इस माधयम से उत्पादक सीधा उपभोक्ता से सम्पर्क स्थापित करके वस्तुओं का विक्रय करता है। अर्था उत्पादक तथा उपभोक्ता के बीच कोई मध्यस्थ नहीं होता। उत्पादक उपभोक्ता को सीधे माल या तो घर-घर जाने वाले विक्रयकर्ताओं के माध्यम से बेच सकता है या फिर अपनी फुटकर दुकानों के माध्यम से। उदाहरण के लिए बाटा इंडिया लि., एच.पी.सी.एल., लिबर्टी शूज लिए के पास अपना माल उपभोक्ता को बेचने के लिए स्वयं के फुटकर स्टोर या दुकानें हैं। कुछ ऐसे संगठन भी हैं जो अपनी सेवाएँ सीधे उपभोक्ता को बेचते हैं जैसे- बैंक, परामर्शदात्री कम्पनियाँ, टेलीफोन कम्पनियाँ, माल ढोने की सेवाएं आदि ।

2. अप्रत्यक्ष माध्यम– जब उत्पादक बड़े पैमाने पर माल का उत्पादन करता है तो उसके लिए माल को सीधे उपभोक्ताओं को बेचना सम्भव नहीं होता है । इस स्थिति में वह मध्यस्थों की सेवाएँ लेगा। ये मध्यस्थ थोक विक्रेता अथवा फुटकर विक्रेता हो सकते हैं। थोक विक्रेता वह व्यक्ति होता है जो उत्पादक से बड़ी मात्रा में माल का क्रय करता है जबकि फुटकर विक्रेता वह होता है जो थोक विक्रेता से माल का क्रय करता है तथा आवश्यकतानुसार अन्तिम उपभोक्ता को बेच देता है। वितरण प्रक्रिया में जब कई मध्यस्थ सम्मिलित होते हैं तो इसे वितरण का अप्रत्यक्ष माध्यम कहते हैं। नीचे कुछ अप्रत्यक्ष वितरण माधयमों की व्याख्या की गई है-

(क) उत्पादक → थोक विक्रेता → फुटकर विक्रेता → उपभोक्ता
यह अन्तिम उपभोक्ता को माल विक्रय का सर्वसाधारण माध्यम है। थोक विक्रेता के माध्यम से जिन वस्तुओं को बेचना अधिक उचित रहेगा वे हैं : खाद्यान्न, मसाले, बर्तन आदि तथा अन्य वस्तुएँ जो छोटे आकार की हैं।

(ख) उत्पादक → फुटकर विक्रेता → उपभोक्ता
इस माध्यम में उत्पादक वस्तुएँ एक या अधिक फुटकर विक्रेताओं को बेचते हैं जो उन्हें आगे अन्तिम उपभोक्ता को बेच देते हैं। इस माध्यम का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता
(i) जब वस्तुएँ स्थानीय बाजार में बेची जाने योग्य हों, जैस – डबलरोटी, बिस्कुट, दूध इत्यादि ।
(ii) जबकि फुटकर विक्रेता बड़े स्तर के हों तथा बड़ी मात्र में माल का क्रय कर उन्हें छोटी-छोटी इकाइयों में सीधे उपभोक्ता को बेचते हों। उदाहरण के लिए बड़े विभागीय
भंडार एवं सुपर बाजार ।

प्रश्न 4. थोक विक्रेता की परिभाषा दीजिए । वितरण माध्यम में किस प्रकार से यह एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करते हैं?
उत्तर- थोक विक्रेता वितरण माध्यम के महत्त्वपूर्ण मध्यस्थों में से एक है। यह बड़ी मात्रा में वस्तुओं का व्यापार करते हैं। यह उत्पादक से बड़ी मात्रा में वस्तुओं का क्रय करते हैं और उन्हें थोड़ी मात्रा में फुटकर विक्रेता को बेच देते हैं। यदि उपभोक्ता बड़ी मात्रा में क्रय करते हैं तो कभी-कभी थोक विक्रेता माल सीधे उपभोक्ता को भी बेच देते हैं। वह सामान्यतः सीमित प्रकार की वस्तुओं का व्यापार करते हैं, जैसे- लोहा एवं धातु, वस्त्र, कागज, बिजली उपकरण आदि ।
थोक विक्रेता के कार्य- एक थोक विक्रेता साधारणतया निम्नलिखित कार्य करता है-
1. क्रय एवं एकत्रीकरण – माँग के पूर्वानुमान के आधार पर थोक व्यापारी विभिन्न उत्पादकों से वस्तुएं क्रय करके उन्हें एक स्थान पर एकत्रित करता है।
2. संग्रहण (Storage) – थोक व्यापारी विभिन्न वस्तुओं का बड़ी मात्रा में स्टॉक रखता है। इससे फुटकर व्यापारियों को निरन्तर माल उपलब्ध होता है।
3. वितरण – एक थोक विक्रेता विभिन्न फुटकर विक्रेताओं को अपने माल का विक्रय करता है। एक प्रकार से वह एक वितरक का कार्य भी करता है।
4. वित्त प्रदान करना – अग्रिम भुगतान कर थोक विक्रेता उत्पादक एवं विनिर्माताओं की आर्थिक सहायता करता है। वह फुटकर विक्रेता को भी माल उधार बेचता है। इस प्रकार से दोनों सिरों पर वह एक वित्त प्रदाता का कार्य करता है।
5. जोखिम उठाना – थोक व्यापारी मूल्य परिवर्तन, संग्रहण के दौरान माल की क्षति, अशोध्य ऋण (Bad Debts) आदि से उत्पन्न जोखिम उठाते हैं।
थोक व्यापारी के कार्यों से ज्ञात होता है कि वे वितरण के सभी महत्वपूर्ण कार्य करके वितरण को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है । वितरण माध्यमों में थोक व्यापारी एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करता है।

प्रश्न 5. फुटकर विक्रेता की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- फुटकर व्यापारी की विशेषताएँ-
1. फुटकर व्यापारी का उपभोक्ताओं से सीधा सम्बन्ध होता है। वह उनकी आवश्यकताओं के बारे में जानते हैं एवं अपनी दुकानों में उनकी आवश्यकता की वस्तुएँ रखते हैं।
2. फुटकर व्यापारी पुनः बिक्री के लिए माल का विक्रय नहीं करते हैं बल्कि अन्तिम रूप से उपभोग के लिए बेचते हैं।
3. फुटकर व्यापारी वस्तुओं का क्रय विक्रय थोड़ी-थोड़ी मात्रा में करते है इसलिए उपभोक्ताओं को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए माल को भविष्य में जमा करने की आवश्यकता रहती है।
4. फुटकर व्यापारी को थोक व्यापारी की तुलना में अपने व्यवसाय को प्रारम्भ करने एवं उसका संचालन करने के लिए कम पूँजी की आवश्यकता होती है।
5. फुटकर व्यापारी साधारणतया विविध प्रकार की वस्तुओं में व्यापार करते हैं एवं उपभोक्ताओं को वस्तुओं के क्रय के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं।

प्रश्न 6. वस्तुओं के वितरण में फुटकर विक्रेताओं की भूमिका स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- वस्तुओं के वितरण मे फुटकर व्यापारी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। वितरण प्रक्रिया में फुटकर व्यापारी निम्नलिखित कार्य करता है-

1. वस्तुओं का क्रय एवं संकलन- फुटकर विक्रेता विभिन्न थोक विक्रेताओं एवं विनिर्माताओं से उपभोक्ताओं की माँग तथा रुचि के अनुसार वस्तुएँ क्रय करता है एवं संकलित करता है। वह उपभोक्ता की पसन्द ब्रांड तथा उनकी माँग की मात्रा के अनुसार वस्तुएं बेचता है।

2. वस्तुओं का संग्रहण – उपभोक्ताओं को वस्तुओं की आपूर्ति के लिए फुटकर व्यापारी उनको संगृहीत करते हैं। जब भी आवश्यकता होती है वस्तुओं को स्टोर में से निकालकर उपभोक्ताओं को दिया जाता हैं। इससे उपभोक्ताओं को वस्तुएँ बड़ी मात्र में क्रय कर इनका भंडारण नहीं करना पड़ता ।

3. साख की सुविधा – यद्यपि फुटकर व्यापारी वस्तुएँ नकद ही बेचते हैं भी अपने नियमित ग्राहकों को फिर उधार भी दे देते हैं। उधार की सुविधा बड़ी मात्रा में क्रय करने वाले उपभोक्ताओं को भी दी जा सकती है।

4. व्यक्तिगत सेवा – फुटकर व्यापारी वस्तुओं की गुणवत्ता, विशेषता एवं उपयोगिता के सम्बन्ध में विशेषज्ञ की सलाह प्रदान कर उपभोक्ताओं को व्यक्तिगत सेवा प्रदान करते हैं। वह बिना कोई अतिरिक्त खर्चा लिए वस्तुओं को घर पहुँचाने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस प्रकार से वस्तुओं को उस स्थान पर उपलब्ध कराते हैं जहाँ उनकी आवश्यकता होती है। वह स्थान उपयोगिता का सृजन करते हैं।

5. जोखिम उठाना – फुटकर व्यापारी अनेक प्रकार के जोखिम उठाता है, जैसे वस्तुओं को
(i) आग अथवा चोरी का जोखिम ।
(ii) जब तक बिक न जाए तब तक गुणवत्ता में कमी आ जाने की जोखिम |
(iii) उपभोक्ता की रुचि और फैशन में परिवर्तन आने का जोखिम |

प्रश्न 7. थोक व्यापारी एवं फुटकर व्यापारी में कोई पाँच अन्तर बताइए |
उत्तर- थोक व्यापारी तथा फुटकर व्यापारी में अन्तर थोक व्यापारी
1. वस्तुओं का बड़ी मात्रा में क्रय करता है।
2. वस्तुओं का सीधे उत्पादक से क्रय करता है।
3. सीमित वस्तुओं का व्यापार करता है।
4. व्यवस्था को प्रारम्भ करने एवं चलाने के लिए अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है ।
5. पुनः विक्रय के उद्देश्य से वस्तुओं का विक्रय करता है।
6. उपभोक्ताओं से प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता ।
7. दुकान की सजावट पर विशेष ध्यान नहीं देता ।
फुटकर व्यापारी
1. वस्तुओं का थोड़ी मात्रा में क्रय करता हैं ।
2. अधिकांश रूप से वस्तुओं का थोक विक्रेता से क्रय करता
3. अनेक वस्तुओं का व्यापार करता है ।
4. व्यवसाय को प्रारम्भ करने एवं चलाने के लिए कम पूँजी की आवश्यकता होती है।
5. उपभोक्ता के लिए वस्तुओं का विक्रय करता है ।
6. उपभोक्ता से प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है।
7. उपभोक्ता को आकर्षित करने के लिए फुटकर विक्रेता दुकान की सजावट पर अधिक ध्यान देता है।

प्रश्न 8. थोक विक्रेता के कार्यों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- एक थोक विक्रेता के निम्नलिखित कार्य होते हैं-
(i) वस्तुओं का संग्रहण – थोक विक्रेता उत्पादकों से बड़ी मात्रा में माल खरीदकर उनका संग्रहण करता है।
(ii) वस्तुओं का भंडारण – थोक विक्रेता वस्तुओं को बड़ी मात्रा में खरीदकर उनका संरक्षण करता है। उन्हें भंडारगृहों में रखता है जैसे- फल, सब्जियाँ आदि को कोल्ड स्टोरेज में रखना ।
(iii) वितरण – थोक व्यापारी माल के वितरण हेत इसे फुटकर व्यापारियों को बेचता है, जिससे यह उपभोक्ताओं तक पहुच सके ।
(iv) वित्त प्रदान करना – थोक व्यापारी फुटकर व्यापारियों को उधार माल देकर उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करता है तथा इसी प्रकार विनिर्माताओं उत्पादकों को अग्रिम राशि देकर उन्हें भी वित्तीय सहायता देता है।
(v) जोखिम उठाना – थोक व्यापारी बड़ी मात्रा में माल लेकर उन्हें गोदामों में रखता है तथा मूल्य में पसंद में, फैशन में परिवर्तन जैसे जोखिमों को वहन करता है।
(vi) श्रेणीयन – थोक व्यापारी जब माल को थोक में उठाता है तो वह सभी प्रकार का मिला-जुला माल होता है वह माल को श्रेणीबद्ध करता है तथा माल की पैकिंग वगैरह भी करवाता है।
(vii) मूल्य निर्धारण – थोक व्यापारी वस्तु का अंतिम मूल्य निर्धारण करता है। वे बाजार स्थितियों, लोगों की पसंद,
माल की माँग आदि को प्रभावित करते हैं तथा माँग की पूर्ति उसकी वृद्धि के साथ करते रहते हैं।

प्रश्न 1. स्थायी दुकानों के माध्यम से फुटकर व्यापार के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- स्थायी दुकानों के माध्यम से फुटकर विक्रय-यह वह फुटकर विक्रेता है जो एक निश्चित स्थान जिसे दुकान कहते हैं, से विक्रय करते हैं। ये दुकानें बाजार में अथवा वाणिज्यिक क्षेत्रों में अथवा आवासीय कॉलोनियों में स्थित होती हैं। इन दुकानों पर साधारणतया सीमित प्रकार की वस्तुएँ बेची जाती हैं। इसका दुकान में वस्तुओं का भंडारण भी किया जाता है तथा प्रदर्शन भी। यह स्थायी दुकानें फुटकर व्यापार का एक स्वरूप है और इनके द्वारा बेची जाने वाली वस्तुओं की विविधता के आधार पर इन्हें निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है-

1. सामान्य भंडार अथवा विविध वस्तुओं के भंडार-यह स्टोर दैनिक प्रयोग में आने वाली विभिन्न वस्तुओं का विक्रय करते हैं। उदाहरण के लिए एक सामान्य भंडार में जिन वस्तुओं का विक्रय होता है, वे है-प्रसाधान का सामान, हौजरी का सामान, बिस्कुट एवं नाश्ते का सामान, सौन्दर्य प्रसाधन, उपहार की वस्तुएं, स्टेशनरी आदि । ये साधारणतया प्रत्यक्ष एवं नकद विक्रय करते हैं।

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