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NIOS Class 10th Business Studies Chapter 14. फुटकर व्यापार

NIOS Class 10th Business Studies Chapter 14. फुटकर व्यापार

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NIOS Class 10 Business Studies Chapter 14 Solution – फुटकर व्यापार

प्रश्न 1. “बड़े पैमाने पर फुटकर व्यापार” को परिभाषित कीजिये ।
उत्तर – बड़े पैमाने पर फुटकर व्यापार वह प्रक्रिया है जिसमें या तो एक प्रकार का सामान या विभिन्न प्रकार का सामान एक बड़ी दुकान में एक ही छत के नीचे ग्राहकों की बड़ी संख्या को उपलब्ध कराया जाता है या ग्राहकों की सुविधा के अनुसार उपलब्ध कराया जाता है ।

प्रश्न 2. प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए : भारतवर्ष में विभागीय भंडार और बहुसंख्यक दुकानें ।
उत्तर – विभागीय भंडार – दिल्ली में ‘एबौनी और शॉपर्स स्टॉप, चैन्नई में स्पैन्सर |
बहुसंख्यक दुकानें – बाटा की दुकान, एच एम टी घड़ी की दुकान।

प्रश्न 3. सुपर बाजार का क्या अर्थ है ?
उत्तर- सुपर बाजार का अर्थ- सुपर बाजार उपभोक्ताओं का बड़े पैमाने का सहकारी भंडार है जिसमें बड़ी संख्या में विविध प्रकार का सामान, , जैसे- खाद्य सामग्री, सब्जियाँ, फल, किराना यहाँ तक कि आवश्यक सामान एक ही छत के नीचे मिलते हैं इसका निर्माण दैनिक आवश्यकता के वस्तुओं की अपने सदस्यों एवं जनता को उचित मूल्य पर विक्रय के लिए किया जाता है । सुपर बाजार की वितरण प्रक्रिया में बिचौलियों या मध्यस्थों की समाप्ति हो जाती है |

प्रश्न 4. डाक द्वारा व्यापार से मंगाये जा सकने वाले चार उत्पादों के उदाहरण दीजिये ।
उत्तर– डाक द्वारा व्यापार से निम्न उत्पादों को मंगाया जा सकता है-
1. हल्के वजन और कम स्थान घेरने वाले उत्पाद
2. स्थायी और जल्दी खराब न होने वाले उत्पाद जैसे पुस्तकें |
3. ऐसे उत्पाद जिनकी बाजार में बहुत मांग है ।
4. जिनको उठाना, रखना, ले जाना सरल हो ।

प्रश्न 5. ग्राहक और विक्रेता को बहुसंख्यक दुकानों से होने वाले चार लाभों का उल्लेख कीजिये ।
उत्तर- विभागीय भण्डार के लाभ-

1. सुविधाजनक बिक्री – विभागीय भंडार अपने ग्राहकों को सारी वस्तुएँ एक स्थान पर उपलब्ध कराके उनकी खरीदारी को आरामदेह बना देते हैं और उन्हें खरीदारी की नीरसता से मुक्त कर देते हैं ।

2. उत्पादों का वृहद चुनाव – इन भंडारों में विभिन्न निर्माताओं के विभिन्न प्रकार के उत्पाद बड़ी मात्रा में होते हैं अतः ग्राहकों को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप सर्वोत्तम वस्तु के चुनाव के पर्याप्त अवसर होते हैं।

3. बड़े पैमाने के कारोबार के लाभ – विभागीय भंडार (डिपार्टमेंटल स्टोर) निर्माताओं से बड़ी संख्या में माल खरीदते हैं इस तरह चूँकि ये थोक विक्रेताओं से माल न लेकर सीधे निर्माताओं से खरीदते हैं अत: उन्हें निर्माताओं से छूट का लाभ मिलता है और फिर बड़ी संख्या में सामान की प्रचलन बिक्री होने से लागत भी काफी कम आती है ।

4. पारस्परिक विज्ञापन- जब ग्राहक किसी विभागीय भंडार में जाता है तो वहां के एक विभाग में दूसरे विभागों में प्रदर्शित सामान से आकर्षित होता है । अतः कई बार ग्राहक आकर्षित होकर अपनी सूची से अलग भी सामान खरीद लेता है । इसलिए प्रत्येक विभाग दूसरे विभागों के सामान का विज्ञापन करता है ।

5. अधिक कुशलता – इन विभागीय भंडारों को बड़े पैमाने पर चलाया जाता है अतः सामान्यतया ये सदैव कुशल, एवं योग्य कर्मचारी रखते हैं, जिससे कि ग्राहकों को उचित सेवा मिल सके।

प्रश्न 6. ग्राहकों के लिये सुपर बाजार किस प्रकार लाभदायक है? लगभग 60 शब्दों में समझाए।
उत्तर- बहुसंख्यक दुकानों के लाभ-ग्राहक और विक्रेताओं को बहुसंख्यक दुकानों से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

1. सरल पहचान – सभी बहुसंख्यक दुकानें एक-सी ही बनी होती हैं । इन दुकानों में एकरूपता होती है । सजावट और प्रदर्शन सभी दुकानों में एक-सा होता है। इससे ग्राहकों को दुकान पहचानने में सुविधा होती है ।

2. दलालों/बिचौलियों की समाप्ति- बहुसंख्यक दुकानों के स्वामी बड़े-बड़े निर्माता ही होते हैं अतः इसमें थोक और फुटकर व्यापारी जैसे बिचौलियों की वितरण प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होती ।

3. बड़े पैमाने के कारोबार के लाभ– इन दुकानों को बड़ी मात्रा में खरीद और उत्पाद का लाभ मिलता है । इन सभी दुकानों का एक साथ विज्ञापन होने से विज्ञापन के व्यय में भी काफी बचत होती है ।

4. कम मूल्य – यहाँ ग्राहकों को कम मूल्य में सामान मिल जाता है, क्योंकि इनके परिचालन में कम व्यय होता है और वितरण में से मध्यस्थ समाप्त हो जाते हैं ।

5. कोई अप्राप्य ऋण (Bad Debt ) नहीं इन दुकानों पर पूरी बिक्री नकद होती है अतः अप्राप्य ऋण की हानि का प्रश्न ही नहीं उठाता ।

6. जनता का विश्वास- निश्चित गुणवत्ता और निश्चित दाम होने से ग्राहकों को इन दुकानों पर बहुत विश्वास होता है । इन दुकानों पर ग्राहकों को असली और स्तरीय सामान मिलता है ।

7. सुविधाजनक स्थिति – ये दुकानें प्रायः मुख्य बाज़ार अथवा व्यस्त शॉपिंग केन्द्रों में होती है अतः ग्राहक सरलता से इन दुकानों पर जाकर अपना सामान ले सकता है ।

प्रश्न 7. डाक द्वारा व्यापार से सामान खरीदने की प्रक्रिया को संक्षेप में बताइये ।
उत्तर- डाक द्वारा व्यापार का आधार विज्ञापन है। विज्ञापन में बेची जाने वाली वस्तु की समस्त विशेषताओं का वर्णन होता है । व्यापारी अपने माल को बेचने के लिए समाचार पत्रों या पत्रिकाओं में विज्ञापन देता है । विज्ञापन के साथ ही आर्डर फार्म या कूपन भी हो सकता है जिसे ग्राहक भरकर दिये गये पते पर भेज सकता है। आर्डर प्राप्त होने पर डाक आदेश गृह सामान को अच्छी तरह पैक कर डाक के द्वारा वी पी पी से भेज देगा । डाक सामान को ग्राहक के घर पहुँचायेगा और खरीदार से मूल्य वसूल करेगा । बाद में डाकघर विक्रेता को पैसे दे देगा ।
यह डाक से बिक्री की पद्धति है, जिसे मेल आर्डर बिजनैस कहते हैं । इसे डाक द्वारा शॉपिंग भी कहते हैं । इस विधि में उत्पादक या व्यापारी डाक द्वारा सीधे ही ग्राहकों को सामान बेचते हैं । विक्रेता अपने माल का विज्ञापन अख़बारों, पत्रिकाओं, टेलीविज़न, और सूचीपत्र आदि में देता है ।

प्रश्न 8. सामान खरीदने की सुविधाजनक विधि होते हुए भी टेलीशॉपिंग ग्राहकों द्वारा बहुत अधिक प्रयोग में नहीं लाई जाती। क्यों?
उत्तर- टेली शॉपिंग से तात्पर्य टेलीफोन के माध्यम से शापिंग करना है। “एशियन स्कार्ड शॉपिंग और टैली ब्रांड” इस प्रकार की शॉपिंग के उदाहरण हैं। यह विधि सुविधाजनक है। इसमें घर पर बैठे ही सामान प्राप्त हो जाता है किंतु फिर भी इसकी कुछ सीमाएँ हैं। वे जिसके कारण इसका उपयोग अधिक नहीं किया जाता। वे सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

(i) इसके खरीददारी के सभी समझौते मौखिक होते हैं अतः लेन-देन का प्रमाण न होने के कारण कभी-कभी इससे मुश्किलें पैदा हो जाती हैं।

(ii) इस प्रकार की खरीदारी में सामान का कोई भी निरीक्षण नहीं किया जा सकता उसे केवल देखा जा सकता है।

(iii) इसमें खरीदारों को उधार की कोई व्यवस्था नहीं होती इसके अलावा पैसे इसमें ज्यादातर पहले भेज दिये जाते हैं जिससे समस्या पैदा हो सकती है।
(iv) इसमें विक्रेता अपने उत्पादों की गलत जानकारी दे सकते हैं। वे अपने सामान के विषय में बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं पर वास्तविकता उससे भिन्न होती है।

प्रश्न 9. विभागीय भंडार की कोई छ: विशेषताएं बताइये ।

उत्तर – विभागीय भण्डार की विशेषताऐं-
1. विभागीय भण्डार प्रायः शहर के प्रमुख वाणिज्यिक स्थानों पर स्थित होते हैं, ताकि विभिन्न भागों से लोग सुविधानुसार अपनी आवश्यकता की वस्तुएं खरीदने के लिए वहां पहुंच सकें।
2. इन भण्डारों का आकार बहुत बड़ा होता है और वह अनेक विभागों और काउंटरों में बंटा होता है।
3. प्रत्येक विभाग में एक विशेष प्रकार का सामान होता है जैसे एक विभाग में बिजली का सामान होगा, दूसरे में रेडिमेड कपड़े होंगे तो तीसरे में खाद्य सामग्री होगी आदि।
4. सभी विभागों का नियंत्रण एक मुख्य प्रबन्धन द्वारा होता है।
5. विभागीय भंडार ग्राहकों के लिए खरीदारी को मनोरंजक बनाते हैं । एक छत के नीचे ग्राहकों को सभी सामान उपलब्ध कराने की सुविधा देती है ।
6. इन भंडारों का सबसे बड़ा नारा उच्च किस्म की व्यक्तिगत सेवा है । इन भण्डारों में ग्राहकों के लिए जलपान गृह, शौचालय, सार्वजनिक टेलिफोन और ए. टी. एम. (ATM) की सुविधा रहती है।
7. ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड से माल खरीदने की सुविधा रहती

प्रश्न 11. व्यापक फुटकर व्यापार की विभिन्न सामान्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये ।
उत्तर – व्यापक (बड़े) फुटकर व्यापार की विभिन्न पद्धतियों की समान विशिष्टताएँ-
1. यह दैनिक उपयोग की वस्तुओं का ही व्यापार करता है तथा ग्राहकों को उनकी सुविधानुसार विविध प्रकार का सामान उपलब्ध कराता है I
2. इसमें माल सीधे निर्माताओं से ही इकट्ठा खरीदा जाता है, जिससे दलाल और बिचौलियों का वितरण प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
3. इससे ग्राहकों की एक बड़ी संख्या की दैनिक आवश्यकताओं पूर्ति होती है ।
4. स्थानीय फुटकर दुकानों और स्टोरों की तुलना में इन दुकानों/स्टोरों में अधिक बड़ी और खुली जगह होती है । 5. व्यापक फुटकर व्यापार को प्रारम्भ करने और चलाने के लिये एक बड़ी पूँजी चाहिये ।
6. इसमें प्रायः ग्राहकों को नकद के आधार पर ही माल बेचा जाता है।

प्रश्न 12. ग्राहकों के लिए इंटरनैट शॉपिंग के लाभ और सीमाओं की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – इंटरनेट शॉपिंग के लाभ
1. घर बैठे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार से हम अपनी आवश्यकता का सामान खरीद सकते हैं।
2. इससे ग्राहकों के समय और श्रम की बचत होती है।
3. यह फुटकर व्यापार की सबसे शीघ्र पूरी होने वाली प्रक्रिया है।
4. विदेशी व्यापार में यह पद्धति बहुत उपयोगी है।
इंटरनैट शॉपिंग की सीमाएँ
1. यह उन साधारण व्यक्तियों के लिए उपयुक्त नहीं है, जिन्हें कम्प्यूटर का कोई ज्ञान नहीं है।
2. इसमें भी वस्तुओं की मौलिक जाँच और निरीक्षण सम्भव नहीं है।
3. इसमें भुगतान क्रेडिटकार्ड के माधयम से होता है और क्रैडिट कार्ड रखना एक आम व्यक्ति की पहुँच से बाहर है।
4. व्यक्तिगत खरीददारी के सुख का इसमें सर्वथा अभाव है।

प्रश्न 13. स्वचालित बिक्री मशीन के द्वारा सामान को बेचना फुटकर बिक्री की एक पद्धति है जिससे विक्रेता और ग्राहक दोनों को ही लाभ मिलता है। स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- आजकल समय और श्रम की बचत के लिए मशीनों द्वारा भी फुटकर व्यापार किया जाता है। ये मशीनें स्वचालित (Automatic Machines ) होती है। इसमें ग्राहकों को सामान खरीदने की चौबीसों घण्टों की सुविधा रहती है । ये मशीनें प्रायः बहुत सुविधाजनक स्थानों पर रखी होती हैं- जैसे, रेलवे स्टेशन, स्टैण्ड, व्यस्त शॉपिंग काम्पलैक्स आदि । स्वचालित वैंडिंग मशीन में आप सिक्का डालकर कुछ विशिष्ट सामान ही खरीद सकते हैं। यह पद्धति अधिकतर विदेशों में प्रचलित है वहाँ इस पद्धति के द्वारा सिगरेट, दूध, काफी, सूप, अखबार आदि बेचा जाता है । भारतवर्ष में यह पद्धति अभी बहुत प्रचलित नहीं है। मदर डेयरी (Mother Dairy) दिल्ली में स्वचालित मशीनों द्वारा दूध बेच रही है । स्वचालित बिक्री मशीन के लाभ
1. इस मशीन को चलाना बहुत सरल है एक अनपढ़ व्यक्ति भी इसे चला सकता है।
2. इसमें एक निश्चित कीमत में, सामान वजन का विशिष्ट गुणवत्ता का सामान ग्राहक को मिल जाता है।
3. इसमें केवल नकद बिक्री होती है, अतः राशि डूबने का भय नहीं होता है।
4. इसमें दुकानदार द्वारा किसी प्रकार की धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं रहती ।
5. इसमें विक्रेता के समय और श्रम की बचत होती है।
6. इसमें किसी विज्ञापन की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 14. इंटरनैट फुटकर व्यापार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- इंटरनैट शॉपिंग वह पद्धति है जिसमें फुटकर सामान का व्यापार इन्टरनैट के द्वारा होता है। विक्रेता अपने उत्पाद (Product) की विस्तृत जानकारी वैबसाइट पर देता है। ग्राहक कम्प्यूटर पर आवश्यकतानुसार सामान की वैबसाइट खोलता है। वहाँ ग्राहक उपलब्ध उत्पादों के मूल्यों की तुलना भी कर सकता है तथा विक्रेता को आवश्यक निर्देश भी दे सकता है। इसमें समस्त भुगतान क्रेडिट कार्ड द्वारा किया जाता है। आर्डर प्राप्त होने पर विक्रेता माल डाक या कूरियर से भिजवा सकता है। इंटरनैट शॉपिंग सेक्रेताओं और विक्रेताओं का विश्व बाजार से सम्पर्क हो जाता है। तथा कोई भी व्यक्ति अपनी आवश्यकता और पसन्द की वस्तु का चयन घर बैठे ही कर लेता हैं। इंटरनैट शॉपिंग के लिये इन्टरनैट कनैक्शन के साथ एक कम्प्यूटर चाहिये। आप साइबर कैफे जा कर भी आर्डर दे सकते हैं। इस प्रकार की व्यापार प्रक्रिया को ” ऑनलाइनशॉपिंग” भी कहते हैं। यह किताबें, पत्रिकाएँ, सॉफ्टवेयर और स्वास्थ्य व सौन्दर्य प्रसाधन बेचने के लिये अधिक उपयुक्त है।

प्रश्न 1. बड़े पैमाने के फुटकर व्यापार के किन्हीं चार प्रकारों के नाम दीजिये ।
उत्तर- भारत में साधारणतया निम्न प्रकार के बड़े पैमाने के फुटकर व्यापार पाये जाते हैं-
(i) विभागीय भंडार,
(ii) उपभोक्ता सहकारी भंडार,
(iii) सुपर बाजार,
(iv) बहुसंख्यक दुकानें ।

प्रश्न 2. बहुसंख्यक दुकानों का अर्थ बताइये ।
उत्तर- बहुसंख्यक दुकानें वे दुकानें होती हैं जहाँ एक समान नाम, समान साज-सज्जा एवं एक ही ब्रांड के एक ही प्रकार के उत्पादों की बिक्री करने वाली फुटकर विक्रय दुकानें होती हैं।

प्रश्न 3. सुपर बाजार के लाभों की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर- सुपर बाजार उपभोक्ताओं का बड़े पैमाने का फुटकर भंडार है जहाँ विविध प्रकार का सामान, बड़ी संख्या में एक ही छत के नीचे मिलता है। सुपर बाजार के लाभ निम्नलिखित हैं-
1. सुपर बाजार में सामान कम दामों में उपलब्ध होता है, क्योंकि यहाँ बड़ी मात्रा में खरीदारी होती है तथा बिचौलियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होता ।
2. यहाँ सामान में मिलावट या नकली सामान की सम्भावना नहीं होती इसलिये ग्राहकों को स्तरीय गुणवत्ता का सामान उपलब्ध होता है।
3. यहाँ संचालन की लागत काफी कम होती है, क्योंकि विक्रयकर्त्ता और सहायक की सेवा उपलब्ध नहीं होती है।

4. सुपर बाजार में घरेलू सामान तथा दैनिक उपयोग की वस्तुओं की विविध किस्में उपलब्ध होती हैं।

5. सुपर बाजार में तुलना करना तथा चयन करना काफी सरल हो जाता है, क्योंकि ग्राहकों के लिये एक ही छत के नीचे भिन्न-भिन्न ब्रॉण्ड का सामान उपलब्ध होता है। यहाँ ग्राहक चयन में जितना चाहे उतना समय लगा सकता है।

प्रश्न 4. डाक आदेश व्यापार का क्या अर्थ है ?
उत्तर- डाक आदेश व्यापार बड़े पैमाने के फुटकर व्यापार के विभिन्न प्रकारों में से एक है। इस प्रकार के फुटकर व्यापार में उपभोक्ताओं से सम्प्रेषण तथा उन्हें वस्तुओं की सुपुर्दगी के लिये डाक प्रणाली का उपयोग किया जाता है। डाक आदेश फुटकर विक्रेता अपने माल का प्रचार पुस्तकों, सूची पत्रों, विवरणिकाओं, अखबारों एवं पत्रिकाओं में विज्ञापन द्वारा करते हैं। किसी उत्पाद विशेष के लिये आदेश दिए जाने के लिये इन विज्ञापनों, पत्रों एवं विवरणिकाओं के साथ आदेश पत्र एवं अन्य विस्तृत विवरण पत्र संलग्न होते हैं। विज्ञापन को देखकर इच्छुक ग्राहक डाक द्वारा आदेश करते हैं तथा विक्रेता आदेश प्राप्त होने के पश्चात माल को डाक अथवा कूरियर के माध्यम से भेज देता है।

इसमें भुगतान के लिये मनीऑर्डर, डिमांड ड्राफ्ट, सुपुर्दगी के समय भुगतान आदि की व्यवस्था की जाती है। विक्रय की इस पद्धति द्वारा विक्रेता अपने माल की बिक्री दूर के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आसानी से कर सकते हैं। तथा क्रेता सुगमतापूर्वक घर बैठे अपनी पसन्द की वस्तु का आदेश दे सकते हैं। परन्तु यह पद्धति केवल उन वस्तुओं के लिये उपयुक्त है, जिन्हें व्यक्तिगत रूप से जाँच-पड़ताल की आवश्यकता नहीं होती, जिनका उपयोग विवरण से ही समझ आ जाता है, जो उत्पाद हल्के वजन वाले होते हैं एवं शीघ्र नष्ट नहीं होते तथा जो कम स्थान घेरते हैं। यह पद्धति ऐसी वस्तुओं के लिये भी उपयुक्त है जिन वस्तुओं की बाजार में माँग अधिक है तथा जिनकी सुपुर्दगी का व्यय उनके मूल्य की तुलना में काफी कम है। इन सब प्रकार की वस्तुओं के लिये डाक आदेश व्यापार एक उत्तम पद्धति है ।

प्रश्न 5. उपभोक्ता सहकारी भंडार का क्या अर्थ है ? इसके लाभों की संक्षेप में व्याख्या कीजिये ।
उत्तर – उपभोक्ता सहकारी भंडार बड़े पैमाने के फुटकर व्यापार का स्वरूप है, जिस पर सहकारी समिति का स्वामित्व होता है। यह भंडार विक्रेता से सीधे वस्तुओं का क्रय कर उन्हें उपभोक्ता को कम मूल्य पर उपलब्ध कराते हैं। जब भी किसी क्षेत्र या वर्ग के उपभोक्ताओं के लिये अपनी दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं को पाना कठिन हो जाता है तो सहकारी समिति बनाकर उसके माध्यम से फुटकर व्यापार चलाया जाता है। उपभोक्ता सहकारी भंडार के विभिन्न लाभ निम्नलिखित हैं-
1. यहाँ अप्राप्य ऋण का जोखिम समाप्त हो जाता है, क्योंकि माल की बिक्री नकद होती है।
2. ये भंडार रिहायशी क्षेत्रों के समीप होते हैं ताकि सदस्यों एवं जनता के लिये सुविधाजनक रहें ।
3. उपभोक्ता सहकारी भंडार की वितरण प्रक्रिया में मध्यस्थ नहीं होते इसलिये ये भंडार बाजार से कम मूल्य पर वस्तुएँ उपलब्ध कराते हैं ।
4. उपभोक्ता सहकारी भंडार को होने वाले लाभ को इसके सदस्यों में बोनस के रूप में बाँट दिया जाता है।

प्रश्न 6. वितरण में आए आधुनिक परिवर्तनों का संक्षेप में वर्णन कीजिये ।
उत्तर- आज उत्पादक से उपभोक्ता तक वस्तुओं को पहुँचाने सूचना तकनीकी क्षेत्र में प्रगति के साथ नये परिवर्तन हुए हैं। वितरण के कुछ माध्यमों ने मध्यस्थों की लम्बी एवं खर्चीली श्रृंखला को समाप्त कर दिया है। आज उपभोक्ता को हर चीज घर बैठे सरल सुलभ है। इंटरनेट के माध्यम से विनिर्माता एजेंट उपभोक्ता से सीधा संपर्क कर रहे हैं। वितरण के क्षेत्र में आये कुछ परिवर्तनों का वर्णन निम्नलिखित है-

(क) प्रत्यक्ष विपणन – इस वितरण प्रणाली में विनिर्माता मध्यस्थों की श्रृंखला हटाकर, जिसमें थोक एवं फुटकर विक्रेता शामिल हैं, उपभोक्ता को सीधे वस्तुएँ एवं सेवाएँ पहुँचाते हैं। विनिर्माता समाचार-पत्र, टेलीफोन, मूल्य सूची -पत्र एवं विवरणिका के द्वारा विज्ञापन प्रकाशित करते हैं। यदि ग्राहक वस्तु का क्रय करना चाहता है तो वह विनिर्माता को टेलीफोन, पत्र अथवा ई-मेल के माध्यम से आदेश देता है तथा कूरियर, डाक अथवा विक्रयकर्त्ता द्वारा उन्हें उत्पाद प्राप्त हो जाता है। प्रत्यक्ष विपणन द्वारा उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों ही लाभान्वित होते हैं, क्योंकि मध्यस्थ के हिस्से का लाभ बच जाता है। मध्यस्थों के माध्यम की तुलना में वितरण द्वारा विनिर्माता उपभोक्ता को कम मूल्य पर आपूर्ति भी कर सकता है तथा लाभ भी अधिक कमा सकता है। दोनों के मध्य प्रत्यक्ष सम्पर्क के कारण लेन-देन तेज गति से होता है। प्रत्यक्ष विपणन को विनिर्माता द्वारा उपभोक्ता तक पहुँचने के लिये प्रयोग में आने वाले संप्रेषण के आधार पर कई वर्गों में बाँटा जा सकता है। विनिर्माता निम्नलिखित का प्रयोग कर सकते हैं-
1. ग्राहकों को उत्पाद संबंधी सूचना देने के लिये छपी हुई मूल्य सूची दी जाती है, जिसे मूल्य सूची फुटकर व्यापार कहते हैं।
2. प्रत्यक्ष डाक द्वारा फुटकर व्यापार में पुस्तिकाएँ, पत्र आदि को डाक द्वारा भेजा जाता है।
3. टेलीविजन के माध्यम से फुटकर व्यापार में टेलीविजन विज्ञापन द्वारा ग्राहक को सूचित किया जाता है।
प्रत्यक्ष विक्रय विधि के द्वारा उन उत्पादों को कूरियर द्वारा भेजा जा सकता है, जिनकी उपयोगिता को सरलता से संप्रेषित किया जा सके।

(ख) इंटरनेट विपणन – आज इंटरनेट पर अपने वेबसाइट के माध्यम से वस्तुओं का क्रय-विक्रय कम्प्यूटर एवं इंटरनेट के व्यापक उपयोग के कारण संभव हुआ है। वेबसाइट पर वस्तु की तस्वीर देखी जा सकती है, उसके सम्बन्ध में पढ़ा जा सकता है तथा कम्प्यूटर पर मात्र माउस द्वारा क्लिक कर आदेश दिया जा सकता है। इंटरनेट विपणन के माध्यम से कहीं भी, किसी भी समय खरीदारी की जा सकती है तथा विभिन्न उत्पादकों के एक ही उत्पाद के मूल्यों की तुलना भी की जा सकती है। क्रेडिट कार्ड अथवा बैंक ड्राफ्ट द्वारा मूल्य का भुगतान भी सुविधापूर्वक किया जा सकता है। इसके माध्यम से पूरे विश्व में कहीं भी बैठे बड़ी संख्या में ग्राहकों को उत्पादक बड़ी सरलता एवं तीव्रता से माल पहुँचा सकता है । परन्तु इस विपणन में एक सबसे बड़ी कमी यह है कि उपभोक्ता उत्पाद का केवल प्रतिरूप देख सकता है, न छू सकता है, न जाँच कर सकता है और न ही इसके वास्तविक उपयोग का प्रदर्शन देख सकता है।

(ग) टेली– विपणन इस प्रकार के विपणन में उत्पाद विक्रय के लिये विपणन प्रतिनिधि संभावित क्रेता से टेलीफोन पर बात करता है तथा उसे उत्पाद एवं उसके उपयोगों के संबंध में बताता है। इस प्रकार ग्राहक को उस वस्तु को खरीदने के लिये प्रेरित किया जाता है। इस विधि का प्रयोग अधिकतर क्रेडिट कार्ड बेचने, पत्रिकाओं के सदस्यता शुल्क लेने तथा क्लबों की सदस्यता लेने के लिये किया जाता है। यदि ग्राहक वस्तु का क्रय करना चाहे तो उस वस्तु को कूरियर द्वारा भेज दिया जाता है। आजकल टेली-विपणन में भी कम्प्यूटर के माध्यम से बातचीत की प्रणाली को अपनाया जा रहा है। टेलीफोन मिलाकर ग्राहक को पहले से ही कम्प्यूटर में रिकॉर्ड हुआ संदेश सुना दिया जाता है तथा यदि उपभोक्ता कोई प्रश्न पूछना चाहे या वस्तु के क्रय के लिये आदेश देना चाहे तो वह भी अपना संदेश रिकॉर्ड कर देता है।

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