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NIOS Class 10th Business Studies Chapter 15. विज्ञापन

NIOS Class 10th Business Studies Chapter 15. विज्ञापन

NIOS Class 10 Business Studies Chapter 15 विज्ञापन– आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 10 व्यवसाय अध्ययन पाठ 15 विज्ञापन के प्रश्न-उत्तर (Advertising Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 10th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 10 व्यवसाय अध्ययन अध्याय 15 (विज्ञापन) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOS Class 10th Business Studies 15 विज्ञापन के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 10 Business Studies Chapter 15 Solution – विज्ञापन

प्रश्न 1. विज्ञापन का क्या अर्थ है ? इसकी विशेषताएं बताइए |
उत्तर – विज्ञापन मांग की रचना एवं वृद्धि करने की एक ऐसी कला है जिसमें मौखिक, लिखित तथा चित्रित शब्दों के द्वारा वस्तुओं, सेवाओं तथा विचारों को प्रस्तुत किया जाता है और उन्हें क्रय करने के लिए उपभोक्ताओं को प्रेरित किया जाता है। विज्ञापन में वे सभी क्रियाएं शामिल हैं जिनके द्वारा अव्यक्तिगत रूप से जनता को वस्तुओं व सेवाओं की सूचना दी जाती है और उन्हें इन्हें क्रय करने के लिए प्रेरित किया जाता है। संक्षेप में किसी भी उत्पाद, सेवा अथवा विचार के बारे में प्रायोजक (विनिर्माता अथवा उत्पादक) द्वारा दिए जाने वाले सन्देशों से जुड़ी सभी गतिविधियों को विज्ञापन कहते हैं।

शेल्डन के अनुसार, “विज्ञापन एक व्यावसायिक शक्ति है, जिसके अन्तर्गत मुद्रित शब्दों द्वारा विक्रय वृद्धि में सहायता मिलती है, ख्याति का निर्माण होता है एवं साख बढ़ती है । “मैसन व रथ (Masson and Rath) के शब्दों में, “विज्ञापन बिना वैयक्तिक विक्रयकर्त्ता के विक्रय कला है।

प्रश्न 2. किस विज्ञापन माध्यम का दृश्य-श्रव्य प्रभाव अधि क पड़ता है?
उत्तर- टेलीविजन विज्ञापन का दृश्य-श्रव्य प्रभाव अधिक पड़ता है।

प्रश्न 3. नेत्रहीन लोगों के लिए कौन-सा विज्ञापन माध्यम प्रभावशाली सिद्ध होगा?
उत्तर – नेत्रहीन लोगों के लिए रेडियो द्वारा विज्ञापन अधिक प्रभावशाली रहेगा।

प्रश्न 4. विज्ञापन क्या है और यह किस उद्देश्य की पूर्ति करता है?
उत्तर – विज्ञापन मांग की रचना एवं वृद्धि करने की एक ऐसी कला है जिसमें मौखिक, लिखित तथा चित्रित शब्दों के द्वारा वस्तुओं, सेवाओं तथा विचारों को प्रस्तुत किया जाता है और उन्हें क्रय करने के लिए उपभोक्ताओं को प्रेरित किया जाता है।
विज्ञापन के उद्देश्य (Objectives of Advertising)

व्यावसायिक जगत विज्ञापन को महत्त्वपूर्ण शक्ति मानता है । विज्ञापन का उद्देश्य उत्पादन तथा वितरण की लागत में कमी करना है | विज्ञापन के बिना आज व्यापार की उन्नति सम्भव नहीं है। विज्ञापन के निम्नलिखित उद्देश्य एवं कार्य होते हैं-
1. नव-निर्मित वस्तुओं के सम्बन्ध में जनता को सूचना देना ।
2. वस्तुओं की मांग में वृद्धि करना ।
3. विक्रय में वृद्धि करना अथवा विक्रय को समर्थन देना ।
4. विद्यमान वस्तुओं के परिवर्तनों के बारे में सूचना ‘देना।
5. क्रय को विवेकपूर्ण बनाना ।
6. उत्पाद अथवा ब्राण्ड की जागरूकता पैदा करना अथवा बढ़ाना।
7. मध्यस्थों तथा विक्रेताओं के मनोबल को बढ़ाना।
8. स्थानापन्न वस्तुओं को हतोत्साहित करना ।

सारांश रूप में प्रो. ई. एफ. एल. ब्रेच के शब्द उद्धृत किये जा सकते हैं-
” विज्ञापन का उद्देश्य उत्पादक को लाभ पहुंचाना, उपभोक्ताओं को शिक्षित करना, विक्रेताओं की सहायता करना, प्रतियोगिता को समाप्त कर व्यापारियों को अपनी ओर आकर्षित करना और सबसे अधिक तो उत्पादक और उपभोक्ता के संबंध अच्छे बनाना है। ”

प्रश्न 5. समाचार पत्र के माध्यम से विज्ञापन के क्या लाभ और सीमाएं हैं?
उत्तर- सामाचारपत्रों द्वारा विज्ञापन करने के निम्नलिखित लाभ हैं-
(i) विश्वव्यापी निवेदन- समाचारपत्र द्वारा दूर-दूर तक संदेश पहुँच जाता है।
(ii) तत्काल प्रदर्शन – विज्ञापन तैयार करने में अथवा छपने में अधिक समय नहीं लगता ।
(iii) पुनरावृत्ति मूल्य – यह विज्ञापन हर रोज दोहराया जा सकता है। नई वस्तु या नए ब्रांड नाम को लोकप्रिय बनाने में यह अद्वितीय है।
(iv) सीमित प्रचलन – इस माध्यम से विज्ञापनकर्त्ता उसी क्षेत्र के प्रमुख दैनिक पत्र को चुन सकता है जिसमें वह बिक्री बढ़ाना चाहता है।
(v) सचित्र प्रकाशन – इसमें सचित्र प्रकाशन संभव हो सकता है।
(vi) कम लागत -विज्ञापन की लागत अन्य माध्यमों की तुलना में प्रति ग्राहक कम होती है।

समाचार पत्रिकाओं में विज्ञापन की सीमाएं
(i) अल्प जीवन – समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं का जीवन बहुत कम होता है। अतः ग्राहकों के मस्तिष्क पर प्रभाव डालने के लिए विज्ञापन को बार-बार दोहराना आवश्यक होता है।
(ii) घटिया छपाई – घटिया कागज तथा छपाई एवं फ्रू की त्रुटियों के कारण इस प्रकार का विज्ञापन अधिक आकर्षक नहीं होता।
(iii) शीघ्र तथा सरसरी दृष्टि से अध्ययन – दैनिक समाचार-पत्र अक्सर जल्दी में तथा सरसरी तौर पर पढ़ा जाता है इसलिए जब तक विज्ञापन बहुत आकर्षक न हो, पाठक उसकी ओर ध्यान नहीं देते।
(iv) सीमित लोगों के लिए उपयुक्त – यह केवल शिक्षित वर्ग के लिए ही उपयुक्त है।

प्रश्न 6. पत्रिकाओं में छपने वाले विज्ञापनों के लाभ तथा सीमाएं क्या हैं?
उत्तर – पत्रिकाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती हैं, परन्तु दैनिक आधार पर इनका प्रकाशन नहीं किया जाता। इनका प्रकाशन साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक यहाँ तक कि वार्षिक आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए इंडिया टुडे, स्वागत, गृहशोभा, नंदन, सरिता, चंपक आदि पत्रिकाएँ देखी होंगी जिनका हिंदी में नियमित प्रकाशन होता है। इन पत्रिकाओं का प्रकाशन अनेक भाषाओं में तथा बड़ी संख्या में किया जाता है। इसलिए इनमें छपने वाले विज्ञापन भी अधिक संख्या में लोगों के पास पहुंचते हैं।

लाभ
1. पत्रिकाओं का जीवन अखबारों की अपेक्षा अधिक होता है। इन्हें लंबे समय तक अपने पास रखा जा सकता है और भविष्य में भी इनका उपयोग किया जा सकता है और जब भी जरूरत पड़े बार-बार उपयोग किया जा सकता है।
2. पत्रिकाओं का एक चयनित पाठक वर्ग होता है और विज्ञापनदाताओं को अपना लक्ष्य समूह पता होता है इसलिए वह ग्राहकों के वर्ग के अनुरूप विज्ञापन के लिए इनका चुनाव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, गृहशोभा महिलाओं की पत्रिका है इसलिए इसमें महिलाओं द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं अथवा सेवाओं के उत्पादक इस पत्रिका में विज्ञापन देने को प्राथमिकता देते हैं।
3. पत्रिका की छपाई उत्तम होती है और इसमें बहुरंगी एवं आकर्षक चित्रों का प्रयोग किया जा सकता है।

सीमाएँ
1. पत्रिकाओं में विज्ञापन देना अपेक्षाकृत महंगा पड़ता हैं।
2. समाचार पत्रों की अपेक्षा इनके विज्ञापन कम लोगों तक पहुँचते हैं।
3. इनमें विज्ञापन सामग्री बहुत पहले दे देनी पड़ती है और आखिरी समय में इनमें परिवर्तन की गुंजाइश नहीं होती। इस प्रकार इसमें लोच का अभाव है।
4. विज्ञापन को नित्यप्रति बारंबार नहीं दोहराया जा सकता।

प्रश्न 7. रेडियो विज्ञापन क्या है? इसके लाभ और सीमाओं का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर – बहुत समय से रेडियो मनोरंजन का प्रमुख साधन रहा है।
भारतीय व्यवसायी पहले रेडियो सिलोन से विज्ञापन किया करते थे परन्तु 1967 से आल इंडिया रेडियो विज्ञापन प्रसारित कर रहा है। आजकल रेडियो विज्ञापन का एक रोचक एवं सशक्त माधयम बन गया है । इसमें लोकप्रिय धुनों तथा गीतों द्वारा विज्ञापन प्रसारित किये जाते हैं जो लोगों पर बहुत प्रभाव डालते हैं। दैनिक प्रयोग की वस्तुओं
के विज्ञापन में आज रेडियो का विशिष्ट स्थान है इसके द्वारा सभी वर्गों चाहे वे शिक्षित हो या अशिक्षित-तक पहुंचा जा सकता है। ग्राहकों की श्रेणी के अनुसार समय तथा स्थान का चुनाव किया जा सकता है।

लाभ – रेडियो विज्ञापन के अनेक लाभ हैं-
1. यह नियमित श्रोताओं पर अधिक प्रभाव छोड़ता है।
2. यह निरक्षर लोगों के लिए भी उपयोगी होता है।
3. जहाँ पर अखबार नहीं पहुँच पाता, उन स्थानों पर भी इसे सुना जा सकता है अर्थात् रेडियो प्रसारण का क्षेत्र बहुत व्यापक है अतः लाखों व्यक्तियों तक संदेश पहुंचाया जा सकता है।
4. विज्ञापन को बार-बार दोहराया जा सकता है और इसमें समयानुसार परिवर्तन किया जा सकता है।

सीमाएँ
1. इसे केवल नियमित श्रोता ही याद रख सकता है। लेकिन अनियमित श्रोता रेडियो पर प्रसारित विज्ञापनों को भूल भी सकते हैं।
2. इस पर प्रसारित संदेश यदि ठीक से संप्रेषित नहीं हो पाता है तो इसे दोबारा तुरन्त नहीं सुना जा सकता। इसके अलावा बीच में आने वाले व्यवधान भी इसके संप्रेषण को प्रभावित कर सकते हैं।
3. टेलीविजन की तुलना में दृश्य प्रभाव न होने के कारण रेडियो विज्ञापन कम प्रभावशाली होता है।

प्रश्न 8. विज्ञापन के किन्हीं तीन उद्देश्यों के बारे में बताइए ।
उत्तर – विज्ञापन के उद्देश्य-

1. नयी वस्तु का बाजार में प्रवेश कराना- किसी भी नयी वस्तु को बाजार में लाने से पहले ग्राहकों को इसके सम्बन्ध में पर्याप्त सूचना देनी पड़ती है और इसकी मांग उत्पन्न करनी पड़ती है। विज्ञापन ग्राहकों को नयी वस्तु की पूर्ण जानकारी देकर इसकी मांग उत्पन्न करता है। वस्तु के नाम, पैकिंग, मूल्य आदि में परिवर्तन की ग्राहकों को सूचना दी जाती है।

2. विक्रयकर्त्ता की सहायता करना – विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को वस्तु के लक्षणों, गुणों, प्राप्ति स्रोतों आदि के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी दी जाती है। इससे विक्रयकर्त्ता का कार्य सरल हो जाता है। और उन्हें कम समय तथा प्रयत्न करना पड़ता है।

3. मांग को बढ़ाना – विज्ञापन नये उत्पाद की मांग को बढ़ाता है और पुराने की मांग को बनाए रखता है। इस प्रकार जब मांग बढ़ती है तो उत्पाद की बिक्री भी बढ़ती है।

प्रश्न 9. ऐसी किन्हीं तीन वस्तुओं के नाम बताइए, जिनका विज्ञापन, पत्रिकाओं, टी.वी. तथा होर्डिंग में देना उपयुक्त होगा।
उत्तर- 1. पुस्तक का विज्ञापन देने के लिए रीडर्स डाइजेस्ट |
2. आंतरिक सज्जाकारों, वास्तुशिल्पियों, भवन-निर्माताओं के लिए डिजाइन तथा साज सम्बन्धी पत्रिकाओं में विज्ञापन

प्रश्न 10. विज्ञापन के माध्यमों का क्या अर्थ है ? विज्ञापन के विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के बारे में बताइए ।
उत्तर – विज्ञापन माध्यम का अर्थ है- वह वाहक या साधन जिसके द्वारा विज्ञापक अपना संदेश ग्राहकों तक पहुंचाता है। विज्ञापन माध्यम विज्ञापक और ग्राहक के मध्य एक कड़ी का कार्य करता है, आजकल नित्य नये माध्यमों द्वारा विज्ञापन किया जाता है।

3. इंटरनेट इलैक्ट्रॉनिक माध्यम – आज के बाजार युग में यह बहुत ही लोकप्रिय विज्ञापन माध्यम है। इसके अन्तर्गत रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट आते हैं।

1. रेडियो विज्ञापन – आजकल रेडियो विज्ञापन का एक तथा रोचक एवं सशक्त माध्यम बन गया है। इसमें लोकप्रिय धुनों तथा गीतों द्वारा विज्ञापन प्रसारित किया जाता है। रेडियो पर कार्यक्रमों के प्रसारण के दौरान बीच-बीच में छोटे-छोटे अंतराल लिए जाते हैं,
जिन्हें वस्तुओं तथा सेवाओं के विज्ञापन द्वारा भरा जाता है। इसके अतिरिक्त लोकप्रिय कार्यक्रमों को विज्ञापनदाताओं द्वारा प्रायोजित भी किया जाता है। लंबे समय तक चलने वाले प्रायोजित कार्यक्रमों में एक समय में ‘बिनाका गीतमाला’ जिसे बाद में बदलकर ‘सिबाका गीतमाला’ कर दिया गया था, काफी लोकप्रिय कार्यक्रम हुआ करता था। यह कार्यक्रम साप्ताहिक आधार पर 30 सालों तक नियमित रूप से प्रसारित किया गया।

रेडियो द्वारा विज्ञापन के अनेक लाभ हैं-
(i) रेडियो प्रसारण का क्षेत्र बहुत व्यापक है अतः लाखों लोगों तक संदेश पहुंच जाता है ।
(ii) शिक्षित तथा अनपढ़ सभी श्रोताओं से सम्पर्क सम्भव है ।
(iii) विज्ञापन को बार-बार दोहराया जा सकता है और इसमें समयानुसार परिवर्तन किया जा सकता है। किन्तु रेडियो विज्ञापन अदृश्य (Non-visual) होता है बहुत से लोग इसे समझ नहीं पाते। समय के प्रतिबंध के कारण इसमें लोचका अभाव है।

2. टेलीविजन विज्ञापन – सूचना तकनीक और इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों के तीव्र विकास के आज टेलीविजन विज्ञापन सबसे ऊपर है। टेलीविजन हमारी आँखों और कानों दोनों पर प्रभाव छोड़ते हैं। टेलीविजन पर उत्पादों को दिखाया जा सकता है तथा उनके प्रयोगों को दिखाया जा सकता है, उसकी उपयोगिता को प्रदर्शित किया जा सकता है और उपयोगिता के बारे में बताया जा सकता है। रेडियो की तरह ही टेलीविजन पर भी विज्ञापन कार्यक्रमों के बीच के अंतरालों में दिखाए जाते हैं और विज्ञापनदाता इनका प्रायोजक होता है।

लाभ
(i) इसमें ग्राहक विज्ञापन को देखता भी और सुनता भी है अतः यह अत्यन्त प्रभावशाली माध्यम है।
(ii) इस पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों में आकर्षक नारे. नाच-गाने, प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा वस्तुओं को दिखाया जाना आदि हमारे मन पर देर तक प्रभाव छोड़ते हैं।
(iii) कार्यक्रमों और चैनलों की विविधता के कारण विज्ञापनदाताओं को अपनी सुविधानुसार चैनलौं अथवा कार्यक्रमों के चुनाव की स्वतंत्रता होती है।
(iv) प्रांतीय चैनलों के अस्तित्व में आ जाने से निरक्षर लोग भी विज्ञापनों को देख-सुनकर लाभ उठा सकते हैं।

सीमाएँ
1. टेलीविजन विज्ञापन का महंगा साधन है और इसका प्रयोग बड़ी फर्में ही करती हैं।
2. आज लगभग सभी विनिर्माता टेलीविजन के माध्यम से अपने संदेश प्रसारित करना चाहते हैं, इससे दर्शकों पर प्रभाव कम पड़ता है। यही कारण है कि आज जब टेलीविजन पर कमर्शियल ब्रेक शुरू होता है तो लोग चैनल बदल देते हैं।
3. इंटरनेट – इंटरनेट सूचनाओं को एकत्रित करने तथा सम्प्रेषण का आधुनिक माधयम है। इंटरनेट के द्वारा आप किसी भी विनिर्माता अथवा सेवा प्रदान करने वाले की वेबसाइट पर जाते हैं और सभी सूचनाएँ प्राप्त कर लेते हैं। यदि कभी आपको किसी वेबसाइट का पता नहीं है तो इंटरनेट के सर्च इंजन या पटल द्वारा उसका पता प्राप्त कर लेते हैं। प्रायः सभी वेबसाइटों अथवा पटलों पर भी विभिन्न

लाभ
विनिर्माताओं तथा सेवा प्रदान करने वालों द्वारा विज्ञापन दिए जाते हैं ।
(i) घर बैठे पूरी दुनिया की सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं ।
(ii) उपयोगकर्त्ता समय, सुविधा और आवश्यकता के अनुसार विज्ञापन देख सकते हैं।

सीमाएँ
(i) इसे बिना कम्प्यूटर के नहीं देखा जा सकता ।
(ii) यह आम व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं है।
(iii) यह निरक्षर और इंटरनेट की जानकारी न रखने वाले लोगों के लिए अनुपयुक्त है।

प्रश्न 11. विज्ञापन के उन विभिन्न माध्यमों के बारे में बताइए, जिनसे सूचनाएं प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता को पैसे खर्च नहीं करने पड़ते ।
उत्तर – विज्ञापन के कुछ माध्यमों (जैसे अखबार, पत्रिकाएँ, रेडियो तथा टेलीविजन आदि) को प्रयोग हम (उपभोक्ता) अपने घरों में करते हैं। इन माध्यमों पर विज्ञापनों को देखने के लिए उपभोक्ता को कुछ न कुछ पैसा खर्च करना पड़ता है । परन्तु विज्ञापन के कुछ ऐसे माध्यम हैं जिन्हें देखने के लिए उपभोक्ता को अपनी तरफ से खर्च नहीं करना पड़ता । इनमें से कुछ प्रमुख माध्यमों की कुछ भी व्याख्या नीचे की गई है-

1. होर्डिंग – सड़क पर चलते-फिरते छतों के ऊपर मोटे-मोटे लोहे के खंभों पर या दीवारों पर लगे बड़े-बड़े होर्डिंग दिखाई देते है। ये आमतौर पर एक प्रकार के बोर्ड होते हैं जिन पर पेंट करके यह इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से डिजाइन करके विज्ञापन तैयार किए जाते हैं और उन्हें रात में या दिन में आसानी से देखा जा सकता है। ये होर्डिंग जिन स्थानों पर लगाए जाते हैं उन स्थानों के लिए विज्ञापनदाता को भुगतान करना पड़ता है।

2. पोस्टर – पोस्टरों को छापकर दीवारों, भवनों, पुलों आदि पर लगाया जाता है, ताकि इन्हें देखकर उपभोक्ता आकर्षित हों। हमारे देश में सिनेमाघरों तथा सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाने का प्रचलन आम है।

3. यान प्रदर्शनी (वेहिकूलर डिस्प्ले ) – आज बसों, ट्रकों, रेलगाड़ियों आदि जैसे सार्वजनिक वाहनों के ऊपर विज्ञापन दिखाई दे हैं। होर्डिंगों की अपेक्षा यान प्रदर्शनी गतिशील होती है और इन्हें अधिक संख्या में लोग देख सकते हैं।

4. उपहार की वस्तुएँ– आकर्षक डायरियां, कलैंडर, बटुये, कलमदान, पेपरवेट, चाबी डालने का गुच्छा आदि उपहारस्वरूप बांटे जाते हैं।

विज्ञापन के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. ‘विज्ञापन’ शब्द को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर – विज्ञापन एक परिचित प्रायोजक द्वारा भुगतान किया गया विचारों या सेवाओं का अवैयक्तिक प्रस्तुतीकरण है।

प्रश्न 2. विज्ञापन के मुख्य उद्देश्य क्या हैं? संक्षेप में व्याख्या कीजिये |
उत्तर-व्यावसायिक जगत विज्ञापन को महत्त्वपूर्ण शक्ति मानता है। विज्ञापन का उद्देश्य उत्पादन तथा वितरण की लागत में कमी करना है। विज्ञापन के बिना आज व्यापार की उन्नति सम्भव नहीं है। विज्ञापन के निम्नलिखित उद्देश्य एवं कार्य होते हैं-
1. नव-निर्मित वस्तुओं के सम्बन्ध में जनता को सूचना देना ।
2. वस्तुओं की माँग में वृद्धि करना ।
3. विक्रय में वृद्धि करना अथवा विक्रय को समर्थन देना ।
4. विद्यमान वस्तुओं के परिवर्तनों के बारे में सूचना देना ।
5. क्रय को विवेकपूर्ण बनाना ।
6. उत्पाद अथवा ब्रॉण्ड की जागरूकता पैदा करना अथवा बढ़ाना।
7. मध्यस्थों तथा विक्रेताओं के मनोबल को बढ़ाना ।
8. स्थानापन्न वस्तुओं को हतोत्साहित करना ।

प्रश्न 4. विज्ञापन के विभिन्न तत्त्व बताइये ।
उत्तर – विज्ञापन के विभिन्न तत्त्व निम्नलिखित हैं-

(i) वस्तु एवं सेवाओं का संवर्धन– विज्ञापन का उद्देश्य है उत्पाद व सेवा के संवर्धन द्वारा उसकी बिक्री बढ़ाना। (ii) संदेश के बदले भुगतान – विभिन्न माध्यमों, जैसे- समाचार – पत्र, पत्रिकाएँ, सिनेमा हॉल आदि में विज्ञापन देने के लिये आवश्यक भुगतान किया जाता है।

(iii) संदेश या गैर-वैयक्तिक प्रस्तुतीकरण – विज्ञापन में संदेश व्यक्तिगत विक्रय की भाँति आमने-सामने नहीं होता । इसका प्रस्तुतीकरण सार्वजनिक माध्यम द्वारा किया जाता है इसलिये इसे गैर-वैयक्तिक प्रस्तुतीकरण कहते हैं ।

(iv) निश्चित पहचान के प्रायोजक द्वारा जारी विज्ञापित संदेश में प्रायोजक की पहचान निश्चित होती है। उदाहरणत- टाइड सर्फ के विज्ञापन में उसके प्रायोजक प्रोक्टर एण्ड गैम्बल का नाम व संकेत चिह्न अवश्य होता है।

प्रश्न 5. ‘विज्ञापन व्यवसाय और समाज के लिये महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है’, विवेचना कीजिये ।
उत्तर – विज्ञापन की भूमिका- यह कथन कि ‘विज्ञापन करने से लाभ होता है’ बिलकुल सच है। विज्ञापन वर्तमान तथा नई वस्तुओं की माँग पैदा करने तथा माँग को बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। यह वस्तु के नाम की छवि तथा फर्म की ख्याति का निर्माण करता है। इस प्रकार व्यावसायिक फर्मों के लिये विज्ञापन बड़ी मात्रा में माल की बिक्री को सम्भव बनाता है। इससे माल का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। वस्तुओं का उत्पादन एवं वितरण कम लागत पर किया जाता है। परिणामस्वरूप वस्तुएँ एवं सेवाएँ कम मूल्य पर बेची जा सकती हैं, जिससे उनकी माँग में और वृद्धि होती है। व्यावसायिक फर्मे शोध एवं विकास कार्य में अधिक विनियोग कर सकती हैं, जिससे नये उत्पादों का विकास होता है तथा वर्तमान उत्पादों में सुधार होता है। विज्ञान के अभाव में व्यावसायिक फर्मे विभिन्न क्षेत्रों में फैले बड़ी संख्या में ग्राहकों तक नहीं पहुँच सकेंगी।

समाज में विज्ञापन की भूमिका – विज्ञापन लोगों को उनकी आवश्यकताओं एवं उनकी पूर्ति के लिए उपलब्ध वस्तुओं के प्रति सचेत करता है। विज्ञापन वस्तुओं के बारे में जानकारी देकर, उपभोक्ताओं को उन्हें खरीदने के लिये प्रेरित करते हैं। अधिक वस्तुओं को प्राप्त करने के लिये वे अधिक परिश्रम करते हैं, अधिक उत्पादन करते हैं और अपनी आय बढ़ाते हैं। इससे समाज का जीवन स्तर अन्ततः ऊँचा उठता है। विज्ञापन से ललित कला एवं संस्कृति को प्रोत्साहन मिलता है। विज्ञापन एक प्रकार का व्यवसाय है, जिसमें अनेक व्यक्ति लगे हुए हैं, जैसे-कलाकार, डिजाइन व ब्लॉक बनाने वाले, विज्ञापन की प्रतियाँ तैयार करने वाले, छापने वाले, पोस्टर चिपकाने वाले आदि-आदि। इस प्रकार विज्ञापन समाज के सदस्यों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है। विज्ञापन से समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं की आय में वृद्धि होती है। विज्ञापन से अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन मिलता है। नयी वस्तुओं की खोज तथा पुरानी वस्तुओं में निरंतर सुधार के लिये उत्पादक लगातार शोध कार्य करते हैं। अनुसंधान तथा विकास तीव्र औद्योगीकरण के लिये आवश्यक है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि विज्ञापन करने से लाभ होता है। विज्ञापन पर किया गया खर्च विनियोग है, अपव्यय नहीं।

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