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NIOS Class 10th Business Studies Chapter 10. बीमा

NIOS Class 10th Business Studies Chapter 10. बीमा

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NIOS Class 10 Business Studies Chapter 10 Solution – बीमा

प्रश्न 1. व्यापारिक जोखिम से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर– प्रत्येक व्यवसायी लाभ की आशा में पूँजी का विनियोग करता है । परन्तु लाभ की कोई गारंटी नहीं होती क्योंकि अनिश्चितता (Uncertainty) व्यवसाय का मुख्य लक्षण है। भविष्य अनिश्चित है और किसी भी समय आकस्मिक घटना घट सकती है, जैसे- आग, चोरी, मांग में कमी, मृत्यु आदि। इससे न केवल व्यवसाय को हानि होती है, वरन् उसका अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है। कोई भी व्यवसायी इन जोखिमों से पूर्ण रूप से बच नहीं सकता है।

जोखिम का अर्थ है- भविष्य की अनिश्चितता से होने वाली हानि की सम्भावना । व्यावसायिक जोखिम का तात्पर्य है भविष्य में किसी अनिश्चित तथा प्रतिकूल घटना से होने वाली सम्भावित हानि से है । व्यवसाय में लाभ की अनिश्चितता या हानि का संयोग (Uncertainty of Profit or Chance of Loss) ही व्यावसायिक जोखिम है।

प्रश्न 2. बीमा की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – बीमा वह साधन है, जिसके द्वारा कुछ शुल्क (प्रीमियम) देकर नुकसान का जोखिम दूसरे पक्ष (बीमाकार या बीमाकर्त्ता) पर डाला जा सकता है। जिस पक्ष का जोखिम बीमाकार पर डाला जाता है उसे बीमाकृत कहते हैं। बीमाकार (Insurer) आमतौर पर एक कंपनी होती है जो बीमाकृत के नुकसान या क्षति को बांटने को तैयार रहती है और ऐसा करने के लिए उसमें क्षमता होती है।
बीमा बीमाकर्ता और बीमाकृत के बीच एक अनुबंध है, जिसमें बीमाकर्त्ता बीमाकृत से एक निश्चित रकम (प्रीमियम) के बदले किसी निश्चित घटना के घटित होने (जैसे कि एक निश्चित आयु की समाप्ति या मृत्यु की स्थिति में) पर एक निश्चित रकम देता है या फिर बीमाकृत की जोखिम से होने वाले वास्तविक हानि की भरपाई करता है ।

प्रश्न 3. बीमा क्यों महत्वपूर्ण है? दो कारण लिखिए ।
उत्तर- 1. सामाजिक सुरक्षा का एक श्रेष्ठ साधन – जीवन बीमा मनुष्य की अनेक चिन्ताओं का निवारण करता है। सामाजिक सुरक्षा का यह श्रेष्ठ साधन है।
2. व्यापार की सुरक्षा – बीमे के द्वारा व्यापार में ‘सुरक्षा होती है, क्योंकि कुछ शुल्क (प्रीमियम) के बदले बीमा कम्पनी बहुत बड़ा उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लेती है। बीमा से व्यापार का विस्तार होता है। बीमा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार है।
3. बीमा क्षेत्र में काफी लोगों को रोजगार मिलता है ।
4. बीमे से लोगों में बचत की प्रवृत्ति बढ़ती है।

प्रश्न 4. बंदोबस्ती बीमा पॉलिसी का क्या अर्थ है?
उत्तर- बंदोबस्ती बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत एक निश्चित अवधि, जैसे – 10, 20, 25 वर्ष के लिए बीमा कराया जाता है। पॉलिसी की राशि का भुगतान इस अवधि की समाप्ति पर और यदि इससे पहले बीमापात्र की मृत्यु हो जाये तो मृत्यु के बाद उसके द्वारा नामांकित व्यक्ति को दिया जाता है।

प्रश्न 5. यात्रा पालिसी क्या है?
उत्तर – यात्रा पॉलिसी (Voyage Policy) – इस पॉलिसी के अन्तर्गत माल का बीमा एक स्थान से दूसरे स्थान, जैसे – बम्बई से लंदन या मद्रास से न्यूयॉर्क के लिए कराया जाता है। जोखिम प्रस्थान बन्दरगाह से प्रारम्भ होती है और गंतव्य बन्दरगाह तक पहुँचने पर समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 6. जहाजी बीमा किसे कहते हैं?
उत्तर – जहाज का मालिक समुद्री यात्रा के दौरान समुद्र में होने वाले उतार-चढ़ाव की जोखिम के लिए जहाज का बीमा करा सकता है। जब जहाज का बीमा किया जाये तो उसे जहाज बीमा या हल्ल इंश्योरेंस कहा जाता है।

प्रश्न 7. स्पष्ट कीजिए कि बीमा, व्यापार और उद्योग जगत के लिए किस प्रकार सहायक है।
उत्तर – बीमा की व्यावसायिक उपयोगिता
1. जोखिम से सुरक्षा – बीमा व्यवसाय ने माल, जहाज, रेलों, ट्रकों की जोखिमें, कारखाने की मशीनों, यंत्रों सभी की जोखिम की सुरक्षा कर अनिश्चितता के भय को समाप्त किया है। इससे व्यवसाय का विस्तार होता है।
2. साख का आधार – बीमा व्यवसायी को साख सुविधा उपलब्ध कराता है। व्यवसाय की प्रतिष्ठा का विकास, ऋणों की सुविधा आदि से व्यवसायी की साख में वृद्धि करता है।
3. कार्यक्षमता में वृद्धि – अनिश्चितता से व्यवसायी चिन्तित रहता है। बीमा निश्चितता प्रदान करता है जिससे व्यवसायी मन लगाकर काम करता है और इससे कार्यकुशलता में वृद्धि होती है ।
4. कर्मचारी कल्याण में वृद्धि – श्रमिक व्यवसाय व उद्योग के आधारभूत स्तम्भ होते हैं। मालिकों द्वारा श्रमिकों का जीवन बीमा, दुर्घटना बीमा, बीमारी बीमा कराके कर्मचारियों की कार्यकुशलता में वृद्धि की जा सकती है।
5. विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन – समुद्री मार्ग से माल भेजना जोखिम पूर्ण है किन्तु माल व जहाज के जोखिमों का बीमा हो जाने से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के विकास में सहायक होता है।
6. हानि सुरक्षा उपाय– बीमा व्यवसायी को अपनी हानियों को सीमित करने की प्रेरणा देता है। इसके लिए वे सुरक्षा के कई उपाय बताता है जिससे हानि को सुरक्षित किया जा सकता है।

प्रश्न 8. आजीवन पालिसी, बंदोबस्ती पालिसी से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- जीवन बीमा पॉलिसियां मूलतः दो प्रकार की होती हैं-
(क) आजीवन बीमा पॉलिसी
(ख) बन्दोबस्ती बीमा पॉलिसी ।
आजीवन बीमा पॉलिसी जीवन भर के लिए होती है और इसमें पूरे जीवन प्रीमियम का भुगतान करते रहना पड़ता है। बीमे की रकम का भुगतान बीमाकृत की मृत्यु के बाद ही उसके आश्रितों को किया जाता है। दूसरी तरफ बंदोबस्ती बीमा पॉलिसी सीमित समय तक या बीमाकृत की एक निश्चित आयु तक ही चलती है। बीमे की रकम का भुगतान निश्चित समय के बाद या बीमाकृत की मृत्यु होने पर, यदि उसकी मृत्यु बीमा अवधि से पहले हुई हो, किया जाता है।
इसका उद्देश्य बीमित व्यक्ति के आश्रित को आर्थिक सहारा प्रदान करना है।

प्रश्न 9. मोटर वाहन बीमा और विश्वास बीमा में किस प्रकार के जोखिम का बीमा होता है?
उत्तर – मोटर वाहन बीमा- इस बीमा के अन्तर्गत निजी एवं सार्वजनिक वाहनों का बीमा कराया जाता है। इसमें तीन प्रकार की संभावित हानियों का बीमा होता है-
(i) दुर्घटनावश मोटर गाड़ी की क्षति,
(ii) मोटर दुर्घटना से किसी यात्री को चोट या मृत्यु,
(iii) मोटर कार दुर्घटना में मोटर के मालिक द्वारा तीसरे पक्ष को देय क्षतिपूर्ति । हमारे देश में मोटर गाड़ी अधिनियम, 1939 के अन्तर्गत ऐसा बीमा कराना अनिवार्य है।

विश्वास बीमा – व्यापारी अपने उन कर्मचारियों की धोखाधड़ी और बेईमानी से होने वाली हानि की जोखिम के लिए इस प्रकार की पालिसी ले सकते हैं जो नकदी और भंडारों को संभालते हैं। इससे कर्मचारियों द्वारा धन और सामान के गबन से होने वाले नुकसान से रक्षा होती है। इसे विश्वास बीमा पालिसी कहते हैं। बीमा करने के पहले बीमा कम्पनी कर्मचारियों की विश्वसनीयता के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करती है ।

प्रश्न 10. समुद्री बीमा की क्या उपयोगिता है? आयातकों और निर्यातकों के लिए उपयोगी समुद्री बीमों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – समुद्री बीमा एक ऐसा अनुबंध है जिसके द्वारा बीमा कंपनी किसी यात्री या मालवाहक जहाज के मालिक को समुद्री यात्रा के दौरान होने वाले नुकसान की भरपाई करने का वचन देती है। इसमें जहाज पर लदे माल के नुकसान की भरपाई भी शामिल है। जो समुद्री बीमा समुद्री तूफान या अन्य प्राकृतिक कारणों से माल को हुए नुकसान की भरपाई करता है इसे माल बीमा कहते हैं। जहाज का मालिक समुद्री यात्रा के दौरान समुद्र में होने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिम के लिए जहाज का बीमा करा सकता है। जब जहाज का बीमा किया जाए तो उसे जहाज बीमा या हल्ल
इंश्योरेंश कहते हैं। जब भाड़े का भुगतान माल के मालिक द्वारा माल के गंतव्य बंदरगाह पर पहुंच जाने के बाद किया जाता है तो जहाजरानी कंपनी माल के नुकसान के कारण होने वाले भाड़े की हानि का भी बीमा करा सकती है। इस प्रकार समुद्री बीमे को भाड़ा बीमा कहते हैं । समुद्री बीमा के सभी अनुबंध – क्षतिपूर्ति के अनुबंध हैं।
समुद्री बीमा पॉलिसी के प्रकार (Types of Marine Insurance Policy)

1. मियादी बीमा पॉलिसी (Time Policy) – यह बीमा एक निश्चित अवधि के लिए होता है। यह अवधि एक साल से अधिक नहीं होती। यह बीमा पालिसी आमतौर पर जहाज या माल बीमा कराने के लिए होती है, जब माल की कम मात्रा का बीमा किया 2. यात्र बीमा पॉलिसी (Voyage Policy) – यह बीमा पॉलिसी किसी विशेष यात्रा के लिए होती है। इसमें कोई समय सीमा नहीं होत। इसका प्रयोग ज्यादातर माल बीमे के लिए किया जाता है।

3. मिश्रित बीमा पॉलिसी (Mixed Policy) – इस पॉलिसी में जहाज या माल का बीमा किसी विशेष यात्रा और निश्चित समय दोनों के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, मिश्रित बीमा के तहत एक जहाज को मुम्बई और कोलंबो के बीच 3 महीने की यात्रा के लिए बीमाकृत किया जा सकता है।

4. अनिश्चित बीमा पॉलिसी (Floating Policy) – इस बीमा पॉलिसी में माल का बार-बार बीमा कराने के बजाय एक बड़ी रकम की पालिसी ली जाती है और जब- जब माल भेजा जाता है, तब उसके बीमे की राशि मूल बीमा राशि से घटाई जाती है और माल का अलग से बीमा उस समय तक नहीं कराना पड़ता जब तक बीमे की मूल राशि खत्म न हो जाए।

बीमा के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. बीमा शब्द की परिभाषा दीजिये ।

उत्तर – बीमा एक ऐसा साधन है, जिसके द्वारा किसी भी प्रकार की क्षति की पूर्ति की जा सकती है। यह दो व्यक्तियों
के बीच एक प्रकार का अनुबंध है, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से निश्चित स्वार्थ के बदले उसकी क्षति होने की स्थिति में वह उसकी क्षतिपूर्ति करेगा ।

प्रश्न 2. आजीवन बीमा पॉलिसी एवं बंदोबस्ती बीमा पॉलिसी में अंतर कीजिये ।
उत्तर – आजीवन बीमा पॉलिसी – आजीवन बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत बीमा कराने वाला व्यक्ति प्रीमियम की राशि का भुगतान आजीवन या एक निश्चित अवधि के लिये नियमित रूप से करता है। इसकी बीमा की राशि बीमा कराने वाले के उत्तराधिकारियों को उसकी मृत्यु के पश्चात् प्राप्त होती है। बंदोबस्ती बीमा पॉलिसी – इस पॉलिसी के अन्तर्गत पॉलिसी धारक एक निश्चित अवधि के लिए पॉलिसी लेता है। इसमें बीमित व्यक्ति की निर्धारित आयु पर या उस निर्धारित आयु से पूर्व उसकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में बीमा राशि का भुगतान किया जाता है।

प्रश्न 3. एक वैध बीमा अनुबंध के किन्हीं दो सिद्धांतों का वर्णन कीजिये ।
उत्तर- बीमा अनुबंध के सिद्धांत निम्नलिखित हैं-
(i) पूर्ण सद्विश्वास का सिद्धांत – बीमा अनुबंध परस्पर सविश्वास पर निर्भर करता है, अतः बीमा कराने वाले और बीमा करने वाले दोनों के मध्य पूर्ण विश्वास और सद्भावना का संबंध होना चाहिए। बीमा कराने वाले व्यक्ति को बीमा कराते समय बीमे से संबंधित सभी पहलुओं को उजागर करना चाहिए। वे सभी तथ्य जिनका दूसरे पक्ष के निर्णय पर प्रभाव पड़ता है, महत्त्वपूर्ण तथ्य होते हैं, अतः उनका प्रकटीकरण अवश्य करना चाहिए। बीमा कराते समय यदि बीमा कराने वाला व्यक्ति किसी महत्त्वपूर्ण सूचना को नहीं बताता, तो बीमा करने वाले को यह पूर्ण अधिकार हैं कि वह उस बीमा पॉलिसी को उस महत्त्वपूर्ण सूचना के ज्ञात होने पर रद्द कर सकता है।

(ii) क्षतिपूर्ति का सिद्धांत – बीमा करवाने का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि दुर्घटना की स्थिति में उसकी क्षति की पूर्ति की जाये। यह सिद्धांत सामुद्रिक बीमा, अग्नि बीमा एवं साधारण बीमा में लागू होता है किन्तु जीवन बीमा में इस सिद्धांत का अनुसरण करना संभव नहीं है क्योंकि मृत्यु की क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती। अग्नि बीमे में बीमित व्यक्ति को इस बात का आश्वासन दिया जाता है कि बीमा कराई गई वस्तु में आग लग
जाने पर जो हानि होगी, उसकी पूर्ति बीमे की रकम देकर की जाएगी। क्षतिपूरक अनुबंध में बीमा कराई गई रकम व वास्तविक हानि में जो भी रकम कम होती है, बीमा कंपनी द्वारा दी जाती है । बीमे को लाभ का साधन न बनाया जाये, इसलिये क्षतिपूरक शुद्ध हानि से अधिक रकम नहीं दी जा सकती।

प्रश्न 4. ‘बीमा’ से आपका क्या अभिप्राय है? बीमे कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर – बीमा दो व्यक्तियों के बीच एक प्रकार का प्रसंविदा है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से निश्चित स्वार्थ के बदले उसकी क्षति होने की अवस्था में क्षतिपूर्ति का अनुबंध करता है । बीमा कराने वाले व्यक्ति को बीमित कहते हैं तथा बीमा करने वाली कंपनी को बीमाकार कहते हैं । निश्चित स्वार्थ की राशि जिसके बदले में बीमाकार क्षतिपूर्ति का भुगतान करने को स्वीकार करता है, प्रीमियम कहते हैं। बीमा को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है- (क) जीवन बीमा
(ख) अग्नि बीमा
(ग) सामुद्रिक बीमा
(घ) अन्य प्रकार के बीमे ।

(क) जीवन बीमा – मनुष्य का जीवन अनिश्चितताओं से व जोखिमों से भरा है। कब, कहाँ, क्या हो जाए इसका पता लगाना मुश्किल है। कभी-कभी व्यक्ति की असमय ही मृत्यु हो जाती है। ऐसे समय में उसके परिवार को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार कई बार व्यक्ति अपने बुढ़ापे को आरामदायक बनाने के लिये अपने धन का संचय इस प्रकार करना चाहता है जिससे उसे नियमित आय मिलती रहे। इसी प्रकार कई बार अपने बच्चों के विवाह के लिये या उन्हें उच्च शिक्षा दिलाने के लिये एक साथ बड़ी रकम की आवश्यकता होती है। इन सभी परेशानियों को जीवन बीमा दूर कर सकता है। जीवन बीमा एक ऐसा अनुबंध है, जिसके अन्तर्गत बीमित, बीमाकार को एक निश्चित प्रीमियम देता है और बदले में बीमाकार एक निश्चित अवधि के बाद या उससे पूर्व बीमित की मृत्यु हो जाने पर बीमे की रकम का भुगतान करता है। मुख्य रूप से जीवन बीमा पॉलिसियाँ दो प्रकार की होती हैं-

1. आजीवन बीमा पॉलिसी,
2. बंदोबस्ती बीमा पॉलिसी ।

आजीवन बीमा पॉलिसी में प्रीमियम की राशि का भुगतान बीमित को आजीवन अथवा एक निश्चित अवधि के लिये नियमित रूप से करना होता है। इसकी राशि बीमित की मृत्यु के पश्चात उसके उत्तराधिकारियों को देय होती है। बंदोबस्ती बीमा पॉलिसी एक निश्चित अवधि के लिये होती है अर्थात बीमित व्यक्ति द्वारा एक निश्चित आयु को प्राप्त करने या उस आयु को प्राप्त करने से पूर्व उसकी मृत्यु की स्थिति में बीमा कंपनी द्वारा बीमा राशि का भुगतान किया जाता है। इन पॉलिसियों के अतिरिक्त अन्य पॉलिसी भी हैं, जो बीमा कंपनियाँ अपने ग्राहकों को देती हैं-

(i) संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी (iii) पेंशन योजना
(ii) धनवापसी पॉलिसी
(v) सामुद्रिक बीमा ।
(iv) यूनिट योजनाएँ

(ख) अग्नि बीमा – अग्नि बीमा का अनुबंध एक क्षतिपूरक अनुबंध है जिसके अन्तर्गत बीमाकार प्रीमियम के बदले बीमित की संपत्ति में अग्नि से होने वाली क्षति का उत्तरदायित्व लेता है। अग्नि बीमा एक निश्चित अवधि के लिये कराया जाता है, यदि इस समय के दौरान कोई क्षति नहीं होती तो बीमा कंपनी बीमा – पात्र को कुछ नहीं देती। यदि किसी बीमा किये हुए संपत्ति में समय की अवधि के दौरान आग लग जाती है तो बीमा कंपनी बीमे की रकम और वास्तविक हानि में जो रकम कम होती है, उसका भुगतान कर देती है। अग्नि से होने वाले क्षति भुगतान करने की दो शर्तें होती हैं-
(i) आग वास्तव में लगी हो।
(ii) आग जान-बूझकर नहीं लगाई गई हो बल्किदुर्घटनावश लगी हो।

(ग) सामुद्रिक बीमा – सामुद्रिक बीमा एक ऐसा अनुबंध है, जिसमें बीमा कंपनी जहाज या जहाजी माल को समुद्र की यात्रा के दौरान होने वाली क्षति की पूर्ति का आश्वासन देती है। समुद्री यात्रा के दौरान होने वाली हानि को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है-
1. जहाज को हानि
2. जहाजी माल की हानि एवं
3. माल भाड़े की हानि ।
माल की हानि से संबंधित बीमे को माल (कार्गो) बीमा कहते हैं । जहाज के स्वामी द्वारा समुद्री जोखिमों से होने वाली हानियों से बचने के लिये कराया गया बीमा जहाजी बीमा
कहलाता है।

(घ) अन्य प्रकार के बीमे- उपर्युक्त इन सभी बीमों के अतिरिक्त भी बीमा कंपनियाँ विभिन्न पॉलिसियों के माध्यम से अन्य कई जोखिमों का बीमा करती हैं, जो इस प्रकार हैं-
1. मोटर वाहन बीमा
2. स्वास्थ्य बीमा
3.फसल बीमा
4. रोकड़ का बीमा
5. पशुओं का बीमा
6. राजेश्वरी महिला कल्याण बीमा योजना
7. अमर्त्य शिक्षा योजना बीमा पॉलिसी
8. चोरी से क्षति का बीमा
9. विश्वसनीयता का बीमा

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