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रसखान का जीवन परिचय | Raskhan Ka Jivan Parichay

रसखान का जीवन परिचय | Raskhan Ka Jivan Parichay

रसखान का जीवन परिचय, रचनाएं और भाषा शैली |Raskhan Biography In Hindi –इस लेख में, हम विस्तार से रसखान के जीवन परिचय को समझेंगे। इनका जीवन परिचय कक्षा 10 तथा 12 के छात्रों के लिये बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। क्योकी बोर्ड की परीक्षा में हिन्दी के प्रश्न पत्र में रसखान की जीवनी के प्रश्न पुछे जाते है। ऐसे में अगर आप उन छात्रों में से है जो, इस समय बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहा है। तो इस जीवनी को आप पुरा ध्यानपूर्वक से अवश्य पढ़े ।

निचे आपको रसखान का जीवन परिचय, काव्यगत विशेषताएँ, एवं भाषा शैली और उनकी प्रमुख रचनाएँ के बारे में भी जानेंगे| रसखान का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय नीचे दिया गया है।

Raskhan ka jivan Parichay

नाम रसखान
वास्तविक नाम सैय्यद इब्राहिम खान
जन्म तिथि 1548
जन्म स्थान अमरोहा
मृत्यु तिथि 1628
मृत्यु स्थान वृंदावन
राष्ट्रीयता भारतीय
शैली भावात्मक
छन्द कवित्त दोहा सवैया
रचनाएँ सुजान सखान, प्रेमवाटिका
पिता का नाम गंनेखां (निश्चित नहीं)
माता का नाम मिश्री देवी (निश्चित नहीं)
गुरु का नाम गोस्वामी बिट्ठलनाथ

रसखान का जीवन परिचय (Raskhan Ka Jivan Parichay )

रसखान कृष्णभक्त कवि थे। उनका जन्म सन् 1548 के लगभग दिल्ली के एक संपन्न पठान परिवार में हुआ था। वे मुसलमान होते हुए भी श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे। उनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था। वे अत्यंत प्रेमी स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्हें वैष्णव भक्तों ने श्रीकृष्ण के रूप-माधुर्य से परिचित करवाया। तभी से वे श्रीकृष्ण के भक्त बन गए थे। वे श्रीकृष्ण की भक्ति में इतने भाव-विभोर हो उठे कि श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए श्रीनाथ के मंदिर में भी गए थे। यह भी कहा जाता है कि उन्हें श्रीकृष्ण ने दर्शन दिए थे। गोकुल पहुँचकर उन्होंने श्री विट्ठलनाथ से दीक्षा ली। तब से वे ब्रज-भूमि में रहने लगे थे। उनकी रसमयी भक्ति के कारण उनका नाम रसखान पड़ गया। सन् 1628 के लगभग उनका देहांत हो गया।

रसखान की प्रमुख रचनाएँ

रसखान की निम्नलिखित दो रचनाएँ प्राप्त हैं (1) सुजान रसखान-इसमें सवैये हैं, (2) प्रेमवाटिका-इसमें दोहे हैं।

1. सुजान रसखान- इसमें कवित्व, दोहा, सोरठा और सवैये हैं, यह 139 शब्दों का संग्रह है। यह भक्ति और प्रेम विषय पर मुक्त काव्य है।

2. प्रेमवाटिका- इसमें केवल 25 दोहे हैं। इस रचना में प्रेम रस का पूर्ण परिपाक हुआ है। रसखान की समग्र रचनाएं कृष्ण भक्ति एवं बृज प्रेम में लिप्त हैं।

रसखान की काव्यगत विशेषताएँ

कविवर रसखान ने श्रीकृष्ण की लीलाओं का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया है। श्रीकृष्ण और गोपियों के प्रेम का अत्यंत सुंदर वर्णन इनके काव्य का प्रमुख विषय है। इनके काव्य में श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का भी बड़ा मनोरम वर्णन किया गया है। निम्नलिखित पंक्तियों में बालक कृष्ण की रूप-छवि देखते ही बनती है
“धूरि भरे अति शोभित स्यामजू तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिरै अँगना पग पैंजनी बाजति पीरी कछोटी ॥”
श्रीकृष्ण के प्रति भक्त-हृदय की निष्ठा का पता रसखान के निम्नलिखित सवैये से भली प्रकार चलता है
“या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं ।
आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं ॥”

रसखान के काव्य में रस धारा निरंतर प्रवाहित है। उन्होंने अपने काव्य में विभिन्न रसों का वर्णन किया है, किंतु शृंगार रस में राधा-कृष्ण के संयोग शृंगार का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है। उनके काव्य में कृष्ण की रूप-माधुरी, राधा कृष्ण की प्रेम-लीलाओं और ब्रज-महिमा का वर्णन मिलता है। रस-योजना में रसखान को पूरी सफलता मिली है। इनके द्वारा रचित श्रीकृष्ण की लीलाओं का गान करते हुए वास्तव में ही भक्तजन रस-विभोर हो उठते हैं।

रसखान की शिक्षा

रसखान एक ऐसे कवि थे जो कृष्ण से बहुत प्रेम करते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन गोकुल नामक स्थान पर कृष्ण की पूजा में बिताया। रसखान बहुत होशियार था और हिंदी, संस्कृत, फारसी और अरबी जैसी कई भाषाओं को जानता था। वे गोस्वामी विठ्ठलदास जी के शिष्य बन गए जिन्होंने उन्हें वैष्णववाद, कृष्ण की पूजा करने का एक तरीका सिखाया। उसके बाद रसखान ने अपना जीवन कृष्ण को समर्पित कर दिया और उनके अनन्य भक्त बन गए।

रसखान की भाषा-शैली

रसखान ने ब्रज नामक भाषा का प्रयोग करते हुए कविताएँ लिखीं। उन्होंने इस भाषा का सही प्रयोग किया और सुंदर छंद बनाए। उनकी कविता सरल और भावपूर्ण है, और लोग आज भी इसे पढ़ने और सुनने का आनंद लेते हैं। उनकी भाषा अत्यंत शुद्ध और परिष्कृत है, जो अन्य काव्यों में प्रायः नहीं मिलती। हालाँकि उनकी कविताओं में अलंकारों भाषा की आवश्यकता नहीं थी, फिर भी उन्होंने उन्हें और भी अच्छा बनाने के लिए अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया। भारत में बहुत से लोग रसखान की कविताओं को पसंद करते हैं और अभी भी उनके दोहे सुनते हैं।

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Raskhan Ka Jivan Parichay – FAQ (रसखान से जड़े कुछ प्रश्न उत्तर)

प्रश्न – रसखान के पिता कौन है?
उत्तर – रसखान के पिता एक जागीरदार (अमीर जमींदार) थे।

प्रश्न –  रसखान का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर – रसखान जी का दूसरा नाम सैय्यद इब्राहिम था और यही इनका वास्तविक नाम है।

प्रश्न – रसखान कौन थे?
उत्तर – रसखान जिनका मूल नाम सैयद इब्राहिम खान था एक भारतीय सूफी मुस्लिम कवि थे।

प्रश्न – रसखान का जन्म कब हुआ था?
उत्तर – रसखान के जन्म को लेकर विद्वानों में काफी मतभेद है। कुछ विद्वान यह मानते है की, रसखान का जन्म सन् 1533 से 1558 के बीच कभी हुआ था। जबकी, कुछ विद्वानों का कहना है की इनका जन्म सन् 1548 ई. में हुआ था।

प्रश्न – रसखान का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर – रसखान जी का जन्म कहाँ हुआ था यह निश्चित रूप से कोई नही जानता, इस बात को भी लेकर विद्वानों में कई मतभेद है। कुछ मानते है की इनका जन्म दिल्ली में हुआ था जबकी, कुछ और लोगों के मतानुसार इनका जन्म उत्तरप्रदेश के हरदोई जिले में पिहानी नामक ग्राम में हुआ था।

प्रश्न – रसखान के गुरु का क्या नाम है?
उत्तर – रसखान के गुरु का नाम गोस्वामी विट्ठलदास था।

प्रश्न – रसखान किस काल के कवि थे?
उत्तर – रसखान जी भक्ति काल के कवि थे।

प्रश्न – रसखान की मृत्यु कब हुई?
उत्तर – रसखान की मृत्यु 1628 ईसवी के लगभग हुई थी।

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