राजा किसान और नगर के प्रश्न उत्तर
राजा किसान और नगर के प्रश्न उत्तर
Raja Kishan aur Nagar Question Answer – इस पोस्ट में हम कक्षा 12 के छात्रों के लिए एनसीईआरटी इतिहास अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर लेकर आये हैं। जो छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी अच्छी तरह से करना चाहते हैं वे हमारे इस पोस्ट से अध्याय 2 “राजा किसान और नगर” के प्रश्न एवं उत्तरों की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हमारी वेबसाइटसे आप NCERT BOOK के अध्याय 2 “राजा किसान और नगर” के सभी प्रश्न उत्तर विस्तृत रूप में उपलब्ध हैं जिसको पढ़कर छात्र परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं
Class 12th History Chapter 2. राजा, किसान और नगर
राजा किसान और नगर के अति लघु उत्तरीय प्रश्न
अथवा
जेम्स प्रिंसेप के योगदान को भारतीय अभिलेख-विज्ञान में एक ऐतिहासिक प्रगति क्यों माना गया?
उत्तर. – ईस्ट इंडिया के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप ने सम्राट अशोक के अभिलेखों पर लिखी ब्राह्मी लिपि का अर्थ निकाला तथा ब्राह्मी लिपि को पढ़ने में सहायता की। इस प्रकार मौर्यकालीन इतिहास के एक नई तस्वीर सामने आई। नि:संदेह अभिलेख-विज्ञान की प्रगति में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था।
उत्तर. – छठी शताब्दी ई० पू० में उत्तरी भारत में कुछ बड़े-बड़े राज्य स्थापित हो गए थे। इन्हें महाजनपद कहा जाता था। इनकी संख्या 16 थी।
महत्त्वपूर्ण महाजनपद- (i) मगध (ii) कोशल (iii) वज्जि (iv) कुरु (v) अवंति (vi) पांचाल (vii) गंधार इत्यादि।
उत्तर. – मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद बनकर उभरा। इसके तीन महत्त्वपूर्ण शासक थे-बिंबिसार, अजातशत्रु तथा महापद्मनंद।
उत्तर. – मौर्य का साम्राज्य प्रारंभिक भारतीय इतिहास का पहला विशाल साम्राज्य था। इस काल में राजनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में कई नई प्रवृत्तियों का विकास हुआ। इसी कारण मौर्य साम्राज्य को प्रारंभिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख काल माना जाता है।
उत्तर. -मगध की प्रारंभिक राजधानी राजगाह (राजगीर) थी। यह पहाड़ियों के बीच बसा एक किलेबंद शहर था। चौथी शताब्दी ई० पू० में पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया गया जिसे अब पटना कहा जाता है।
उत्तर. – चंद्रगुप्त मौर्य मौर्य वंश का संस्थापक था। उसने 321 ई० पू० में मौर्य वंश की स्थापना की थी। उसका राज्य पश्चिमोत्तर में अफ़गानिस्तान और बलोचिस्तान तक फैला हुआ था।
उत्तर. –कुषाणों ने उच्च स्थिति प्राप्त करने के लिए स्वयं को देवतुल्य प्रस्तुत करने का प्रयास किया। इस उद्देश्य से उन्होंने देवस्थानों (मंदिर आदि) पर अपनी विशालकाय मूर्तियाँ लगवाईं। ऐसी विशालकाय मूर्तियाँ उत्तर प्रदेश में मथुरा के निकट स्थित माट से तथा अफ़गानिस्तान के एक देवस्थान से मिली हैं। उन्होंने अपने नाम के आगे देवपुत्र’ की उपाधि भी लगाई।
उत्तर. –असोक (अशोक) के अधिकतर अभिलेखों की भाषा प्राकृत है। ये ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं परंतु पश्चिमोत्तर से मिले अभिलेख अरामेइक तथा यूनानी भाषा में है। इनमें से कुछ की लिपि खरोष्ठी है। अरामेइक तथा यूनानी भाषाओं का प्रयोग मुख्यतः अफ़गानिस्तान में मिले अभिलेखों में किया गया है।
उत्तर. –सबसे प्राचीन अभिलेख मौर्य शासक अशोक के हैं। इनके माध्यम से अशोक (असोक) ने अपने धम्म का प्रचार किया था जिसके मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित थे
(1) बड़ों के प्रति आदर
(2) संन्यासियों तथा ब्राह्मणों के प्रति उदारता
(3) अपने सेवकों तथा दासों के साथ उदार व्यवहार
(4) दूसरों के धर्मों तथा परंपराओं का आदर
उत्तर. –प्रशस्तियाँ राजा की प्रशंसा में लिखे गए लेख हैं। गुप्त शासक समुद्रगुप्त के बारे में हरिषेण द्वारा रचित ‘प्रयाग प्रशस्ति काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। इससे हमें पता चलता है कि समुद्रगुप्त सबसे शक्तिशाली गुप्त सम्राट था।
उत्तर. -(1) मौर्य साम्राज्य केवल 150 वर्षों तक ही चल पाया जिसे बहुत बड़ा काल नहीं माना जा सकता। (2) यह उपमहाद्वीप के सभी क्षेत्रों में नहीं फैल पाया था।
(3) साम्राज्य की सीमा के अंतर्गत भी प्रशासन का नियंत्रण एक समान नहीं था।
उत्तर. -(1) मौर्य साम्राज्य के पाँच बड़े केंद्र थे। इनमें से पाटलिपुत्र सबसे बड़ा केंद्र था जो मौर्य साम्राज्य की राजधानी था।
(2) मौर्य साम्राज्य बहुत ही विशाल था जिसके कारण प्रशासन में विविधता पाई जाती थी।
उत्तर. –सरदार एक शक्तिशाली व्यक्ति होता है। उसका पद पैतृक भी हो सकता है और नहीं भी। उसके कार्यों में विशेष अनुष्ठानों का संचालन करना, युद्ध के समय नेतृत्व करना तथा विवादों को सुलझाने में मध्यस्थता करना आदि शामिल है। वह अपने अधीन लोगों से भेंट लेता है और उसे अपने समर्थकों में बाँटता है।
उत्तर. -तमिलकम से अभिप्राय उपमहाद्वीप के दक्कन तथा उससे दक्षिण के क्षेत्र से है। इसमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश तथा केरल राज्य के कुछ भाग शामिल हैं। मौर्यकालीन तमिलकम में चोल, चेर तथा पांडेय आदि सरदारियों का उदय हुआ। ये राज्य बहुत ही समृद्ध तथा स्थायी सिद्ध हुए।
उत्तर. -मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी।
प्रांतीय केंद्र-(i) तक्षशिला (ii) उज्जयिनी (iii) तोसली अथवा तोशाली (iv) सुवर्णगिरि
उत्तर. -(1) मध्य तथा पश्चिम भारत में शासन करने वाले सातवाहन ।
(2) उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर तथा पश्चिम में शासन करने वाले शक।
उत्तर. -कुषाणों ने उच्च स्थिति प्राप्त करने के लिए स्वयं को देवतुल्य प्रस्तुत करने का प्रयास किया। इस उद्देश्य से उन्होंने देवस्थानों (मंदिर आदि) पर अपनी विशालकाय मूर्तियाँ लगवाईं। ऐसी विशालकाय मूर्तियाँ
उत्तर. प्रदेश में मथुरा के निकट स्थित माट से तथा अफ़गानिस्तान के एक देवस्थान से मिली हैं। उन्होंने अपने नाम के आगे ‘देवपुत्र’ की उपाधि भी लगाई।
उत्तर. – (1) साहित्य (2) सिक्के तथा अभिलेख (3) कवियों द्वारा उनकी प्रशंसा में लिखी गई प्रशस्तियाँ।
उत्तर. -एक अभिलेख के अनुसार सुदर्शन झील का निर्माण मौर्यकाल में एक स्थानीय राज्यपाल ने करवाया। इसकी मरम्मत शक शासक रुद्रदमन तथा गुप्त शासक ने करवाई थी।
उत्तर. -मनुस्मृति आरंभिक भारत का सबसे प्रसिद्ध विधि ग्रंथ है। यह संस्कृत भाषा में है जिसकी रचना 200 ई० पू० से 200 ई० के बीच हुई थी। इसमें राजा को सलाह दी गई कि भूमि-विवादों से बचने के लिए सीमाओं की गुप्त पहचान बनाकर रखनी चाहिए। इसके लिए सीमाओं पर भूमि में ऐसी वस्तु दबाकर रखनी चाहिए जो समय के साथ नष्ट न हो।
उत्तर. –बाणभट्ट कन्नौज के शासक हर्षवर्धन का राजकवि था। हर्षचरित नामक ग्रंथ उसी ने लिखा था। संस्कृत भाषा का यह ग्रंथ हर्षवर्धन की जीवनी है।
उत्तर. –प्रभावती गुप्त आरंभिक भारत के एक प्रसिद्ध शासक चंद्रगुप्त वितीय (375-415 ई०) की पुत्री थी। उसका विवाह दक्कन पठार के वाकाटक परिवार में हुआ था। उसने भूमि-दान दिया था जो किसी महिला द्वारा दान का विरला उदाहरण है।
उत्तर. -(1) विभिन्न क्षेत्रों में दान में दी गई भूमि में अंतर पाया जाता है। कहीं छोटे-छोटे टुकड़े तो कहीं बहुत बड़े टुकड़े दान में दिए
(2) भूमिदान पाने वाले लोगों के अधिकारों में भी क्षेत्रीय अंतर मिलते हैं।
उत्तर. -(1) कुछ इतिहासकारों के अनुसार यह नए क्षेत्रों में कृषि के विस्तार की एक नीति थी।
(2) कुछ अन्य इतिहासकारों का मत है कि जब किसी राजा का अपने सामंतों पर नियंत्रण ढीला पड़ जाता था तो वह भूमिदान देकर अपने लिए नए समर्थक जुटाता था।
(3) ऐसा भी माना जाता है कि कुछ राजा भूमिदान देकर अपनी शान और शक्ति का आडंबर रचते थे। प्रश्न
उत्तर. -(1) पाटलिपुत्र जैसे नगर नदी मार्ग के किनारे बसे थे।
(2) उज्जयिनी जैसे नगर भूतल मार्गों के किनारे थे।
(3) पुहार जैसे नगर समुद्र तट पर स्थित थे, जहाँ से समुद्री मार्ग प्रारंभ हुए।
उत्तर. -(1) अधिकांश नगर महाजनपदों की राजधानियाँ थीं।
(2) प्रायः सभी नगर-संचार मार्गों के किनारे बसे थे।
(3) मथुरा जैसे अनेक नगर व्यावसायिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र थे।
उत्तर. –हड़प्पा शहरों को छोड़कर कुछ किलेबंद नगरों से विभिन्न प्रकार के पुरावशेष प्राप्त हुए हैं। इनमें उच्चकोटि के मिट्टी के कटोरे तथा थालियाँ शामिल हैं जिन पर चमकदार कलई चढ़ी है। इन्हीं पात्रों को उत्तरी कृष्ण मार्जित पात्र कहा जाता है। इनका उपयोग संभवत: धनी लोग करते थे।
उत्तर. -दानात्मक अभिलेख दूसरी शताब्दी ई० के छोटे-छोटे अभिलेख हैं जो विभिन्न नगरों से मिले हैं। इनमें धार्मिक संस्थाओं को दिए गए दान का विवरण है। इनमें दान देने वाले व्यक्ति के नाम के साथ-साथ उसके व्यवसाय का भी उल्लेख किया गया है। इनमें नगरों में रहने वाले विभिन्न शिल्पियों, अधिकारियों, व्यापारियों तथा राजाओं का विवरण मिलता है।
उत्तर. -उत्पादकों तथा व्यापारियों के संघ को ‘ श्रेणी’ कहा जाता था। ये श्रेणियाँ कच्चा माल खरीदती थीं और उससे सामान तैयार करके बाज़ार में बेचती थीं।
उत्तर. -पेरिप्लस यूनानी भाषा का एक शब्द है। इसका अर्थ समुद्री यात्रा है। पेरिप्लस ऑफ़ एरीथ्रियन सी आरंभिक भारत के समुद्री व्यापार पर प्रकाश डालता है।
उत्तर. -आहत सिक्के छठी शताब्दी ई० पू० के राजाओं ने जारी किए। यह भी संभव है कि व्यापारियों तथा कुछ धनी लोगों ने भी इस प्रकार के सिक्के जारी किए हों। ये सिक्के चाँदी तथा ताँबे के बने हुए थे। इन सिक्कों पर प्रतीकों को आहत करके बनाया जाता था। सिक्कों के प्रचलन से व्यापार के लिए विनिमय काफ़ी सरल हो गया।
उत्तर. -शासकों की प्रतिमा तथा नाम के साथ सबसे पहले सिक्के हिंद-यूनानी शासकों ने जारी किए। वे दूसरी शताब्दी ई० पू० में उपमहाद्वीप के पूर्वोत्तर क्षेत्र पर शासन करते थे।
उत्तर. -सोने के सबसे प्रथम सिक्के प्रथम शताब्दी ई० में कुषाण शासकों ने जारी किए थे। इन सिक्कों का आकार और भार तत्कालीन रोमन सम्राटों तथा ईरान के पार्थियन शासकों द्वारा जारी सिक्कों के बिल्कुल समान था। बाद में गुप्त शासकों ने भी सोने के सिक्के चलाए। इनमें प्रयुक्त सोना अति उत्तम था।
उत्तर. -अशोक ने ‘देवानांप्रिय’ तथा ‘पियदस्सी’ की उपाधियाँ धारण कीं। ‘देवानांप्रिय’ का अर्थ है-देवताओं का प्रिय तथा ‘पियदस्सी’ का अर्थ है-देखने में सुंदर।
उत्तर. -राजधानी शहरों का विशेष महत्त्व होता है। यहाँ सभी प्रकार की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियाँ चलती रहती हैं। इनकी शत्रु से रक्षा करना भी जरूरी होता है। महाजनपद काल के राजधानी शहरों पर भी ये बातें लागू होती थीं। अतः इन शहरों के चारों ओर दीवारें बनवाई गईं ताकि उन्हें मज़बूत किलों का रूप दिया जा सके।
उत्तर. -अशोक के सिंह शीर्ष को भारत सरकार ने राज्य चिह्न के रूप में अपनाया है। यह हमारी एकता, वीरता, प्रगति तथा उच्च आदर्शों का प्रतीक है। इन्हीं बातों के कारण सिंह शीर्ष को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
उत्तर. –निरीक्षण के लिए अधिकारियों की नियुक्ति इसलिए की जाती थी, ताकि सभी आर्थिक गतिविधियाँ सुचारु रूप से चलती रहें। इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना तथा सभी व्यवसायियों को समान हक दिलवाना भी था।
उत्तर. -यूनानी स्रोतों के अनुसार मौर्य सम्राट के पास छः लाख पैदल सैनिक, तीस हजार घुड़सवार तथा नौ हज़ार हाथी थे।
उत्तर. –ब्राह्मण मध्य एशिया से आए शकों को मलेच्छ, बर्बर अथवा अन्यदेशीय मानते थे। उनका सुप्रसिद्ध शासक रुद्रदमन था जिसने सुदर्शन सरोवर का जीर्णोद्वार करवाया था।
उत्तर. -(1) अत्यधिक राजस्व
(2) अपार सैनिक सामग्री
(3) भारी मात्रा में रसद
(4) सेना को रखने के स्थान इत्यादि।
उत्तर. –लोग पांड्य सरदारों का सम्मान करते थे क्योंकि वे उनके अधीन रहकर सुखी और प्रसन्न थे। इसलिए वे उनके लिए तरह-तरह के उपहार लाते थे। सरदार इन उपहारों का उपयोग संभवत: स्वयं करते होंगे अथवा इन्हें राजा की आधी मूर्ति अपने समर्थकों के बीच बाँट देते होंगे।
प्रश्न 42. दी गई मूर्ति में ऐसी क्या विशेषताएँ हैं जिनसे यह प्रतीत होता है कि यह एक राजा की मूर्ति है?
उत्तर. -(1) मूर्ति की पोशाक शाही है।
(2) उसने तलवार धारण की हुई है।
(3) इसे गौरवपूर्ण मुद्रा में दिखाया गया है।
उत्तर. –शासकों ने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई के प्रबंध किए। इसके दो मुख्य कारण थे
(1) कृषि राज्य की आय का मुख्य साधन था।
(2) कृषि से लोगों को भोजन दिया जा सकता था।
उत्तर. –आरंभिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ई०पू० को एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी काल माना जाता है। इस काल को प्रायः आरंभिक राज्यों, नगरों, लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के साथ जोड़ा जाता है। इसी काल में बौद्ध तथा जैन धर्म सहित विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ है।
उत्तर. -(1) कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए गंगा और कावेरी की घाटियों के उर्वर क्षेत्र में हल का प्रयोग किया गया।
(2) भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में उर्वर भूमि की जुताई लोहे के फाल वाले हलों से की जाने लगी।
(3) उत्पादन बढ़ाने का एक अन्य तरीका था—सिंचाई जो कुओं, तालाबों तथा कहीं-कहीं नहरों द्वारा की जाती थी। (कोई दो लिखें)
उत्तर. -‘पेरिप्लस ऑफ़ एरीथ्रियन सी’ का लेखक एक यूनानी समुद्री यात्री था। उसने समुद्र द्वारा होने वाले विदेशी व्यापार को दर्शाने के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की सूची तैयार की थी। वह यह दर्शाना चाहता था कि भारत से काली मिर्च तथा दाल-चीनी, जैसे गर्म मसाले निर्यात किए जाते थे। इसके बदले में भारत में बहुमूल्य वस्तुएँ (पुखराज, मँगे, हीरे आदि) आयात किए जाते थे।
उत्तर. –पाटलिपुत्र नगर पाटलिग्राम नामक एक गाँव से विकसित हुआ था। पाँचवीं शताब्दी ई० पू० में मगध के शासकों ने अपनी राजधानी राजगाह से हटाकर इस बस्ती में लाने का निर्णय किया और इसका नाम बदल दिया। चौथी शताब्दी ई० पू० तक आते-आते यह मौर्य साम्राज्य की राजधानी बन गया। उस समय यह नगर एशिया के सबसे बड़े नगरों में से एक था।
उत्तर. (i) राजा को प्रजा के हितों का ध्यान रखना चाहिए। उनकी हर प्रकार के उत्पीड़न से रक्षा की जानी चाहिए।
(ii) आधिकारी वर्ग को अपनी ग्रामीण प्रजा के प्रति विशेष रूप से उदारता की नीति अपनानी चाहिए, क्योंकि गांव का कृषि प्रधान समाज की राजस्व का मूल स्रोत होता है।
उत्तर. –गहपति घर का मुखिया होता था। वह घर में रहने वाली महिलाओं, बच्चों, नौकरों और दासों पर नियंत्रण रखता था। परिवार की भूमि, जानवर तथा अन्य सभी वस्तुओं का वही स्वामी होता था। कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग नगरों में रहने वाले संभ्रांत व्यक्तियों और व्यापारियों के लिए भी किया जाता था।
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