सौर ऊर्जा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

सौर ऊर्जा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

सौर ऊर्जा वह ऊर्जा है जो सीधे सूरज से प्राप्त की जाती है सौर ऊर्जा मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है यह धरती पर सभी प्रकार के जीवन का सहारा है वैसे तो सौर ऊर्जा के विविध प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है किंतु सूरज की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर ऊर्जा के रूप में जाना जाता है सूरज की ऊर्जा को 2 प्रकार से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है प्रकाश विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरफ पदार्थ को सूरज की उष्मा से गर्म करने के लिए इसे विद्युत जनित्र चलाकर.नीचे आपको सौर ऊर्जा से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है.इस जानकारी से आप अपनी बिजली का बचाव कर सकते है .

सौर ऊर्जा विकिरण (Solar radiation)

सौर ऊर्जा विकिरण वह विकिरण ऊर्जा है जो सूर्य एक नाभिकीय संलयन प्रतिक्रिया के समय छोड़ता है जिससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऊर्जा का निर्माण होता है साधारण भाषा में हम कह सकते हैं कि सूर्य में ऊर्जा उत्पादन का मुख्य कारण ड्यूटेरियम परमाणुओं के फयूजन से हीलियम बनाना है इस संलयन प्रणाली के दौरान कुछ द्रव्यमान क्षति होती है जो ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है.

भारत एवं सौर ऊर्जा विकीरण

भारत एक धनी आबादी वाला एक बड़ा देश है जहां आज भी बड़ी मात्रा में गांव विद्युत ऊर्जा से वंचित है ऐसे में सौर ऊर्जा ऊर्जा का एक मुख्य स्रोत है जिसे लोग अपने दिनचर्या के विभिन्न कार्यों में इस्तेमाल करते हैं मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत के लगभग सभी राज्यों में 250 से 300 दिन प्रतिवर्ष सूर्य का अच्छा प्रकाश होता है भारत में प्रतिवर्ष औसत 3500 ट्रिलियन सौर ऊर्जा पड़ती है जबकि भारत में प्रतिदिन केवल ट्रिलियन इस्तेमाल की जाती है यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि भारत में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल काफी कम मात्रा में किया जा रहा है जबकि कुदरत के लिए इस अनमोल और मुफ्त स्त्रोत का हमें संपूर्णतह इस्तेमाल करना चाहिए

सौर ऊष्मांक तथा इनसोलेशन (Solar constants and Insulation

द्रव्यमान ऊर्जा का औसत मान जो कि पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य से प्राप्त करता है उसे सौर ऊष्मांक कहते हैं
या
पृथ्वी और सूर्य के मध्य औसत दूरी होने की स्थिति में सूर्य किरणों के लंबावत पृथ्वी पर प्रति वर्ग मीटर प्राप्त सौर ऊर्जा को सौर ऊष्मांक कहते हैं
पृथ्वी पर प्रति वर्ग मीटर और ऊष्मांक का मान 1350 वाट है

इनसोलेशन (Insulation)

पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली अपतित और विकिरणों के मान को इनसोलेशन कहा जाता है
इनसोलेशन का मात्रक किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मीटर प्रति दिन होता है

पायरोमीटर द्वारा सौर विकिरणों का मापन (Measurement of solar radiation by Pyrometer)

एक अदृश्य तंतु ऑप्टिकल पाइरोमीटर एक ऐसा यंत्र है जो कि सूर्य किरणों के मापन में इस्तेमाल होता है इस प्रणाली में सूर्य के प्रकाश में से किसी एक विशेष तरंग धैर्य की विकिरण की गति या तीव्रता ही तुलना की किसी ज्ञात विकिरण स्त्रोत की तीव्रता से की जाती है जब दोनों ली गई तीव्रताएं समान होगी तब स्त्रोत और सूर्य का ताप बराबर होगा अदृश्य तंतु पायरोमीटर एक दूरदर्शी यंत्र है जिसके द्वारा तप्त वस्तुओं का प्रतिबिंब एक बल्ब के तंतु पर बनाया जाता है यह बल्ब दूरदर्शी में वस्तु या अभिदृश्यक तथा आई पी स या नेत्रिका के मध्य क्रॉस कार पर लगाया जाता है

पायरोमीटर में तंतु को गर्म करने के लिए बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है और तंतु में धारा परिवर्तन के उपरांत ताप परिवर्तन करने के लिए रियलस्टेट का इस्तेमाल किया जाता है गर्म तंतु तथा तथा वस्तु के प्रतिबिंब को नेत्रिका में लगे एक लाल फिल्टर के माध्यम से देखा जा सकता है रियोस्टेट तंतु में धारा को इस तरह नियंत्रित करते हैं कि तंतु और प्रतिबिंब चमक समान हो जाए अर्थात तंतु प्रतिबिंब की पृष्ठभूमि में अदृश्य हो जाए यहां तप्त वस्तु के ताप का माप तंतु में प्रवाहित होने वाली धारा है जिसे हम एंपियर मीटर से ताप ज्ञात करते हैं अदृश्य तंतु पायरोमीटर का कृष्णिका पर अंशांकन सूर्य का ताप 1 विस्थापन नियम से काफी मात्रा तक सभी ज्ञात किया गया हैइस नियम स्थिरांक के तहत किसी वस्तु द्वारा तापमान पर अधिकतम उत्सर्जन के सत्संग संगत तरंगधैर्य इस नियम λm x T=
स्थिरांक के तहत किसी तत्व वस्तु द्वारा तापमान पर अधिकतम उत्सर्जन के संगत तरंगधैर्य इस नियम से व्यक्त होता है जहां स्थिरांक का मान 0293 सैंमी. डिग्री है और T :तप्त वस्तु का ताप है

सौर ऊर्जा के उपयोग

सौर ऊर्जा जो हमें सूर्य से मुफ्त प्राप्त होती है सही मायने में भगवान की एक अनमोल भेंट है आज सौर ऊर्जा जीवन के हर कार्य में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रही है

1.सौर ऊर्जा भवनों को गर्म रखने में कारगर है
2. सौर ऊर्जा बिना गैस व स्टोव के भोजन पकाने के काम आती है
3.सौर ऊर्जा का इस्तेमाल विद्युत ऊर्जा उत्पादन के लिए भी किया जाता है
4.सौर ऊर्जा का इस्तेमाल पानी के पंपों में कर बिजली की भारी बचत होती है
5.सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहन धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहे हैं यह वाहन ईंधन की खपत बचाते हैं तथा प्रदूषण कम करने में भी सहयोग देते हैं
6.सौर ऊर्जा जल ऊष्मांक के लिए बड़ी उपयोगी है यह सिर्फ विद्युत रहित ग्रामों में ही नहीं बल्कि शहरों में भी विद्युत खपत कम करने में मदद करती है

सौर या सोलर कुकर

सोलर कुकर वह उपकरण है जो खाना पकाने के लिए सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करता है.
सौर या सोलर कुकर लाभ

1.रसोई गैस, मिट्टी तेल, विद्युत ऊर्जा, कोयले अथवा लकड़ी की कोई आवश्यकता नहीं होती
2.इंजन पर कोई खर्चा करने की आवश्यकता नहीं है सौर ऊर्जा मुक्त उपलब्ध होती
3.सोलर कुकर में पका हुआ खाना पोषक होता है इसमें पारंपरिक खाना पकाने के साधनों की तुलना में प्रोटीन की मात्रा 20 से 30% अधिक होती है इसकी विटामिन को भोजन में बनाए रखने की क्षमता भी 20 से 30% होती है जबकि विटामिन ए 5 से 10% तक अधिक रहता है
4.सोलर रसोई प्रदूषण मुक्त वह सुरक्षित होती है
5.सोलर कुकर अनेकानेक आकारों में अपने घर में सदस्यों की संख्या के आधार पर सोलर कुकर का चयन किया जाता है
6.समस्त रसोई के प्रकार जैसे उबालना सेकना आदि स्तर पर किए जा सकते हैं
7.सरकार द्वारा सोलर कुकर की खरीद पर सब्सिडी की योजना भी है

सौर या सोलर कुकर हानि

1.पकाने के लिए सही मात्रा में सूर्य का प्रकाश होना आवश्यक है
2.पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत के मुकाबले रसोई पकने में अधिक समय लगता है

Components of solar cooker

1.बाहरी बक्सा : सोलर कुकर का बाहरी बक्सा सामान्यतः जीआई एलुमिनियम अथवा फाइबर मिले प्लास्टिक से बना होता है

2.आंतरिक पकाने का बक्सा :यह एलुमिनियम शीट से बना होता है आंतरिक कूकिंग बक्सा बाहरी कूकिंग बक्से से थोड़ा छोटा होता है इस पर काले रंग का पेंट किया होता है जिससे ये सूर्य की ऊष्मा को सही तरीके से अवशोषित कर सके और उसे पकाने के बर्तनों में पहुंचा सके

3.डबल ग्लास ढक्कन

अंदर के बक्से के ट्रे को ढकने के लिए ग्लास का एक ढक्कन होता है ये ढक्कन आंतरिक बक्से से थोड़ा बड़ा होता है दोनों कांच की सीट को एल्युमीनियम फ्रेम में 2 सेंटीमीटर की दूरी से टाइट किया गया होता है इस स्थान में हवा होती है जो अंदर की उष्मा को बाहर जाने से रोकती है इस फ्रेम पर रबड़ की पट्टी चिपकाई जाती है जिससे किसी प्रकार का ऊष्मा का रिसाव ना हो सके

4.उष्मीय इंस्यूलेटर :बाहरी बक्से व आंतरिक ट्रे के मध्य का स्थान जिसमें ट्रे का तल भी शामिल होता है उसे इंसुलेटेड समान में भरा जाता है जैसे ग्लास वूल पैडस जिसमें आंतरिक ऊष्मा के रिसाव को कम किया जा सके यह इंसुलेटेड सामग्री भाप से उठ जाने वाले पदार्थ से मुक्त होने चाहिए

5.कांच :कांच का उपयोग सोलर कुकर विकिरण को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है जिससे कांच के द्वारा सूर्य के प्रकाश को सही तरीके से अवशोषित किया जा सकता है जो सूर्य प्रकाश कांच पर पड़ता है वह इंसुलेटेड सामग्री के द्वारा होते हुए अंदर को कर सकता है ये विकिरण,सीधे आंतरिक तापमान को बढ़ाते हैं कुकर को जल्दी गर्म होने में मदद मिलती है

6.बर्तन :खाना पकाने के बर्तन, इनमें ढक्कन भी शामिल है एल्युमीनियम अथवा स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं इन बर्तनों पर भी काला रंग लगाया जाता है जिससे यह भी सूर्य के प्रकाश को सीधे सोख सके

सोलर वाटर हीटर

इनमें सोलर कलेक्टर उपकरण से सौर ऊर्जा रेडिएशन द्वारा बहते हुए द्रव के संपर्क मे आकार इसे गर्म करती है सौर ऊर्जा का उपयोग करने में यह कलेक्टर उपयोगी होते हैं तथा यह दो प्रकार के होते हैं
(i) गैर केंद्रीयकृत अथवा फ्लैट टाइप.
(ii)केंद्रीयकृत अथवा कोकस वाले सौर कलेक्टर तापीय साइफ़न सिद्धांत के आधार पर ऊपरी टैंक में गर्म पानी भरता है सौर कलेक्टर में ट्यूब तांबे की टाइप हिट एक्सचेंजर की तरह होते हैं जो पानी को गर्म करते हैं 24 घंटे पानी के सौर रेडियंस से ताप को नियंत्रित करने की लिस्ट के सभी भागों को कुचालक से लपेट कर रखते हैं

सोलर फोटो वोल्टाइक सैल (Solar Photo Voltaic Cells)

सोलर सैल वह उपकरण है जो सौर ऊर्जा को विद्युत धारा में परिवर्तित करता है फोटो वोल्टाइक पदार्थ शोर रेडिएशन को सीधे विद्युत धारा में बदल देते हैं फोटो वोल्टाइक पदार्थ को बनने के लिए मोनोक्रिस्टलीन सिलिकोन पोलीक्रिस्टलीन सिलिकोन इत्यादि का प्रयोग किया जाता है इन्हें जंक्शन सोलर सैल भी कहा जाता है
जब प्रकाश फोटॉन जंक्शन पर पड़ता है तो जंक्शन के आसपास विवर इलेक्ट्रॉन जोड़े उत्पन्न हो जाते हैं और जंक्शन से आगवत दिशा में वोल्टेज पैदा हो जाती है जो कि पोटेंशियल बैरियर के प्रभाव को खत्म कर देती है और जंक्शन पर प्रभाव या लोड पड़ने से जंक्शन भी धारा प्रभावित होती है

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