NIOS Class 10 Psychology Chapter 21 व्यावसायिक भूमिका के लिए तैयारी
NIOS Class 10 Psychology Chapter 21 व्यावसायिक भूमिका के लिए तैयारी – NIOS कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10th मनोविज्ञान अध्याय 21 (व्यावसायिक भूमिका के लिए तैयारी) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 10 Psychology Chapter 21. Preparation for the Vocational Role की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 10 Psychology के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .
NIOS Class 10 Psychology Chapter21 Solution – व्यावसायिक भूमिका के लिए तैयारी
प्रश्न 1. कैरियर चयन में पहला चरण क्या है?
उत्तर- किसी वस्तु को खरीदने, प्राप्त करने या अर्जित करने के पीछे व्यक्ति की आवश्यकता या पसंद का होना आवश्यक है, यानी वस्तु को खरीदने या प्राप्त करने के पीछे व्यक्ति की आवश्यकता या पसंद का होना आवश्यक है। यह एक विधि है। ठीक शिक्षा चुनना भी इस प्रक्रिया का हिस्सा है। विद्यालय में प्रवेश से पहले ही निर्धारित कर लिया जाता है कि किस विद्यालय में पढ़ना है और बहुत सोच-समझकर विषयों का चुनाव किया जाता है। वास्तव में, विद्यालय में प्रवेश विद्यार्थी जीवन का औपचारिक शुरूआत है, जो प्रारम्भिक शिक्षा से शुरू होकर विशिष्ट स्तरीय शिक्षा ( प्रशिक्षण) तक चलता है। अतः शिक्षा की सहज ही दो कोटियां हो जाती हैं-
(क) सामान्य शिक्षा,
(ख) विशिष्ट शिक्षा ( प्रशिक्षण )
(क) सामान्य शिक्षा – इसके अन्तर्गत विषयगत सामान्य जानकारी वाली शिक्षा आती है. यह प्रायः पढ़ना (अक्षर ज्ञान) और लिखना (वर्णमाला ज्ञान) से शुरू होता है और शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वांछनीय अभिवृत्तियों, मूल्यों और प्रेरणाओं के बारे में प्रारंभिक ज्ञान देता है। यह प्राथमिक (प्राइमरी) स्तर से डिग्री स्तर तक प्रमुख धारा की शिक्षा के रूप में सामान्य शिक्षा में शामिल है।
उदाहरण के लिए, हाई स्कूल या इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा कुछ विशिष्ट व्यावसायिक क्षेत्रों (जैसे मेडिकल, इंजीनियरिंग या तकनीकी प्रशिक्षण) में प्रवेश प्राप्त करने के लिए न्यूनतम योग्यता या कम्पीटीशन (प्रतियोगी परीक्षा) की आवश्यकता होती है। यानी प्राथमिक स्तर से डिग्री स्तर तक की शिक्षा को सामान्य शिक्षा कहते हैं।
(ख) विशिष्ट शिक्षा- व्यवसाय विशेष में रोजगार पाने के लिए विशिष्ट शिक्षण प्रशिक्षण की अपेक्षा होती है। इन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत करके देखा जा सकता है-
(i) व्यावसायिक शिक्षा ( प्रोफेशनल )
(ii) पॉलिटेक्नीक स्कूल (कॉलेज)
(iii) वाणिज्यिक स्कूल
(iv) क्राफ्ट प्रशिक्षण
(v) विशेष प्रशिक्षण संस्थान
(vi) पत्राचार एवं दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम
(i) व्यावसायिक प्रशिक्षण – चिकित्सकीय (मैडिकल ) फार्मेसी, यांत्रिकी (इंजीनियरिंग), विधि ( वकालत) आदि विशेष क्षेत्रों का शिक्षण प्रशिक्षण देने वाले संस्थान इसी कोटि की शिक्षा देते हैं।
(ii) पॉलिटेक्नीक संस्थान – ये संस्थान टेक्नीशियन बनने की तैयारी कराते हैं। इसमें ड्राफ्टस मैन, कनिष्ठ अभियन्ता, मैडिकल प्रयोगशाला तकनीकी सहायक जैसे पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं।
(iii) वाणिज्यिक संस्थान- इनमें टाइपिंग, आशुलिपिक, पुस्तकालय सहायक आदि पाठ्यक्रमों का शिक्षण प्रशिक्षण दिया जाता है।
(iv) क्राफ्ट्समैन प्रशिक्षण संस्थान – यहां सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, कटिंग जैसे कार्यों के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
(v) विशेष प्रशिक्षण संस्थान – कुछ संस्थान रोजगार प्रणाली से सीधे जुड़े हुए हैं; जैसे- पुणे का फिल्म संस्थान, मर्चेण्ट नेवी संस्थान, होटल प्रबन्धन, व्यावसायिक प्रबन्धन (एम.बी.ए.), कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थान, फैशन टैक्नोलॉजी संस्थान, फाइन आर्ट आदि ।
(vi) पत्राचार एवं दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम – आज, विधिवत शिक्षा न प्राप्त कर पाने वाले विद्यार्थियों को घर बैठे पत्राचार और दूरशिक्षा के माध्यम से सिखाया जा सकता है। कोटा राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय और इन्दिरा गांधी विश्वविद्यालय इसी श्रेणी में आते हैं। यहां उपाधि पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान, जो कक्षा दस और बारह में पढ़ाते हैं, भी इसी श्रेणी में आते हैं।
उपर्युक्त शिक्षा सामान्य और विशिष्ट कोटि में विद्यार्थियों को व्यावसायिक रूप से रोजगार पाने की क्षमता प्रदान करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और महिलाओं और पुरुषों को उनकी व्यावसायिक भूमिकाओं में आने के लिए तैयार करती है। तैयारी के बिना नौकरी नहीं मिल सकती, इसलिए निजी आवश्यकताओं का पता लगाना व्यक्ति को नौकरी पाने में सक्षम बनाता है. इसके अलावा, कुछ खास व्यवसायों की अपेक्षा भी कम योग्यता वाले व्यक्ति को नौकरी मिल सकती है।
प्रश्न 2. कैरियर की योजना बनाने की महत्ता को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – जैसा कि सभी जानते हैं, आज का युग विज्ञान प्रौद्योगिकी और सूचना क्रांति का है, जिसमें व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि लोगों को बहुत आवश्यक बातों के लिए भी समय नहीं मिलता, इसलिए अचानक समय निकालना और भी कठिन हो गया है।
आजकल लोगों को छोटी-छोटी बातों, जैसे सिनेमा जाना, के लिए भी योजना बनानी पड़ती है. इसलिए, किसी भी व्यक्ति को अपने कैरियर के निर्माण की योजना बहुत सोच-समझकर बनानी होती है क्योंकि यह उसके भविष्य के सपने, आकाक्षाएं, व्यक्तित्वगत संसाधन आदि पर निर्भर करता है।
किसी भी व्यक्ति के कैरियर सम्बन्धी निर्णय में व्यक्तिगत, सामाजिक व व्यावसायिक जीवन की योजना शामिल होती है। इसीलिए विविध पक्षों के रूप में इसे निम्नलिखित रूप में देख सकते हैं-
(i) व्यक्तिगत जीवन सम्बन्धी योजना
(ii) सामाजिक जीवन की योजना
(iii) व्यावसायिक जीवन सम्बन्धी योजना इन्हें निम्नवत समझा जा सकता है-
(i) व्यक्तिगत जीवन सम्बन्धी योजना – वह व्यक्ति जो विवाह करने का फैसला करता है कि वह पूरी तरह आत्मनिर्भर होकर ही विवाह करे और इसके लिए योजना बनाकर अपनी आर्थिक और पारिवारिक स्थिति को मजबूत करे। जीवन-साथी का चुनाव भी महत्वपूर्ण निर्णय होता है। बच्चों को जन्म देना चाहते हैं, कब और कितने? वर्तमान में, पति-पत्नी अपने पूरे जीवन के लिए योजना बनाते हैं, आर्थिक रूप से सुरक्षित रहने के लिए मितव्ययिता अपनाते हैं, जीवन बीमा कराते हैं, उपकरण खरीदते हैं और दूसरों पर विचार करते हुए काम करते हैं।
यहां स्पष्ट होना चाहिए कि व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन उसके सामाजिक और व्यावसायिक जीवन से अवश्य प्रभावित होता है, लेकिन अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों और सपनों को पूरा करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से चलना ही सही होता है।
(ii) सामाजिक जीवन की योजना – व्यक्ति की जीवन-शैली की इच्छा इस योजना से जुड़ी हुई है। मित्रों में एक व्यक्ति बहिर्मुखी हो सकता है। वह अपने कौशल और बुद्धि-विवेक के बल पर अपने परिवेश में कुछ ऐसा करता है, ताकि दूसरों के सुख-दुःख में शामिल हो सके, क्योंकि यह तो स्पष्ट है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसके सामाजिक सरोकार ही उसे समाज में प्रतिष्ठा दिलाते हैं। सामाजिक जीवन एक व्यक्ति के घर-परिवार से बाहर के साथ सम्बन्धों से प्रभावित होता है, इसलिए उसे इसमें भी योजना बनाकर काम करना होता है। सार्वजनिक जीवन में बहुत कुछ देखना पड़ता है। उसके व्यक्तित्व की पहचान उसकी प्रत्येक घटना में अपनी विशिष्ट भूमिका से मिलती है। योजनाबद्ध क्रियाकलाप इसमें लाभदायक हैं।
(iii) व्यावसायिक जीवन सम्बन्धी योजना – व्यक्ति जीवन में व्यावसायिक दृष्टि से जीवनभर योजनाएं बनाता रहता है इसीलिए यह जीवनपर्यन्त चलने वाली योजना है। इसमें उसे अपने तमाम विकल्पों के बीच चुनाव करना पड़ता है। सफल व्यक्ति के लिए निजी एवं व्यावसायिक जीवन में समन्वय बनाए रखना होता है इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने गुणों के साथ अपनी व्यावसायिक विशेषताओं को भी ध्यान में रखकर योजना बनाए और अन्ततः ऐसे व्यवसाय का चयन करे, जिसके साथ उसके गुण पूरी तरह मेल खाते हों। इसका व्यक्ति के व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन पर भी प्रभाव पड़ता है
क्योंकि अगर व्यक्ति का व्यवसाय उसकी रुचि व प्रकृति के, उसकी पारिवारिक आवश्यकताओं व व्यक्तित्व के अनुकूल नहीं है, तो वह अपने भीतर निराशा व कुण्ठा पाल बैठेगा जिसका उस पर, उसके परिवार व व्यक्तित्व पर अनुकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। हारकर उसे या तो तनाव का शिकार होना पड़ेगा या व्यवसाय बदलना पड़ेगा। अतः एक कुशल व्यावसायिक योजना के तीन मुख्य केन्द्रीय बिन्दु होते हैं-
(क) स्वयं को जानना
(ख) कार्य जगत को जानना
(ग) कार्य की दुनिया से मिलान
(क) स्वयं को जानना: इसमें व्यक्ति को अपनी रुचियों, क्षमताओं और स्वयं को जानना बहुत महत्वपूर्ण है। आत्मज्ञान भी है। इसमें उसे अपनी क्षमताओं और उपयुक्त संसाधनों को समझना होगा।
(ख) कार्य जगत को जानना- इसमें व्यक्ति को अपना काम जानना चाहिए और उसका मूल्यांकन करना चाहिए। इसमें विभिन्न व्यवसायों, प्रवेश के लिए आवश्यक अर्हता, सफलता या असफलता की संभावना, लाभ या हानि, विकास और अन्य लाभों का ज्ञान शामिल है। यदि यह नहीं है, तो किसी भी काम में हाथ डालने से विपरीत परिणाम भी हो सकता है।
(ग) कार्य की दुनिया से मिलान– वह व्यक्ति जो काम करना चाहता है, उसके पास आवश्यक संसाधन और अर्हता हैं या नहीं, इसकी पूरी जांच-पड़ताल करनी चाहिए। आवश्यकता होने पर, एक विश्वसनीय परामर्शदाता या कैरियर शिक्षक से सलाह ली जा सकती है। एक उदाहरण इसे समझा सकता है: निरूपम प्रकृति से कवि है और बहुत प्यार करता है। माता-पिता के दबाव में उसने विज्ञान को चुना और रसायनशास्त्र में बीएससी किया। गांव के इण्टर कॉलेज में भी प्रवक्ता की नौकरी मिली। उसका विवाह एक सुंदर घर की कुलीन कन्या से हुआ।
उसकी दो सन्तानें भी हुईं, लेकिन गांव के एक इण्टर कॉलेज में रसायन शास्त्र का शिक्षक बनकर वह खुश नहीं था। उसका मानना था कि उसे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनना चाहिए। उसकी व्यक्तिगत असंतोष और कवि मन ने उसे हिन्दी साहित्य की ओर खींच लिया, इसलिए उसने पहले हिन्दी में एम.ए. किया, फिर पीएच.डी. तथा डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की और 17 वर्ष की स्थायी रसायन प्रवक्ता की नौकरी छोड़कर दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में हिन्दी प्रवक्ता की अस्थायी नौकरी ली। निरूपम ने कच्चे परिवार, कच्ची नौकरी और कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और अंततः कुछ भी काम किया, गाइडें लिखीं, अनुवाद कीं, अखबार में फुटकर काम किया,
लेकिन अपने परिवार की हर जरूरत पूरी की और अंततः अपनी मेहनत और दृढ़ता के बल पर एक कॉलेज में स्थायी प्रवक्ता की नौकरी पा ही ली। आज निरूपम अपने घर और उसी कॉलेज में वरिष्ठ रीडर है। दोनों बच्चे चार्टर्ड बैंकर हैं। बेटे का शादी हो गई है।
लंबी यात्रा के बाद ये सफलताएं हासिल की गईं, लेकिन व्यवसाय को योजनाबद्ध तरीके से बदलने के लिए किया गया श्रम और संकल्प काम आया और परिश्रम और लगन सार्थक हुए। इसलिए स्पष्ट है कि एक व्यक्ति का व्यावसायिक जीवन भी उनकी क्षमता, संकल्प, श्रम और लगन से बढ़ता जाता है।
प्रश्न 3. कैरियर, व्यवसाय और पेशे में अन्तर कीजिए ।
उत्तर- कैरियर, व्यवसाय और पेशे में महत्वपूर्ण अन्तर है। कैरियर का आशय उन घटनाओं से है जो जीवन को आकार देती है। व्यवसाय कई प्रतिष्ठानों में एक जैसी नौकरियों के समूह का उल्लेख करता है जबकि पेशा व्यक्ति द्वारा अपनाये गये कार्य से है जिसके द्वारा वह अपनी आजीविका कमाता है ।
प्रश्न 4. कैरियर चयन के बारे में विभिन्न भ्रान्तियाँ क्या हैं?
उत्तर – कैरियर चयन के बारे में विभिन्न भ्रान्तियाँ हैं, जो निम्नलिखित हैं-
(1) कैरियर चयन में एक भ्रान्ति है कि यह एक साधारण काम है। कैरियर को सही ढंग से चुनना बहुत मुश्किल है।
(2) कैरियर चयन: एक कैरियर परामर्शदाता ही जान सकता है कि आपको किस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है।
(3) एक झूठ है कि आप अपने मनपसन्द काम से जीविका नहीं चला सकते, जबकि आप ऐसा कर सकते हैं।
(4) अधिक धन ही हमें खुश कर सकता है, यह एक बड़ी भूल है। आत्मसंतुष्टि सबसे महत्वपूर्ण है। कम पैसे में भी एक व्यक्ति आत्मसंतुष्ट हो सकता है।
(5) कैरियर के बारे में एक भ्रान्ति यह है कि अगर मैं अपना काम बदलूंगा, तो मेरे कौशल बेकार हो जाएंगे।
(6) एक भूल है कि यदि मेरे मित्र, रिश्तेदार और अन्य लोग खुश हैं तो मैं भी खुश हूँ, लेकिन ऐसा नहीं होता। यदि किसी के मित्र, रिश्तेदार या अन्य लोग खुश हैं, तो वह भी खुश होगा।
(7) यह भूल है कि मुझे सिर्फ एक ही व्यवसाय चुनना है, जबकि एक व्यक्ति एक से अधिक व्यवसाय चुन सकता है।