NIOS Class 10 Psychology Chapter 20 अभिवृत्ति, रुचि और कार्य अपेक्षाएँ

NIOS Class 10 Psychology Chapter 20 अभिवृत्ति, रुचि और कार्य अपेक्षाएँ

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NIOS Class 10 Psychology Chapter20 Solution – अभिवृत्ति, रुचि और कार्य अपेक्षाएँ

प्रश्न 1. अभिवृत्ति क्या है? एक अभिवृत्ति परीक्षण का वर्णन कीजिए और उसका प्रयोग बताइये ।
उत्तर – क्षमता में अभि (श्रेष्ठतावाची) उपसर्ग लगाना, अनुभव और प्रशिक्षण के बाद कार्य निष्पादन का सर्वोच्च स्तर है। दूसरे शब्दों में, अभिवृत्ति प्रशिक्षण और उसके बाद व्यक्ति की कार्यक्षमता का स्तर है। हम कह सकते हैं कि किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति उच्चतर माध्यमिक स्तर की है क्योंकि वह उच्चतर माध्यमिक स्तर का ज्ञान रखता है।

यह एक उदाहरण से भी समझा जा सकता है: अभ्यास से कोई व्यक्ति किसी काम को कितने अच्छे से कर सकता है। जैसे कोई व्यक्ति सितार नहीं बजा सकता, लेकिन प्रशिक्षण से वह कलाकारों की तरह सितार बजा सकता है, तो उसकी अभिवृत्ति बहुत ऊँची हो जाएगी। यहां यह बात ध्यान रखने की है कि प्रशिक्षण से सभी लोग उच्च स्तर का कार्य निष्पादन नहीं कर पाते, क्योंकि उच्च स्तर पाने के लिए दूसरे कई कारक प्रभावित करते हैं।

प्रयोग में अभिवृत्ति परीक्षण बैटरीज उपलब्ध हैं। ये परीक्षण बैटरीज अलग-अलग क्षेत्रों की अभिवृत्ति मापते हैं। जैसे सामान्य अभिवृत्ति परीक्षण और भिन्नता आधारित अभिवृत्ति परीक्षण, जबकि सामान्य अभिवृत्ति परीक्षण सामान्य अभिवृत्ति को मापता है, भिन्नता आधारित अभिवृत्ति परीक्षण भिन्नता को मापने का प्रयास करता है।

प्रश्न 2. रुचि क्या है? सही विषयों और कैरियर के चयन में रुचि कैसे सहायता करती है?
उत्तर – रुचि का मतलब है किसी बात को करना अच्छा लगता है, मन को भाता है, यानी रुचि का सीधा संबंध मन से होता है। मन को प्रसन्न करना ही रुचि है। रुचि की प्रवृत्ति है।यह बहुत संभव है कि कोई व्यक्ति किसी कार्य को बहुत रुचता है (अच्छा लगता है), लेकिन वह उसे ठीक से नहीं कर पाता है। इसके विपरीत, यह भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति बहुत अच्छी तरह से कोई काम करता है, लेकिन उसे करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती। जैसे किसी व्यक्ति को वाद्य यंत्र बजाने में रुचि है, लेकिन वह उसे अच्छी तरह से नहीं बजा पाता। या फिर किसी व्यक्ति को किसी वाद्य यंत्र को बजाने में कोई रुचि नहीं है, लेकिन वह उसे अच्छी तरह बजा लेता है। इसलिए रुचि होना एक बात है, लेकिन उस काम को सही ढंग से करना बिल्कुल अलग है।

सही विषयों और कैरियर का चयन करने में रुचि बहुत महत्त्वपूर्ण है। सफलता की संभावना काफी बढ़ जाती है यदि विद्यार्थी अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार विषयों और कैरियर का चयन करता है। सफलता की संभावना कम होती है अगर विद्यार्थी किसी विषय या कैरियर का चयन करता है, जिसमें वे रुचि नहीं रखते। कैरियर और विषयों के चयन में रुचि महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इससे विद्यार्थी की सफलता निर्भर करती है. किसी विषय में विद्यार्थी की रुचि ही नहीं होगी, तो वह किस प्रकार अध्ययन करेगा।

प्रश्न 3. योग्यता की संकल्पना का संक्षिप्त विवेचन कीजिये और बुद्धि के नये दृष्टिकोण का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – क्षमता का अर्थ है किसी विशेष कार्य या गतिविधि को पूरा करने की किसी व्यक्ति की क्षमता; उदाहरण के लिए, चार० शब्द प्रतिमिनट टंकण करना। यह व्यक्ति की क्षमता को बताएगा। यह उसकी क्षमता है, और प्रयास से इसे बढ़ा सकता है।

एक व्यक्ति का एक महत्वपूर्ण गुण बुद्धि है। बुद्धि को मापने के लिए कई अध्ययन किए गए हैं। इसके अलावा, बुद्धि की गणना करने के लिए कई परीक्षणों और प्रौद्योगिकी बनाई गई हैं। बुद्धि की संकल्पना को दिखाने के लिए कई तरीके हैं। प्रारंभ में, यह सिर्फ बौद्धिक या मानसिक क्षेत्र तक सीमित था। बुद्धि कई प्रकार की होती है, कहते हैं प्रसिद्ध विद्वान गार्डनर। लोगों की बुद्धि कई प्रकार की हो सकती है, जैसे- ज्ञानात्मक, संगीतात्मक, शारीरिक तथा पारस्परिक इत्यादि ।

प्रश्न 4. शैक्षिक और व्यावसायिक चयन में अभिवृत्ति, रुचि और योग्यता की भूमिका का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – यह व्यक्ति की क्षमता, अभिक्षमता और रुचि पर निर्भर करता है कि वह किस काम को पूरा करना चाहता है. इसे कार्य निर्णय कहते हैं। ये तीनों ही व्यक्ति के कार्य निर्णय को प्रभावित करते हैं। पहली बात है कि काम में रुचि होनी चाहिए. अगर रुचि नहीं होगी, तो कोई भी काम करने के लिए प्रेरित नहीं होगा; इसलिए, काम में एक समान स्तर की रुचि होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति ने ऐसा काम चुना है जिसमें उच्च शिक्षा की आवश्यकता होती है और उस व्यक्ति को पढ़ने-लिखने में कोई रुचि नहीं है, तो वह उस काम को पूरे मन से नहीं कर पाएगा, क्योंकि व्यक्ति को पढ़ने-लिखने में कोई रुचि नहीं होगी. इसलिए, यह प्रयास करना श्रेयस्कर होगा कि वह अपनी रुचि का काम चुने।

रुचि के साथ-साथ कार्य करने की क्षमता भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है। कौशल और क्षमता के अभाव में कोई व्यक्ति संबंधित कार्य को प्रभावी ढंग से नहीं कर पाएगा। उदाहरण के लिए, कंप्यूटर का उपयोग करने की क्षमता आवश्यक है; अगर कोई व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता, तो वह उस काम को नहीं कर पाएगा। ऐसे व्यक्ति को आवश्यक काम नहीं मिलेगा। इसलिए व्यक्ति को रुचि के साथ-साथ क्षमता भी होनी चाहिए। यह बात दूसरी है कि रुचि होने से व्यक्ति प्रयास और श्रम से क्षमता अर्जित कर सकता है, लेकिन कार्य-निष्पादन में क्षमता भी महत्वपूर्ण होती है।

अभिक्षमता, किसी काम को पूरा करने में रुचि और क्षमता से अधिक महत्वपूर्ण है। यह क्षमता सीधे अपनी अभिरुचि पर निर्भर करती है और यह ही व्यक्ति के कार्य के निष्पादन के उच्चतम स्तर को दर्शाती है। किस व्यक्ति का काम सफल होगा, उसकी अभिरुचि पर निर्भर करता है। यदि किसी व्यक्ति में कार्य के प्रति क्षमता है, तो प्रशिक्षण और अनुभव से उस कार्य को बेहतर ढंग से किया जा सकता है, और इस क्षमता के बल पर ही व्यक्ति वरिष्ठ पद तक पहुंच सकता है।

अभिवृत्ति, रुचि और कार्य अपेक्षाएँ के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. कार्य चयन के लिए अनिवार्य और अपेक्षित न्यूनतम योग्यताएं क्या होनी चाहिए ? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर – किसी भी काम के लिए चयन करने के लिए किसी को न्यूनतम योग्यता होनी चाहिए। जैसे विश्वविद्यालय में स्नातक स्नातकोत्तर कक्षाओं के अध्ययन के लिए प्रवक्ता पद के अभ्यार्थी को संबंधित विषय में एम. ए. (कम से कम 55%) और पीएचडी की उपाधि होनी चाहिए। इसी तरह, शासकीय कार्यालय में आशुलिपिक पद के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति को न्यूनतम स्नातक डिग्री होनी चाहिए। प्रवक्ता पद के लिए आशुलिपिक, एम.ए. या पी.एच.डी. की डिग्री के बिना कोई आवेदन नहीं कर सकता। अनिवार्य योग्यता इसलिए कहा जाता है क्योंकि व्यक्ति केवल इस न्यूनतम योग्यता को पाने की प्रक्रिया में ही संबंधित कार्यों को करने की जानकारी और कौशल प्राप्त कर सकता है। किसी भी आवश्यक योग्य कार्यक्षेत्र में प्रवेश पाने की पहली सीढ़ी है।

उपर्युक्त पदों के लिए आवश्यक योग्यताओं के अलावा, प्रवक्ता के रूप में काम करने के लिए आवश्यक अनुभव, विषय का ज्ञान, लेखकीय क्षमता आदि योग्यताएं आवश्यक हैं। शासकीय कार्यालय में आशुलिपिक पद का उदाहरण इसी तरह देखें। प्रवेश के समय आवश्यक योग्यता में टंकण गति, कम्प्यूटर कौशल और शीघ्र लेखन शामिल हैं। आवेदक को वरिष्ठ यांत्रिक (मैकेनिक) पद पर काम करने के लिए किसी यंत्रशाला में 10 वर्ष का कार्यानुभव चाहिए, जिसमें विदेशी मशीनरी को ठीक करने का अनुभव होना चाहिए।

इससे स्पष्ट होता है कि किसी पद पर प्रवेश करने के लिए अनिवार्य योग्यता आवश्यक है। साथ ही, कार्य को सुचारु रूप से पूरा करने के लिए कुछ आवश्यक योग्यता का भी विशेष महत्व होता है, जिससे व्यक्ति अपनी विशिष्ट योग्यता का लाभ ले सकता है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि अनिवार्य योग्यताओं के अभाव में कोई भी व्यक्ति किसी नौकरी या पद के लिए आवेदन नहीं कर सकता है. कुछ विशिष्ट योग्यताएं अभ्यर्थी को नौकरी में अधिक उपयोगी और प्रभावी बनाती हैं, लेकिन इनका होना आवश्यक नहीं है। इसलिए वे वांछनीय योग्यता कहलाते हैं।

प्रश्न 2. व्यक्ति के व्यक्तित्व की कार्य अपेक्षाओं के साथ अनुरूपता को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – हम सभी जानते हैं कि किसी भी काम, व्यवसाय या रुचि के लिए किसी व्यक्ति में कुछ विशिष्ट गुणों और व्यक्तित्व की अपेक्षा होती है। एक सफल और कुशल अध्यापक के लिए न्यूनतम योग्यता के अलावा व्यक्तित्व कला में निपुणता, विषय का गहन अध्ययन, छात्रों के मनोविज्ञान को समझने की क्षमता और कथा में छात्रों के साथ संवाद करने की क्षमता आदि गुण चाहिए। इसी तरह, एक वास्तुकार को मौलिक कल्पना और रचनात्मक प्रतिभासम्पन्न होना चाहिए, साथ ही व्यावहारिक, संवेदनशील, दृढ़ निश्चयी, धैर्यवान होना चाहिए। मनोविज्ञान क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए किसी को कुछ उपयुक्त व्यक्तियों की पहचान करने की क्षमता होनी चाहिए।

यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि, गणित के सिद्धान्त की तरह, कोई भी व्यक्ति किसी विशेष कार्य में सर्वगुण सम्पन्न नहीं होता; हालांकि, कार्य विशेष को ध्यान में रखते हुए समीपस्थ योग्यता और गुण सम्पन्न व्यक्तियों की उपयुक्तता अवश्य वरीयता पाती है। व्यक्तित्व की विशेषता और कार्य के बीच सम्बन्ध को निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है-

यथार्थवादी व्यक्तित्व – यथार्थवादी लोग क्षमता में अधिक शक्तिशाली होते हैं। ऐसे लोग हाथों से काम करने में अधिक कुशल होते हैं। ये लोग बहुत भावुक नहीं होते और बहुत व्यवहारिक नहीं होते। इसलिए ये सामाजिक काम करते हैं। ये मशीनी काम आसानी से करते हैं और एकाग्र होकर दृढ़ता से काम करते हैं, इसलिए ये कल्पनाशील नहीं हैं, बल्कि अमूर्त की जगह मूर्त समस्याओं को बेहतर ढंग से हल करते हैं। इसलिए खोजी तथा वैज्ञानिक रुचि रखने वाले लोगों को यांत्रिक अभियंता, मिस्त्री, मशीनमैन, चालक जैसे पदों में काम मिलेगा।

इन्हें अपने काम में व्यस्त रहना अच्छा लगता है। भीतरमुखी हैं और लोगों से मिलना-जुलना नहीं चाहते। ये लोग स्वतंत्रता में विश्वास रखते हैं और सांसारिक जगत को जानने की तीव्र इच्छा उन्हें आविष्कारों और अध्ययन में व्यस्त रखती है। उन्हें अपने विचारों, मूल्यों और विश्वदृष्टि से अलग दृष्टिकोण है। इसलिए, जो लोग राजनीति से दूर रहते हैं, वे सिर्फ अपने विवेक पर ध्यान देते हैं। वैज्ञानिक, शोधकर्ता, मनोवैज्ञानिक आदि इसी श्रेणी के लोग हैं

कलात्मक व्यक्तित्व – यथार्थवादी मानसिकता से विपरीत सोच वाले लोग निरंतर मूल्य की खोज करते हैं। इन्हें बने-बनाए ढाँचों में काम करना कभी पसंद नहीं है। ये उन क्षेत्रों में काम कर सकते हैं, जहां उन्हें अधिक सृजनात्मकता और रचनात्मकता के अवसर मिलते हैं। ये चित्रकला, संगीत, साहित्य, लेखन आदि क्षेत्रों में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। ये भी अंतर्निहित हैं। सामाजिक व्यक्तित्व: ये लोग सरल हैं और बहिर्मुखी हैं। इन्हें सभी के साथ समूह में काम करना अच्छा लगता है। लेकिन ये समूह में केंद्रीय स्थान पर रहना चाहते हैं। ये लोग धार्मिक हैं। बातचीत करते समय बहुत व्यवहारकुशल होते हैं और एक दूसरे से संपर्क बनाने में बहुत चतुर होते हैं। शिक्षक, समाज सेवी और धर्मगुरु जैसे कार्यक्षेत्र में सहजता और दिलचस्पी मिलती है।

उद्यमी (परिश्रमी) व्यक्तित्व – भाषा व्यवहार में खरीद-बेच (क्रय-विक्रय) की प्रक्रिया को प्रभावित करने और नेतृत्व करने में प्रभावी हैं। इनमें धन कमाने की बहुत क्षमता और लगन है। इनका मूल लक्ष्य संगठनात्मक लक्ष्य पाना है। वे लोग बौद्धिक कार्य करना नहीं चाहते। ऐसे लोग अक्सर प्रभावशाली, हंसमुख, लोकप्रिय होते हैं और सामाजिक व्यक्तित्व का अनुमान लगाते हैं। इनमें राजनीतिज्ञ, प्रापर्टी डीलर, स्टॉक ब्रोकर (दलाल) और व्यापार व्यवस्थापक (बिजनेस एक्जीक्यूटिव) शामिल हैं।

परम्परावादी व्यक्तित्व – ऐसे लोग व्यवस्थित वातावरण में (अनुशासित माहौल में) कार्य करना पसन्द करते हैं। इन्हें आंकड़े एवं वाचिक संप्रेषण सम्बन्धी काम ज्यादा अच्छे लगते हैं। एक अनुशासन विशेष के कारण इन्हें मेलजोल या लोगों से हेलमेल ज्यादा पसन्द नहीं होता । सामान्यतया ऐसे लोग सत्ता और भौतिक समृद्धि पसन्द करते हैं, इसीलिए इन्हें अधिकतर नौकरी-पेशा बैंक, यातायात पुलिस, सेना तथा कार्यालयी सेवा अधिक पसन्द होती है।

इन सभी पूर्वोक्त श्रेणियों से स्पष्ट है कि व्यक्तित्वगत विशेषता और कार्यक्षेत्र में एक स्वाभाविक सम्बन्ध होता है। इसमें कोई सीमारेखा नहीं खींची जा सकती, क्योंकि कई बार व्यक्ति को रुचि व क्षमता से भिन्न कार्य करना पड़ता है। कई बार कार्य के अनुरूप व्यक्ति का व्यक्तित्व नहीं होता, किन्तु यदि व्यक्तित्व और कार्यक्षेत्र में मिलान हो, तो व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग कर पाता है।

इसके लिए मनोवैज्ञानिक परीक्षाएं ली जा सकती हैं, जो व्यक्ति की क्षमता और व्यक्तित्व की विशिष्ट विशेषताओं का विस्तृत विवरण देती हैं। इसके लिए किसी मनोवैज्ञानिक की सहायता से परीक्षणों के माध्यम से व्यक्ति की योग्यता के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है, जो उसे बेहतर काम के लिए चुनने में मदद कर सकती है।

वास्तव में, प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धा परीक्षाओं के माध्यम से अलग-अलग संस्थानों में नौकरी पाने के लिए आवेदन किया जाता है, और चयनकर्ता भी इनकी व्यक्तिगत योग्यताओं और गुणों को एक मानक मानदंड के माध्यम से परीक्षण करते हैं। चयनकर्ता अपने अनुभव से यह निर्धारित करते हैं कि कौन-सा व्यक्ति संबंधित पद के लिए सर्वोत्तम होगा। इस प्रकार, अधिकतर फार्म-संस्थान व्यक्ति के व्यक्तित्व की छवि से नौकरी की विशिष्ट आवश्यकताओं की तुलना करते हैं। यह चयन प्रक्रिया निर्धारित करके व्यक्ति की उपयुक्तता निर्धारित करता है।

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