NIOS Class 10 Psychology Chapter 19 मानसिक स्वास्थ्य और स्वच्छता
NIOS Class 10 Psychology Chapter 19. मानसिक स्वास्थ्य और स्वच्छता – ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 10 मनोविज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10 मनोविज्ञान अध्याय 19 (मानसिक स्वास्थ्य और स्वच्छता) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 10 Psychology Chapter 19 Mental Health and Hygiene दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है . ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 10 Psychology Chapter 19 मानसिक स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 10 Psychology Chapter19 Solution – मानसिक स्वास्थ्य और स्वच्छता
प्रश्न 1. मानसिक स्वास्थ्य क्या है और आरोग्य होने की सही पहचान आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर – शरीर व मन एक-दूसरे के साथ बहुत घनिष्ठता से जुड़े हुए हैं। दोनों में से एक में भी गड़बड़ी होने से दूसरा प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। पांचवीं सदी के ग्रीक चिकित्सकों ने कहा था कि मन शरीर को प्रभावित करता है और शरीर मन को प्रभावित करता है । बाद में काफी समय तक शरीर को मन की अपेक्षा ज्यादा महत्त्व दिया जाने लगा, लेकिन आज फिर दोनों का समान महत्त्व का माना जाने लगा है। यही कारण है कि मानसिक स्वास्थ्य और आरोग्य पाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी पर्याप्त रूप से प्रयासरत है।
मानसिकता के स्वास्थ्य पर प्रभाव को एक उदाहरण से समझा जा सकता है कि छूत का रोग होते हुए भी कंजक्टिवाइटिस ( आंख का नेत्र श्लेष्मा रोग) से सभी लोग प्रभावित नहीं होते, बल्कि केवल वे ही प्रभावित होते हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। अक्सर यह देखा गया है कि जिन व्यक्तियों में शरीर व मन में सही समायोजन होता है, वे अपेक्षाकृत स्वस्थ सुखी व प्रसन्न रहते हैं, लेकिन जिनके समायोजन में कमी रहती है वे ही रुग्ण, दुःखी तथा अप्रसन्न रहने को अभिशप्त होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के चार पक्षों का वर्णन किया है-
(i) शारीरिक पक्ष
(iii) सामाजिक पक्ष
(ii) मानसिक पक्ष
(iv) आध्यात्मिक पक्ष
शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ होना यानी स्वास्थ्य है। याद रखें कि रोग न होना ही स्वास्थ्य की पहचान नहीं है; स्वास्थ्य एक समग्र तथ्य है, जो किसी व्यक्ति के पूरे आरोग्य का वाचक है। वास्तव में, मानसिक स्वास्थ्य एक व्यक्ति के बौद्धिक, भावात्मक, शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक गुणों का संयोजन है तो कह सकते हैं कि यह एक सकारात्मक मानसिक स्थिति है, जिसमें मनुष्य द्वन्द्व, डर और नकारात्मक विचारों (सोच) से मुक्त है। यह आम तौर पर मन की एक निरंतर स्थिति है, जिसमें व्यक्ति स्वयं से और अपने परिवेश से पूरी तरह समायोजित है।
यह एक नमूना मानसिक स्वास्थ्य जांच पत्र है जो किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य जानने के लिए उपलब्ध है। मानसिक स्वास्थ्य व आरोग्य नमूना पत्र: नीचे 15 कथन दिए गए हैं, जिन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ने के बाद व्यक्ति यह निर्धारित कर सकता है कि वह इनसे “सहमत” है या नहीं। यदि आप सहमत या असहमत हैं किसी कथन में, “अनिश्चित” में चिह्न लगाएं। यदि किसी कारण से सिर्फ तीनों से सहमति न हो, तो सबसे निकट व्यक्ति को गोला लगा दें।
संभावित उत्तर
अपने चुनावों को दी गयी संख्या के अनुसार जोड़ना है। सभी 15 कथनों का जोड़ व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का परिचायक है।
योग मानसिक स्वास्थ्य
36-45 अच्छा
26-35 ठीक-ठाक
15-25 कमजोर
नमूने के ऐसे दूसरे जांच – पत्र भी बनाए जा सकते है। इसे किसी व्यक्ति के समायोजन की क्षमता का परिचय मिलता है। सबसे अच्छे स्वास्थ्य की पहचान ही है सर्वाधिक अंक पाना ।
प्रश्न 2. मानसिक स्वास्थ्य के लिए ‘योग’ का महत्त्व दर्शाइए ।
उत्तर – योगशास्त्र में मन को सर्वाधिक महत्त्व देते हुए कहा गया है कि वह इतना शक्तिशाली है कि शरीर पर हरसंभव प्रभाव डाल सकता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि मानसिक अनुशासन के बिना शारीरिक व्यायाम प्रभावी नहीं होता है। संयम इसमें बहुत आवश्यक है। संयम के बिना अच्छा स्वास्थ्य कदापि संभव नहीं है। योग ही व्यक्ति को मन को एकाग्र करने की क्षमता में वृद्धि करने के लिए दिमाग को प्रशिक्षित कर सकता है। इसलिए मनोनुकूल परिणामों से बचने के लिए ध्यान लगाना महत्वपूर्ण है।
ध्यान की अवधान क्रिया से व्यक्ति का ध्यान एक वस्तु (लक्ष्य) पर केंद्रित हो जाता है, जो हम अक्सर देखते हैं कि अक्सर बिखरा होता है। ध्यान लगाने के कई तरीके हैं। शांति और सकारात्मक मन की स्थिरता, आरामदायक धन आवश्यक हैं। ध्यान की अवस्था में एकाग्रता का अर्थ है कि विचारों या सोचने के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है और ऐसा करने के लिए मन को एक वस्तु (लक्ष्य) पर स्थिर या एकाग्र करना आवश्यक है। मन को एकाग्र करने पर वह वस्तु पर पूरी तरह केंद्रित हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के ध्यान में एकमात्र वस्तु होती है। योगाभ्यास और प्राणायाम ही इस पूरे अनुष्ठान को संभव बना सकते हैं।
प्रश्न 3. मानसिक अस्वस्थता को दूर करने के प्रमुख उपायों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर- मानसिक आरोग्यता अथवा मन से निरोगी होना एक कला है और विज्ञान भी । इससे मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि की जा सकती है। मन की अस्वस्थता को दूर करने के कुछ प्रमुख उपाय निम्नवत हैं-
(i) यथार्थ का प्रत्यक्षीकरण – वास्तविक रूप से अपनी भावनाओं और क्षमताओं को समझने से व्यक्ति कई निराशाओं और कुण्ठाओं से बच सकता है। इसमें स्थानीय जानकारी भी उपयोगी है।
(ii) आवेगों पर नियंत्रण – आवेगीपूर्ण व्यवहार मानसिक अस्वास्थ्य का परिचायक है अतः परिस्थितियों से समायोजन करते हुए आवेगों पर नियंत्रण करना जरूरी है।
(iii) स्वाभिमान – यह हर किसी में होता है। इस चेतना में भावनाएं, विचार, मूल्य और ‘मैं’ या ‘अहम’ से जुड़े हैं, जिसका महत्वपूर्ण हिस्सा ‘स्वाभिमान’ है। स्वाभिमान वास्तव में अपने ‘स्व’ का मूल्यांकन है, जो सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है। नकारात्मक भाव अस्वास्थ्य का संकेत है, जबकि सकारात्मक भाव मानसिक स्वास्थ्य का संकेत है।
(iv) सकारात्मक चिन्तन का विकास – नकारात्मक सोच से मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है, जबकि सकारात्मक सोच से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। सकारात्मक सोच का संकेत क्षमा, दया, सहिष्णुता, धैर्य, शील, शालीनता, करुणा, सदाशयता आदि है। जबकि ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, क्रोध, भय आदि नकारात्मक विचारों का संकेत करते हैं। हमें सकारात्मक सोच विकसित करना चाहिए।
(v) समय प्रबंधन – समय को पहचानकर सही समय का सदुपयोग करते हुए हर कार्य का नियत समय और समय पर कार्य पूर्ण करने की प्रवृत्ति समय प्रबंधन है और इससे मानसिक स्वास्थ्य वृद्धि में सहायता मिलती है। इसके लिए निम्नलिखित आधारों पर समय प्रबंधन को व्यवस्थित किया जा सकता है-
(अ) कामों की सूची तैयार करना – रात को ही अगले दिन के कार्यों की सूची बना लेनी चाहिए। अगले दिन करने वाले सभी कामों को याद कर लें।
(ब) प्राथमिकता पर ध्यान दें-सूची में उन कामों पर ध्यान दें, जिन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मुश्किल कार्य पहले तथा सरल कार्य को बाद के लिए रखें।
(स) बाधाहीन समय को पहचानें- कुछ कामों में एकाग्रता की अधिक जरूरत होती है। ऐसे कामों को बाधाहीन ढंग से करने के लिए उस समय करें जब आप बिना रुके काम कर सकते हैं।
(द) लचीली दृष्टि रखें-ऐसे काम जो सोचे नहीं गये हैं। कभी-कभी आ जाते है उन कामों को करने के लिए समय सारणी में लचीलापन रखें।
(इ) व्यायाम के लिए समय- अपने दैनिक कार्यक्रम में कुछ समय व्यायाम या योग के लिए भी रखिए। ऐसे कामों में समय देने से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है तथा कार्य निष्पादन में भी वृद्धि होती है।
(ई) फुर्सत के कुछ क्षण हर सप्ताह में से कुछ समय अपने र्सत के लिए भी रखिए । तन और मन के आराम के लिए यह अति आवश्यक है, जैसे- संगीत सुनना, बागवानी करना चित्र बनाना, चलचित्र देखना, आदि ।
प्रश्न 4. मानसिक रोग व मानसिक आरोग्य के मध्य भेद कीजिए ।
उत्तर- मानसिक रोग- मानसिक रोग मानसिक तनाव या असंतुलन में व्यवहार की विकृति है। उग्र होने पर मनोचिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए। कई बार अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है, जैसे सीजोफेनिया, जो एक मानसिक रोग है। मानसिक आरोग्य—एक व्यक्ति में सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों की उपस्थिति ही मानसिक आरोग्य को दर्शाती है, यानी मानसिक विकृति या असंतुलन से उत्पन्न विक्षिप्तता मानसिक रोग है। मानसिक अस्वस्थता भी मानसिक आरोग्य और मानसिक रोग के बीच एक है।
इस मामले में सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों की कमी मानसिक अस्वस्थता कहलाती है. दूसरों के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति, अविश्वास, नकारात्मक मनोभाव और मानसिक अस्वस्थता मानसिक अस्वस्थता के संकेत हैं। ऐसे लोग जीवन भर दुखी और असमायोजित रहते हैं।
उसके जीवन में कोई उत्साह नहीं है। मानसिक अस्वस्थता को मानसिक स्वास्थ्य (आरोग्य) के परिचायक गुणों का अभाव दर्शाता है, तथा इसे मानसिक रोग से अलग समझना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि मानसिक रोग में व्यवहारगत विकृति तथा मानसिक असंतुलन शामिल होते हैं, जबकि मानसिक अस्वस्थता में इन दोनों नहीं होते।
प्रश्न 5. मानसिक स्वास्थ्य व आरोग्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर– मानसिक आरोग्यता विज्ञान है, कला भी है। इससे मानसिक स्वास्थ्य की अभिवृद्धि की जा सकती है। इसमें मानसिक अस्वस्थता दूर करने से जुड़ी सभी आवश्यक बातें शामिल हैं तथा सामाजिक – भावनात्मक स्तरों पर बल दिया जाता है। मानसिक अस्वस्थता दूर करने के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-
(i) यथार्थ का प्रत्यक्षीकरण
(ii) आवेगों पर नियंत्रण
(iii) स्वाभिमान भावना
(iv) सकारात्मक चिन्तन का विकास
(v) समय प्रबंधन
• काम की सूची तैयार करना
• प्राथमिकता निश्चय
• अवरोध की पहचान
• लचीला दृष्टिकोण
• व्यायाम नियम
• फुर्सत के क्षण
इन उपायों से व्यक्ति मानसिक आरोग्य पाता हुआ मानसिक स्वास्थ्य में अभिवृद्धि कर सकता है।
प्रश्न 6. सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों की भूमिका स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- यदि किसी व्यक्ति में सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण नहीं हैं, तो वह मानसिक अस्वास्थ्य नहीं है।
सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है कि व्यक्ति के व्यवहार को शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्तरों पर ध्यान दिया जाए।
स्वास्थ्यवर्धक आदतें – उचित भोजन, समय पर व्यायाम, योगासन, प्राणायाम सब फायदेमंद हैं। व्यवसाय और समाज दोनों में सही समायोजन आवश्यक है। सामाजिक संबंधों का सामाजिक समायोजन मानसिक स्वास्थ्य का एक स्वस्थ संकेत है।
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