Class 8 Social Science History Chapter 7 – देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना
NCERT Solutions For Class 8th History Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना– ऐसे छात्र जो कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 8th सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 7 (देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना ) के लिए सलूशन दिया गया है.यह जो NCERT Solution For Class 8 Social Science History Chapter 7 Civilising the “Native”, Educating the Nation दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है.इसलिए आपClass Class 8 History Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करनाके प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
कक्षा: | 8th Class |
अध्याय: | Chapter 7 |
नाम: | देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना |
भाषा: | Hindi |
पुस्तक: | हमारे अतीत III |
NCERT Solutions For Class 8 इतिहास (हमारे अतीत – III) Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना
अध्याय के सभी प्रश्नों के उत्तर
विलियम जोन्स | अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन |
रवीन्द्रनाथ टैगोर | प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान |
टॉमस मैकाले | गुरु |
महात्मा गाँधी | प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
पाठशालाएँ | अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध |
उत्तर-
विलियम जोन्स | प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान |
रवीन्द्रनाथ टैगोर | गुरु |
टॉमस मैकाले | अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन |
महात्मा गाँधी | अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध |
पाठशालाएँ | प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
(क) जेम्स मिल प्राच्यवादियों के घोर आलोचक थे।
(ख) 1854 के शिक्षा संबंधी डिस्पैच में इस बात पर जोर दिया गया था कि भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी होना चाहिए।
(ग) महात्मा गांधी मानते थे कि साक्षरता बढ़ाना ही शिक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।
(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर को लगता था कि बच्चों पर सख्त अनुशासन होना चाहिए।
उत्तर- (क) सत्य (ख) सत्य (ग) असत्य (घ) असत्य
उत्तर- विलियम जोन्स 1783 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कलकत्ता में स्थापित सुप्रीम कोर्ट में जूनियर जज के पद पर नियुक्त होकर भारत आए थे। उन्होंने भारतीय भाषाओं और साहित्य का बहुत ही गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय साहित्य, इतिहास दर्शन और कानून का अध्ययन करने के लिए निम्नलिखित कारण दिए
(1) वे भारत और पश्चिम, दोनों की प्राचीन संस्कृतियों के प्रति गहरा आदर भाव रखते थे। उनका मानना था कि भारतीय सभ्यता प्राचीन काल में अपने वैभव की ऊँचाई पर थी परंतु बाद में उसका पतन होता चला गया।
(2) उनकी राय में, भारत को समझने के लिए प्राचीन काल में लिखे गए यहाँ के पवित्र और कानूनी ग्रंथों को खोजना व समझना बहुत आवश्यक था।
(3) उनका मानना था कि हिंदुओं और मुसलमानों के असली विचारों व कानूनों को इन्हीं रचनाओं के ज़रिए समझा जा सकता है और इन रचनाओं के पुनः अध्ययन से ही भारत के भावी विकास का आधार पैदा हो सकता है।
(4) उनका यह विश्वास था कि उसके द्वारा शुरू किए गए परियोजना कार्य से न केवल अंग्रेज़ों को भारतीय संस्कृति को जानने में सहायता मिलेगी बल्कि इससे भारतीयों को भी अपने अतीत, अपनी विरासत एवं महान् उपलब्धियों को जानने और समझने में भी मदद मिलेगी।
उत्तर- जेम्स मिल और टॉमस मैकॉले सोचते थे कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है क्योंकि
(1) जेम्स मिल और मैकॉले दोनों ही अंग्रेज अधिकारी थे। वे प्राच्यवादी शिक्षा प्रणाली के कटु आलोचक और अंग्रेज़ी शिक्षा प्रणाली के कट्टर समर्थक थे।
(2) उनका कहना था कि पूर्वी समाजों का ज्ञान त्रुटियों से भरा हुआ और अवैज्ञानिक है।
(3) उनके अनुसार पूर्वी साहित्य अगंभीर और सतही था। इसलिए उन्होंने कहा कि अंग्रेजों को अरबी और संस्कृत भाषा व साहित्य के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए इतना खर्च नहीं करना चाहिए।
(4) जेम्स मिल की राय में शिक्षा के ज़रिए उपयोगी और व्यावहारिक चीजों का ज्ञान कराया जाए। इसलिए भारतीयों को पूर्वी समाजों के काव्य और धार्मिक साहित्य की जगह ये पढ़ाया जाना चाहिए कि पश्चिम ने किस प्रकार की वैज्ञानिक और तकनीकी सफलताएँ प्राप्त कर ली हैं।
(5) लॉर्ड मैकॉले भारत को असभ्य देश मानते थे जिसे सभ्यता का पाठ पढ़ाया जाना जरूरी था। मैकॉले के अनुसार, पूर्वी ज्ञान की कोई भी शाखा इंग्लैंड की प्रगति के समकक्ष नहीं थी।
(6) मैकॉले का मानना था कि अंग्रेजी के ज्ञान से भारतीयों को दुनिया की श्रेष्ठतम साहित्यिक कृतियों को पढ़ने का मौका मिलेगा।
(7) उनका मानना था कि अंग्रेज़ी पढ़ने से लोगों को सभ्य बनाने, उनकी रुचियों, मूल्यों और संस्कृति को बदलने का रास्ता साफ हो सकता है।
(8) अंग्रेजी शिक्षा का भारत में प्रसार होने से अंग्रेज़ों को भारत में सहायक के रूप में काम करने के लिए सस्ते क्लर्क उपलब्ध हो सकते थे।
उत्तर- महात्मा गाँधी जी का कहना था कि शिक्षा से व्यक्ति का दिमाग और आत्मा विकसित होनी चाहिए। उनकी राय में केवल साक्षरता यानी पढ़ने और लिखने की क्षमता पा लेना ही शिक्षा नहीं होती। इसके लिए तो लोगों को हाथ से काम करना पड़ता है, कला सीखनी पड़ती है और यह जानना पड़ता है कि विभिन्न चीजें किस प्रकार काम करती हैं। इससे उनका मस्तिष्क और समझने की क्षमता, दोनों विकसित होंगे। इसलिए गाँधी जी बच्चों को हस्तकलाएँ सिखाना चाहते थे ताकि वे जीवन में स्वाबलंबी बन सकें।
उत्तर- महात्मा गाँधी जी के अनुसार औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का बोध पैदा कर दिया है। इसके प्रभाव में आकर यहाँ के लोग पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठ मानने लगे हैं और अपनी संस्कृति के प्रति उनका गौरव भाव नष्ट हो गया है। महात्मा गाँधी जी ने कहा कि इस शिक्षा में जहर भरा है, इसने भारतीयों को दास बना दिया है, इसने लोगों पर असर डाला है। उनके अनुसार, पश्चिम से अभिभूत, पश्चिम से आने वाली प्रत्येक चीज़ की प्रशंसा करने वाले, इन संस्थानों में पढ़ने वाले भारतीय ब्रिटिश शासन को पसंद करने लगे थे। महात्मा गाँधी एक ऐसी शिक्षा के पक्षधर थे जो भारतीयों के भीतर प्रतिष्ठा और स्वाभिमान का भाव पुनर्जीवित करे। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे शिक्षा संस्थानों को छोड़ दें और अंग्रेज़ों को बताएँ कि अब वे गुलाम बने रहने के लिए तैयार नहीं हैं।
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें।
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें।