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NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 7 – अंतिम दौर – दो

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 7 – अंतिम दौर – दो

NCERT Solutions For Class 8 Hindi (Bharat Ki Khoj ) Chapter 7. अंतिम दौर दो –  आज हम आपको कक्षा 8 भारत की खोज पाठ- 7 अंतिम दौर – दो पाठ के प्रश्न-उत्तर (Antim daur Do Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 8th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है . यहाँ एनसीईआरटी कक्षा 8 हिंदी  भारत की खोज अध्याय 7 (अंतिम दौर दो) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Class 8th Hindi Chapter  7 अंतिम दौर दो के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.

अंतिम दौर दो पाठ संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत में राजनीतिक गतिविधियाँ थम-सी क्यों गई थीं?

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध के समय भारतीय राजनीति थम-सी गई थी, क्योंकि कांग्रेस के विचारों के टकराव के कारण कांग्रेस दो दलों में विभाजित हो गई थी-नरम दल और गरम दल। दूसरी ओर, ब्रिटिश सरकार ने कई कानून भी लोगों पर थोंप दिए थे जो राजनीतिक गतिविधियों के मार्ग में बाधक थे।

प्रश्न 2. प्रथम विश्व युद्ध के समाप्ति पर क्या हुआ ?

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सरकार ने विजयी होने पर भारतीयों को राहत देने का आश्वासन दिया था किंतु युद्ध की समाप्ति पर सरकार ने अपने वादे पूरे न किए। इससे लोगों का सरकार से भरोसा उठ गया। सरकार ने देश में दमनकारी नीतियाँ लागू कर दी। पंजाब में तो मार्शल लॉ थोप दिया गया था। इससे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।

प्रश्न 3. मार्शल लॉ किसे कहते हैं?

उत्तर- मार्शल लॉ ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून था जिसमें किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय बिना पुलिस व न्यायालय की इजाज़त के गोली का निशाना बनाया जा सकता था।

प्रश्न 4. प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् भारतीय लोगों की क्या दशा थी?

उत्तर- इस समय सभी लोग-किसान, मज़दूर व मध्य वर्ग कठिनाइयों भरा जीवन व्यतीत कर रहे थे। ब्रिटिश सरकार की शोषण की नीति जोरों पर थी। लोगों को बिना कारण कुचला जा रहा था। साधारण जनता गरीबी एवं भुखमरी का शिकार बनी हुई थी।

प्रश्न 5. भारतीय जनता किनसे भयभीत होकर जीवन बिता रही थी?

उत्तर-ब्रिटिश सरकार ने अपनी दमनकारी नीतियों के द्वारा खौफनाक वातावरण बनाया हुआ था। इसी कारण भारतीय जनता व्यापक दमनकारी, दमघोंटू वातावरण, सेना और पुलिस के अन्याय एवं अत्याचारों का शिकार, ज़मींदारों और साहूकारों के शोषण से युक्त जीवन जी रही थी।

प्रश्न 6. गांधी जी ने लोगों को क्या संदेश दिया?

उत्तर- गांधी जी ने अपने संदेश में लोगों को उस व्यवस्था को समाप्त कर देने के लिए कहा जो उन्हें शोषण के द्वारा गरीबी की ओर धकेल रही थी तथा उनकी दुर्गति की जड़ थी। उन्होंने लोगों को निर्भय होकर सत्यनिष्ठ भाव से अपना कर्म करने की प्रेरणा दी। उनके इस संदेश का सार था-‘निर्भयता और सत्य और इनसे जुड़ा हुआ कर्म।’ गांधी जी ने जातिगत भेदभाव से ऊपर उठकर देश की स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन करने का भी संदेश दिया।

प्रश्न 7. गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए क्या कहा?

उत्तर- गांधी जी ने अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए कहा। उन्होंने लोगों को ब्रिटिश शासन द्वारा दिए गए खिताबों को लौटा देने तथा सामंती शान-शौकत छोड़कर आम आदमियों की तरह रहने के लिए भी कहा। कुछ लोगों ने अपने खिताब छोड़ भी दिए तथा कुछ लोग सादगी से रहने भी लगे थे। कांग्रेस के पुराने नेताओं ने भी समय के अनुसार अपने आपको बदल लिया था। जो लोग खिताबों को नहीं त्याग सके, उनके प्रति जनता के मन में सम्मान नहीं रहा।

प्रश्न 8. गांधी जी के नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- जब गांधी जी ने पहली बार कांग्रेस-संगठन में प्रवेश किया तब तत्काल इसके संविधान में बदलाव ला दिया। उनका ढंग शांतिपूर्ण था। उनमें डटकर सामना करने की भरपूर शक्ति थी। उनकी कांग्रेस का मुख्य आधार था-राष्ट्रीय एकता। इसमें अल्पसंख्यकों की समस्याओं को हल करना और दलित जातियों को ऊपर उठाने के साथ छुआछूत के अभिशाप को खत्म करना था। गांधी जी ने अंग्रेज़ी शासन की बुनियादों पर चोट की। गांधी जी निवृत्तिमार्ग के विरोधी थे। आर्थिक, सामाजिक और दूसरे मामलों में गांधी जी के विचार बहुत सख्त थे। इसके साथ ही गांधी जी सब वर्ग के लोगों को अपने साथ लेकर चलते थे। इससे देश की एकता और स्वतंत्रता आंदोलन को शक्ति मिलती थी।

प्रश्न 9. गांधी जी द्वारा कहे गए इन शब्दों का क्या तात्पर्य है-“हर आँख का आँसू पोंछना होगा।”

उत्तर- गांधी जी के मन में गरीबों एवं दलितों के प्रति अथाह सहानुभूति थी। वे हर भारतीय की कठिनाइयों को समझते थे। वे दबे हुए लोगों को उठाना चाहते थे। वे मानते थे कि एक अधभूखे राष्ट्र का न कोई धर्म होता है, न कला, न संगठन। करोड़ों
भूखे मरते लोगों के लिए कुछ भी उपयोगी हो सकता है। वही उनके लिए हितकर है। उनकी हार्दिक इच्छा थी कि हर दुखी व्यक्ति . के दुखों को दूर करके उसे सुख प्रदान करना ताकि वह भी अपने-आपको भारत का नागरिक समझ सके।

प्रश्न 10. गांधी जी की कार्य-प्रणाली को दोहरा आह्वान क्यों माना गया?

उत्तर- गांधी जी दूरदृष्टा थे। उनकी कार्य-प्रणाली या उनकी सक्रियता को दोहरा आह्वान इसलिए माना गया क्योंकि एक ओर तो वे विदेशी शासन की सत्ता को चुनौती देना चाहते थे और दूसरी ओर वे सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध लड़कर देश की समस्याओं को हल करना व दलित जातियों को ऊपर उठाना चाहते थे। वे छुआछूत के अभिशाप को समाप्त करके सबको समान समझने की भावना को बढ़ावा देना चाहते थे।

प्रश्न 11. गांधी जी के धर्म के प्रति कैसे विचार थे?

उत्तर- गांधी जी धर्म को मानने वाले व्यक्ति थे। वे हिंदू थे, परंतु उनकी व्यर्थ के कर्मकांडों में आस्था नहीं थी। वे धर्म के उन नैतिक नियमों को मानते थे, जिनका संबंध सत्य, प्रेम और अहिंसा से था। वे हिंदू धर्म की मूल भावना को समझते थे। धर्म से उनकी राजनीति में कोई रुकावट नहीं आती थी। वे बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढाल लेते थे।

प्रश्न 12. गांधी जी के सपनों का भारत कैसा था?

उत्तर- गांधी जी ने जिस भारत की कल्पना की थी, उसका स्वरूप उन्होंने इन शब्दों में व्यक्त किया है-“मैं एक ऐसे भारत के लिए काम करूँगा जिसमें गरीब-से-गरीब व्यक्ति भी यह महसूस करेगा कि यह उसका देश है जिसके निर्माण में उसकी आवाज़ प्रभावी है। एक ऐसा भारत जिसमें लोगों के ऊँच-नीच वर्ग नहीं होंगे। ऐसा भारत जिसमें सब जातियाँ पूरे समभाव से रहेंगी….. ऐसे भारत में छुआछूत या नशीली मदिरा और दवाइयों के अभिशाप के लिए कोई जगह नहीं होगी……. स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार होंगे …….. यही मेरे सपनों का भारत है।”

प्रश्न 13. ब्रिटिश सरकार की फूट डालो की नीति पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- ब्रिटिश शासक हर हाल में हिंदू और मुसलमानों के बीच दीवार खड़ी करना चाहते थे। उन्होंने इसी उद्देश्य से मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा के मतभेदों को प्रोत्साहित किया और सांप्रदायिक संगठनों को कांग्रेस के विरुद्ध महत्त्व देना चाहा। अगस्त 1940 ई. में कांग्रेस ने मजबूर होकर घोषणा की थी कि भारत में ब्रिटिश सरकार की नीति “जनजीवन में संघर्ष और फूट को प्रत्यक्ष रूप से उकसाती और भड़काती है।” अपने उद्देश्य की प्राप्ति हेतु ही अंग्रेज़ों ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच फूट के बीज बोए थे।

प्रश्न 14. कांग्रेस सांप्रदायिक समस्याओं को कैसे सुलझाना चाहती थी?

उत्तर- कांग्रेस देश की एकता को मजबूत बनाना चाहती थी। इसलिए उसने सांप्रदायिकता की समस्या को गंभीरता से लिया। वह सांप्रदायिक समस्या का ऐसा हल निकालना चाहती थी जिससे देश की स्वतंत्रता के लिए किए जा रहे कार्यों में किसी प्रकार की रुकावट न आए। कांग्रेस में अधिक सदस्य हिंदू थे। इसमें बड़ी संख्या में मुसलमान तथा सिख, ईसाई, आदि धर्मों के लोग भी थे। इसलिए कांग्रेस राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र की स्थापना के साथ प्रादेशिक स्वायत्तता को भी स्वीकार कर सभी समुदायों की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विकास की सुरक्षा के तरीकों पर सहमत हो गई थी। इस पर भी इस समस्या का कोई ठोस हल नहीं निकल सका था।

प्रश्न 15. स्वतंत्रता प्राप्ति के विषय में मोहम्मद अली जिन्ना क्या सोचते थे? ।

उत्तर- मोहम्मद अली जिन्ना ने स्वतंत्रता की माँग को नया मोड़ दे दिया। उन्होंने अपना विचार दिया कि भारत में दो राष्ट्र हैं-हिंदू और मुसलमान। इसी विचारधारा से पाकिस्तान व भारत के बँटवारे की अवधारणा का विकास हुआ। जिसका नतीजा यह निकला कि स्वतंत्रता मिलते ही भारत दो टुकड़ों में विभाजित हो गया।

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