संधि किसे कहते है संधि के भेद संधि के उदहारण
संधि किसे कहते हैं इसके कितने भेद हैं उदाहरण सहित लिखिए?
संधि किसे कहते है संधि के भेद संधि के उदहारण
संधि किसे कहते हैं | संधि की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Sandhi Kise Kahate Hain :- आज हम इस पोस्ट में पढ़ेंगे संधि किसे कहते है? संधि के कितने प्रकार होते है। संधि के प्रकार कौन-कौन से हैं। और इसके साथ यह भी जानेंगे कि (स्वर संधि, दीर्घ संधि, गुण संधि, वृद्धि संधि और यण संधि,) क्या होते हैं। इसके साथ ही व्यंजन और विर्सग संधि पर भी चर्चा करेंगे।
संधि किसे कहते है?
संधि- संधि शब्द का अर्थ है मेल। दो निकटवर्ती वर्णों या ध्वनियों के परस्पर मेल से होने वाले परिवर्तन को संधि कहते है।
विद्या+आलय= विद्यालय, नर+इंद्र= नरेंद्र, गण+ईश= गणेश
संधि के प्रकार
संधि के 3 प्रकार है –
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि
1. स्वर संधि किसे कहते है
स्वर का स्वर के साथ मिलान होने से जो विकार (परिवर्तन) बनता है, उसे स्वर संधि कहते है जैसे –
हिम+आलय = हिमालय
महा+आत्मा = महात्मा
प्रति+आशा = प्रत्याशा
सु+उक्ति = सूक्ति
स्वर- संधि पाँच प्रकार की होती हैं-
(I) दीर्घ संधि
(ii) गुण संधि
(iii) वृद्धि संधि
(iv) यण संधि
(v) अयादि संधि
(I) दीर्घ संधि – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ वर्णों के होने वाली संधि को दीर्घ संधि कहते है
इसके तीन नियम है :-
(क) अ और आ की संधि –
अ+अ = आ- वेद+अन्त = वेदान्त, मुख्य+अध्यापक = मुख्याध्यापक
अ+आ= आ- नव+आगत =नवागत, सत्य+आग्रह = सत्याग्रह
आ+अ = आ- विद्या+अर्थी = विद्यार्थी, तथा+अपि = तथापि
आ+आ = आ- दया+आनन्द = दयानन्द, रचना+आत्मक = रचनात्मक
(ख) इ और ई की संधि-
इ+इ = ई- कवि+इंद्र = कवींद्र, मही+इंद्र = महिंद्र।
इ+ई = ई- कपि+ईश = कपीश, मुनि+ईश = मुनीश।
ई+इ = ई- मही+इंद्र = महींद्र, नारी+इंदु = नारींदु
ई+ई = ई- नदी+ईश = नदीश, मही+ईश = महीश
(ग) उ और ऊ की संधि-
उ+उ = ऊ- सु+उक्ति = सूक्ति = भानूदय, कटु+उक्ति = विधूदय
उ+ऊ = ऊ- लघु+ऊर्मि = लघूर्मि, धातु+ऊष्मा = धातूष्मा
ऊ+उ = ऊ- वधू+उत्सव = वधूत्सव, साधू+उत्सव = साधूत्सव
ऊ+ऊ = ऊ- भू+ऊर्जा = भूर्जा, वधू+ऊर्मि = वधूर्मि
जब व्यंजन में से स्वर को अलग किया जाता है तो व्यंजन के नीचे हल चिह्न लगया जाता है या वह आधा लिखा जाता है और जब व्यंजन में स्वर मिलाया जाता है तो पूरा लिखा जाता है
(ii) गुण संधि – इसमें अ, आ के आगे इ, ई हो तो ए, उ, ऊ हो तो ओ, तथा ऋ हो तो अर् बनता है। इसे गुण-संधि कहते हैं| जैसे-
क)-अ+इ = ए- नर+इंद्र = नरेंद्र ,सुर+इन्द्र = सुरेन्द्र
अ+ई = ए- सुर+ईश = सुरेश, राज+ईश = राजेश
आ+इ = ए- महा+इंद्र = महेंद्र ,रमा+इन्द्र = रमेन्द्र
आ+ई = ए महा+ईश = महेश , उमा+ईश = उमेश
(ख)-अ+उ = ओ- रोग+उपचार = रोगोपचार , चन्द्र+उक्ति = चन्द्रोदय
आ+उ = ओ- महा+उदय = महोदय, महा+उपकार = महोपकार
अ+ऊ = ओ- सागर+ऊर्मि = सागरोर्मि ,नव+ऊढा = नवोढ़ा
आ+ऊ = ओ- गंगा+ऊर्मि = गंगोर्मि,महा+ऊष्मा = महोष्मा
(ग)- अ+ऋ = अर्- देव+ऋषि = देवर्षि, राज+ऋषि = राजर्षि
(घ)- आ+ऋ = अर्- राजा+ऋषि = राजर्षि, वर्षा+ऋषि = वर्षर्तु
नोट :- जिस र में स्वर नहीं होता वो ऊपर लिखा जाता है
(iii) वृद्धि संधि – अ आ का ए ऐ से मेल होने पर ऐ अ आ का ओ, औ से मेल होने पर औ बनता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं। जैसे-
(क)- अ+ए = ऐ- एक+एक = एकैक ,पुत्र+एषणा = पुत्रैषणा
अ+ऐ = ऐ- मत+ऐक्य = मतैक्य, देव+ऐश्वर्य = देवैश्वर्य
आ+ए = ऐ- सदा+एव = सदैव , तथा+एव = तथैव
आ+ऐ = ऐ- महा+ऐश्वर्य = महैश्वर्य, गंगा+ऐश्वर्य = गंगेश्वर्य
(ख)-अ+ओ = औ- जल+ओघ = जलौघ , परम+ओजस्वी = परमौजस्वी
आ+ओ = औ- महा+औषध = महौषधि , महा+ओजस्वी = महौजस्वी
अ+औ = औ- परम+औषध = परमौषध ,जल+औषधि = जलौषधि
आ+औ = औ- महा+औषध = महौषध , महा+औदार्य = महौदार्य
(iv) यण संधि – जब इ, ई के बाद कोई भिन्न स्वर हो तो ‘य’ उ,ऊ के बाद कोई भिन्न स्वर हो तो ‘व्’ ,ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर हो तो ‘र’ में बदल जाता है उसे यण संधि किसे कहते हैं।
इ+अ = य – अति+अधिक = अत्यधिक ,प्रति+अक्ष = प्रत्यक्ष
इ+आ = या- इति+आदि = इत्यादि , प्रति+आशा = प्रत्याशा
ई+अ=य्+अ नदी+अर्पण = नद्यर्पण
ई+आ=य्+आ- देवी+आगमन = देव्यागमन, देवी+उदय = देव्युदय
उ+अ=व्+अ अनु+अय = अन्वय,
उ+आ=व्+आ सु+आगत = स्वागत
उ+ए=व्+ए अनु+एषण = अन्वेषण
ऋ+अ=र्+आ पितृ+आज्ञा = पित्राज्ञा, पितृ+अनुमति = पित्रनुमती
(v) अयादि संधि- ए,के बाद कोई भिन्न स्वर हो तो ‘अय्’ ऐ के बाद कोई भिन्न स्वर हो तो ‘आय्’ और ओ के बाद कोई भिन्न स्वर हो तो ‘अव्’ और औ के बाद कोई भिन्न स्वर हो तो ‘आव्’ के साथ भिन्न स्वर का समावेश हो जाता है ,उसे अयादि संधि कहते हैं।जैसे –
(क) ए+अ=अ य्+अ -ने+अन+नयन , शे+अन = शयन
(ख) ऐ+अ=आय्+अ -गै+अक = गायक, नै+अक = नायक
(ग) ओ+अ=अव्+अ -पो+अन = पवन , भो+अन = भवन
(घ) औ+अ=आव्+अ- पौ+अक = पावक , धौ+अक = धावक
औ+इ=आव्+इ- नौ+इक = नाविक, धौ+इका = धाविका
2. व्यंजन संधि किसे कहते है
व्यंजन का स्वर या व्यंजन के साथ मेल होने पर जो परिवर्तन होता है ,उसे व्यंजन संधि कहते है |जैसे-
उत+उल्लास = उल्लास
अप+ज = अब्ज
1. नियम :- अगर क्, च्, ट्, त्, प् के बाद किसी वर्ग का तीसरा या चौथा वर्ण या य्, र्, ल्, व् हो या कोई स्वर हो तो उसी वर्ग का तीसरा वर्ण बन जाता है अर्थात क् के स्थान पर ग्, च् के स्थान पर ज्, ट् के स्थान पर ड्, त् के स्थान पर द् और प् के स्थान पर ब् बन जाता है ।जैसे-
दिक्+गज = दिग्गज
वाक्+ईश = वागीश
अच्+अंत = अजंत
षट्+ यंत्र = षडयंत्र
अप्+ज = अब्ज
सत+भाव = सदभाव
2. नियम :- यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मेल न् या म् वर्ण से हो तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है|जैसे –
वाक्+मय = वाङमय
अच्+नाश = अञ्नाश
षट्+मास = षण्मास
उत्+नायक = नायक
अप्+मय = अम्मय
षट्+मुख = षण्मुख
3. नियम :– त् के बाद च या छ हो तो त् का च्, ज या झ हो तो त् का ज्, ट या ठ हो तो त् का ट् ,ड या ढ हो तो त् का ड् और ल हो तो त् का ल् बन जाता है।जैसे –
सत्+चारण= उच्चारण , सत्+चरित्र = सच्चरित्र
जगत्+ईश = जगदीश , जगत्+छाया = जगच्छाया
भगवत्+भक्ति = भगवद्भक्ति, उत्+लास = उल्लास
तत्+रूप = तद्रूप, तत्+लीन = तल्लीन
सत्+धर्म = सद्धर्म , सत्+जन = सज्जन
4. नियम :- म् के बाद कोई भी स्पर्श व्यंजन ( क से म तक ) हो तो उसी वर्ग का पंचम वर्ण या अनुसार लिखा जाता है |पंचम वर्ण की अपेक्षा अनुस्वार लिखने से आसानी है |जैसे –
अहम्+ कार = अहंकार ,सम्+पादक = संपादक
सम्+ भव = संभव , सम्+बोधन = संबोधन
किम्+ तु = किंतु , किम्+ चित = किंचिंत
सम्+ बंध = संबंध , सम्+कलन = संकलन
5. नियम :- म् के बाद कोई भी अन्तस्थ व्यंजन (य्,र,ल,व) या कोई भी ऊष्म व्यंजन (श्,स,ष,ह) हो तो म् अनुस्वार लिखा जाता है |जैसे –
सम्+मति = सम्मति , सम्+हिता = संहिता
सम्+मान = सम्मान , सम्+सार = संसार
6. नियम :– ऋ,र्, ष् के बाद न् व्यंजन आता है तो उसका ण् हो जाता है।जैसे –
परि+नाम = परिणाम ,पूर्+न = पूर्ण
प्र+मान = प्रमाण ,प्र+नेता = प्रणेता
ऋ+न = ऋण ,हर+न = हरण
विष्+नु = विष्णु , भूष+न = भूषण
7. नियम :– स व्यंजन से पहले यदि अ,आ से भिन्न स्वर आ जाए तो स का ‘ष’हो जाता है |जैसे –
अभि+सेक = अभिषेक , सु+सुप्ति = सुषुप्ति
नि+सिद्ध = निषिद्ध , वि+सल = विषल
वि+सम = विषम ,अनु+संगी = अनुषंगी
8. नियम :- यदि किसी स्वर के बाद छ वर्ण आए तो छ से पहले च् वर्ण जुड़ जाता है ।जैसे-
स्व+छंद = स्वच्छंद , आ+छन्न = आछन्न
संधि+छेद = संधिविच्छेद ,अनु+छेद = अनुच्छेद
परि+छेद = परिच्छेद ,वि+छेद = विच्छेद
9. नियम :- सम्+’कृ’ धातु से बने शब्द जैसे-कृत,कार,कृति,कर्ता,कारक आदि हो तो म् का अनुस्वार तथा बाद में स् का आगम हो जाता है जैसे-
सम्+कर्ता = संस्कर्ता , सम्+कृति = संस्कृति
सम्+कार = संस्कार , सम्+करण = संस्करण
10. नियम :- परि+’कृ’ धातु से बने शब्द हो तो परि के बाद ‘ष्’ का आगम हो जाता है | जैसे-
परि+कार = परिष्कार , परि+कृति = परिष्कृति
परि+कर्ता = परिष्कर्ता , परि+करण = परिष्करण
11. नियम :– ष् के बाद टी हो और ष् के बाद थ हो तो टी का ट तथा थ का ठ हो जाता है | जैसे-
उतकृष्+त = उत्कृष्ट , सृष्+ति = सृष्टि
तुष्+त = तुष्ट ,षष्+थ = षष्ठ
12. नियम :– स्थ से पहले इ या उ स्वर हो तो स्थ को ष्ठ हो जाता है |जैसे –
युधि+स्थिर = युधिष्ठिर , प्रति+स्थापन = प्रतिष्ठापन
नि+स्थुर = निष्ठुर , प्रति+स्था = प्रतिष्ठा
विसर्ग संधि किसे कहते है
विसर्ग का स्वर या व्यंजन से पहले से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है ,उसे विसर्ग संधि कहते है |जैसे-
यश:+दा = यशोदा
मन:+योग = मनोयोग
1. नियम :- अगर विसर्ग के पहले अ स्वर और आगे अ अथवा कोई सघोष व्यंजन (किसी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण) अथवा य, र, ल, व, ह में से कोई वर्ण हो तो अ और विसर्ग(:) के बदले ओ हो जाता है ।
मनः +बल = मनोबल , यश:+गान = यशोगान
मनः+अनुकूल= मनोनुकूल , पय:+धि = पयोधि
अधः+गति= अधोगति, तप:+भूमि = तपोभूमि
2. नियम :- विसर्ग से पहले इ या उ स्वर हो और विसर्ग के बाद किसी भी 3,4 वर्ण हो य,र,ल,व ,ह हो या अत: और पुनः शब्द हो तो विसर्ग का र् बन जाता है |जैसे –
दु:+उपयोग = दुरुपयोग , अत:+आत्मा = अंतरात्मा
नि:+आहार = निराहार , दु:+गति = दुर्गति
निः+आशा = निराशा , पुनः+उक्ति = पुनरुक्ति
निः+धन = निर्धन , धनु:+ज्ञान = धनुर्ज्ञान
3. नियम :– विसर्ग से पहले कोई भी स्वर हो और बाद में त् हो तो विसर्ग का स् हो जाता है |जैसे-
नम:+ते = नमस्ते
अंत:+तल = अंतस्थल
नि:+तेज = निस्तेज
नि:+तारण = निस्तारण
4. नियम :- विसर्ग से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ष् हो जाता है। जैसे-
निः+फल= निष्फल , निः+ठुर = निष्ठुर
निः+कलंक = निष्कलंक ,चतुः+कोण = चतुष्कोण
चतुः+पाद = चतुष्पाद , बहि:कार = बहिष्कार
5. नियम :- विसर्ग से पहले कोई भी स्वर हो और विसर्ग के बाद च, छ या श हो तो विसर्ग का श् हो जाता है ।
जैसे-
निः+चय = निश्चय ; निः+चल = निश्चल
हरि:+चंद्र = हरिश्चंद्र ,निः+छल = निश्छल
आ:+चार्य = आश्चर्य ,दुः+शासन = दुश्शासन
6. नियम :- विसर्ग से पहले अ या आ हो और विसर्ग के बाद क या प हो तो विसर्ग का स् हो जाता है |जैसे –
पुर:+कार = परुस्कार
नम:+कार = नमस्कार
वन:+पति = वनस्पति
तिर:+कार = तिरस्कार
7. नियम :- विसर्ग से पहले अ या आ हो और विसर्ग बाद अ ,आ को छोड़कर कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है ।जैसे-
अत:+एव = अतएव
तत:+एव = ततएव
निः+रोग = निरोग
8. नियम :– यदि विसर्ग से पहले इ या उ हो और बाद में श हो तो विसर्ग को श् तथा स हो तो विसर्ग का स् हो जाता है |अथवा विसर्ग को ज्यों का त्यों लिखा जाता है |जैसे –
निः+शक्त = निःशक्त/निश्श्क्त
निः+शुक्ल = निःशुक्ल/निश्शुक्ल
दु:+शासन = दु:शासन/दुश्शासन
दु:+साध्य = दु:साध्य/दुस्साध्य
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इस पोस्ट में आपको संधि की परिभाषा , व्यंजन संधि के भेद , संधि व्याकरण , संधि संस्कृत मे , व्यंजन संधि के उदाहरण , यण संधि के उदाहरण , विसर्ग संधि के उदाहरण संधि किसे कहते हैं संधि के प्रकार स्वर संधि के उदाहरण दीर्घ संधि किसे कहते हैं अयादि संधि के उदाहरण स्वर संधि की परिभाषा sanskrit me sandhi kitne hote h स्वर संधि किसे कहते हैं? संधि किसे कहते हैं इसके प्रकार संधि किसे कहते हैं संस्कृत में यण संधि किसे कहते हैं संधि उदाहरण PDF स्वर संधि किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखिए गुण संधि किसे कहते हैं संधि के प्रकार Sandhi सन्धि : परिभाषा, भेद, के बारे में पूरी जानकारी दी गयी है . अगर इसके बारे में और कोई सवाल या सुझाव होतो नीचे कमेंट करके पूछे .
Sandhi Kise Kahate Hai FAQ (संधि से जुड़े कुछ सवाल)
प्रश्न: संधि कितने प्रकार के होते हैं
उत्तर: संधि ‘तीन’ प्रकार की होती हैं – स्वर संधि, व्यंजन संधि तथा विसर्ग संधि
प्रश्न: स्वर संधि किसे कहते हैं?
उत्तर: जब किन्ही दो स्वरों के आपस में मिलने पर जो परिवर्तन होते हैं, उन्हें स्वर संधि कहते हैं।जैसे: देव + आलय = देवालय (अ + आ = आ )
प्रश्न: स्वर संधि के कितने भेद होते हैं?
उत्तर: स्वर संधि के निम्न 5 भेद होते हैं
दीर्घ संधि
गुण संधि
वृद्धि संधि
यण संधि
अयादि संधि
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Sandhi ka vad konsa hai??????????????????
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