हरियाणा के प्रमुख लोक नृत्य
हरियाणा में नृत्य कला वैदिक काल से ही चली आ रही है.और यहां पर हरियाणवी नृत्य को विशेष महत्व दिया जाता है और इसे हरियाणा की संस्कृति का प्रतीक भी माना जाता है.यहां पर नृत्य विशेष उत्सव मौसम के आधार पर किया जाता है और हरियाणा राज्य में बहुत तरह के नृत्य किए जाते हैं. इन नृत्य के बारे में अक्सर हरियाणा की परीक्षाओं में पूछा जाता है तो आज के इस पोस्ट में आपको हरियाणा के कुछ प्रमुख नृत्य के बारे में बताया जाएगा अगर यह जानकारी आपको फायदेमंद लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.
नीचे आपको हरियाणा के सभी नृत्यों की सूची दी गई है जो की बहुत ही प्रमुख नृत्य है और इन्हीं में से परीक्षाओं में काफी पूछा जाता है.
हरियाणा के प्रमुख लोक नृत्य
ऐतिहासिक स्रोत से पता चलता है कि वैदिक काल में नृत्यकार काफी प्रसिद्ध था हरियाणा के लोक नृत्य यहां की सांस्कृतिक परंपराओं के लिए बहुत प्रसिद्ध है और विभिन्न अवसरों पर इस नृत्यकला का आयोजन किया जाता है. इस नृत्य कला से लोगों का मनोरंजन उमंग उत्साह व खुलासा के लिए किया जाता है. हरियाणा में बहुत महत्वपूर्ण नृत्य है जो कि नीचे दिए गए हैं
1. धमाल नृत्य
प्रदेश में पुरुषों का धमाल नामक नृत्य बहुत प्रसिद्ध नृत्य है इस नृत्य कला में बीनों , खंजरी ,तुम्बें ,घडवे , खड़ताल ढोलक और बांसुरी आते हैं यह नृत्य महेंद्रगढ़ और झज्जर में लोकप्रिय हैं और चांदनी रात में खुले मैदानों में इसका आयोजन किया जाता है.
2. मंजीरा नृत्य
मंजीराभजन में प्रयुक्त होने वाला एक महत्वपूर्ण वाद्य है.मंजीरा नृत्य भी एक प्रसिद्ध नृत्य है यह नृत्य मेवात में बड़े-बड़े नक्कारों डफ और मंदिरों के साथ होता है.इसका प्रयोग मुख्य रूप से भक्ति एवं धार्मिक संगीत में ताल व लय देने के लिए ढोलक तथा हारमोनियम के साथ होता है.
3. खेड़ा नृत्य
यह नृत्य एक ऐसा नृत्य है जो खुशी की जगह गम में किया जाता है यह किसी बुजुर्ग की मृत्यु के समय किया जाने वाला नृत्य होता है खेड़ा जींद नरवाना कैथल करनाल आदि बांगर के क्षेत्रों में बहुत प्रसिद्ध है.
4.घोड़ी नृत्य
घोड़ी नृत्य यह भी एक प्रसिद्ध नृत्य है इस नृत्य का आयोजन शादी के अवसरों पर किया जाता है. इसका आयोजन व्यावसायिक आधार पर भी किया जाता है. इस नृत्य में गत्ते और रंगीन कागज से बनाया हुआ घोड़े का मुखोटा प्रयोग करते हैं.यह नृत्य भारतीय राज्य राजस्थान का एक लोकनृत्य है.यह नृत्य ख़ुशी पर किया जाता है .
5.स्वांग नृत्य
सांगको हिंदी शब्द ‘में स्वांग कहते है .सांग नृत्य सांग के दौरान दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए सांग कलाकारों द्वारा किया जाता है इस परंपरा की शुरुआत लगभग 1730 ई. में हुई थी. यह वीर रस प्रधान नृत्य माना जाता है इस नृत्य लोककथाओं को लोकगीत, संगीत आदि नृत्य आते है .
6.तीज का नृत्य
यह नृत्य तीज के त्यौहार के अवसर पर एक विशेष स्थान पर किया जाता है इस अवसर पर स्त्रियां सुंदर-सुंदर परिधान धारण करती है. इस नृत्य में गायन का आयोजन किया जाता है.इसमें स्त्रियां मनोरजन के लिए गाने पर नाचती है .
7.फाग नृत्य
यह नृत्य भी एक प्रसिद्ध नृत्य है इस नृत्य का आयोजन प्रदेश में होली से दो सप्ताह पहले किया जाता है यह नृत्य रात्रि में स्त्रियों द्वारा किया जाता है कही-कही जगह पर तो इसका आयोजन पुरुषों द्वारा भी किया जाता है . इस नृत्य एक प्रमुख विशेषता यह है कि इस नृत्य में पुरुष स्त्रियों के नित्य को नहीं देख सकता है
8.रास नृत्य
यह नृत्य भी एक प्रसिद्ध नृत्य है इस नृत्य का संबंध भगवान श्री कृष्ण की रासलीला से जुड़ा हुआ है नृत्य दो प्रकार से मनाए गए हैं .तांडव और लास्या .तांडव पुरुष प्रधान नृत्य है और लास्या स्त्री प्रधान नृत्य है यह निर्णय राज्य के होडल पलवल तथा बल्लभगढ़ आदि इलाकों में बहुत प्रसिद्ध है.
9. डफ नृत्य
यह नृत्य श्रृंगार तथा वीर रस प्रधान होते हैं. इस नृत्य को ढोल नृत्य नाम से भी जाना जाता है .इस नृत्य का आयोजन वसंत ऋतु में किया जाता है . डफ नृत्य पहली बार वर्ष 1969 में गणतंत्र दिवस समारोह में प्रस्तुत किया गया था.यह हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध लोक नृत्य है.
10.रसिया नृत्य
इस नृत्य का संबंध बृज की श्री कृष्ण लीलाओं से है. इसलिए इस नृत्य का संबंध राज्य में लगते बृज क्षेत्र पलवल होडल बल्लभगढ़ आदि से है. इस नृत्य में तीन नक्कारों ,झांझ ,थाली , ढोलक आदि वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है .रसिया मुख्य रूप से ब्रजभाषा में गाया जाता है। ब्रजभाषा हिन्दी के जन्म से पहले पांच सौ वर्षों तक उत्तर भारत की प्रमुख भाषा रही है.
11. बीन-बांसुरी नृत्य
बीन बंसरी का नृत्य पूरे हरियाणा प्रदेश में एक विशेष वाद्य नृत्य है .इस नृत्य में घड़े पर रबड़ बांधकर ताल व थापों सहारा लिया जाता है और बीन बंसरी पर प्रदेश की कोई भी प्रचलित लोक गीत की धुन निकाली जाती है .यह नृत्य विशेष रूप से बांगर क्षेत्रों में किया जाता है
12.छठी नृत्य
यह नृत्य एक ख़ुशी के अवसर पर ही किया जाता है .छठी नृत्य आयोजन प्रदेश में शिशु के जन्म के छठे दिन स्त्रियों द्वारा रात्रि में किया जाता है इस नृत्य के समारोह के अंत में उबले चने और गेहूं काटे जाते हैं .
13.गोगा नृत्य
गोगा नृत्य भाद्रपद मास में गोगा नवमी के पहले गोगा पीर के भक्तों द्वारा गुगा छड़ी के चारों तरफ बड़ी श्रद्धा के साथ सारंगी वह डेरु की ताल पर करते हैं .इसमें भगत लंबे बांस पर मोर पंख बांधकर रंगीन धागे वह कपड़े लपेटकर गोगा भगत अपनी गोगा छड़ी तैयार करते हैं उसे घर घर घूम आते हैं और गलियों में नृत्य करते हैं .काफी भगत तो जंजीरों से स्वयं को पीटते हैं.
14.रतवाई नृत्य
राज्य के मेवाती क्षेत्रों का यह एक सुप्रसिद्ध नृत्य है नृत्य का आयोजन वर्षा ऋतु में स्त्री पुरुषों द्वारा किया जाता है यह नृत्य गुड़गांव के नुह व फिरोजपुर-झिरका के क्षेत्रों में अधिक लोकप्रिय हैं.
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